🔴 111 साल की उम्र में भुलई भाई ने ली थी अंतिम सांस
🔵युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर । जनपद के रामकोला क्षेत्र के पगार गांव निवासी पूर्व विधायक श्रीनारायन उर्फ भुलई भाई को मरणोपरांत भारत सरकार ने पश्री से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। पहली बार जनसंघ से विधायक बने भुलई भाई ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थे। 111 साल की उम्र में उन्होंने वर्ष 2024 में अंतिम सांस ली। जीवन पर्यंत उन्होंने कभी सिद्धातों से समझौता नहीं किया।
🔴कौन थे भुलई भाई
रामकोला के पगार छपरा गांव निवासी पूर्व विधायक श्रीनारायन उर्फ भुलई भाई का जन्म एक नवंबर 1914 को हुआ था। बचपन से ही जनसंघ से प्रभावित भुलई भाई प्रचारक रहे। उनकी पढ़ाई पैतृक गांव के बाद कक्षा 10 व कक्षा 12 गोरखपुर सेंट एंड्यूज कॉलेज में हुई। गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएड व एमएड की डिग्री लेने के बाद वह बेसिक शिक्षा अधिकारी बन गए। नौकरी छोड़ कर राजनीत में आ गए और 1974 से लेकर 1980 तक दो बार विधायक रहे। उनका निधन 31 अक्तूबर 2024 की देर शाम पैतृक निवास पर हुई। वह 111 वर्ष तक जीवित रहे। बेटे जनार्दन ने उन्हें मुखाग्नि दी। भुलई भाई की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीटर के जरिए गहरा दुःख प्रकट किया था।
🔴 सदन मे फेका था रुपये से भरा अटैची
जनसंघ से पहली बार वर्ष 1974 में विधायक बने भुलई भाई ने वर्ष 1977 से लेकर 1980 तक विधायक रहे। उनके पौत्र कन्हैया चौधरी बताते हैं कि कांग्रेस ने क्रॉसवोटिंग के लिए उनके पास अटैची में रुपये भर कर भेजा था। वही अटैची लेकर वह अगले ही दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंचालक माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर व स्वयंसेवक संघ के संचालक नाना जी देशमुख के पास पहुच गए। दोनों लोगों के पर वह रुपये से भरा अटैची लेकर सदन में पहुंचे और सभापति के सामने गैलरी में उसे फेंक दिया और कहा कि कांग्रेस ने उन्हें खरीदने के लिए पैसा दिया है।
🔴इन्दिरा गांधी से मिल कर छितौनी बंधा व रेलवे लाइन की मांग की
छितौनी बाजार में 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक कार्यक्रम को संबोधित करने आई थीं। उस समय क्षेत्र के लोग बाढ़ से प्रभावित थे और आने- जाने में दिक्कत हो रही थी। कार्यक्रम में श्रीनारायन उर्फ भुलई भाई ने प्रधानमंत्री से मिल कर छितौनी बंधा व रेलवे लाइन की मांग की थी। उनकी मांग पर बांध और रेलवे लाइन बिछाई गई थी। आपातकाल के दौरान वह कई महीने जेल में रहे। भुलई भाई सादगी और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी पहचान केसरिया गमछा था जिसे वह हमेशा धारण करते थे। उनका जीवन राजनीतिक संघर्ष और समाज सेवा से भरा रहा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
🔴पीएममोदी ने पूछा था कुशलक्षेम
प्रधानमंत्री मोदी ने इस वयोवृद्ध नेता से कोरोना काल में पीएमओ से फोन मिलाकर बात की थी और उनके स्वास्थ्य के बारे में जाना था। उस समय भचलई भाई घर के बाहर कुर्सी पर बैठे थे और फोन पर पीएम मोदी से खुलकर बात की थी। इतना ही नही जब पीएम मोदी कुशीनगर आये थे तो उन्होंने भुलई भाई को कुशीनगर एयरपोर्ट बुलाकर मुलाकात की और कुशलक्षेम पूछा था।
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