बाल तस्करी गंभीर अपराध - जिला जज - Yugandhar Times

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Sunday, August 4, 2024

बाल तस्करी गंभीर अपराध - जिला जज

🔵वर्ल्ड यूथ सोशल आर्गनाइजेशन के तत्वावधान मे उदित नारायण महाविद्यालय मे "बाल तस्करी व रोकथाम'' विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला

🔴बाल तस्करी को सामूहिक प्रयासों से किया जा सकता है खत्म- सूर्य प्रताप 

🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो 

कुशीनगर । जिला जज अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बाल तस्करी एक गंभीर अपराध और मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे खराब स्वरूप है जो हमारे देश के कमोबेश सभी हिस्सों मे देखने को मिल रहा है। इसके वजह से प्रगतिशील व विकसित भारत के लक्ष्य को पाने मे वाधा उत्पन हो रही है।

जिला जज रविवार को वर्ल्ड यूथ सोशल आर्गनाइजेशन के तत्वावधान मे उदित नारायण महाविद्यालय के सभागार मे " बाल तस्करी व रोकथाम विषय पर आयोजित एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाल तस्करी विश्व व्यापी समस्या है इसका मूल कारण शिक्षा व जागरूकता का अभाव एंव गरीबी है।

मुख्य वक्ता स्वामी विवेकानंद राज्य युवा पुरस्कार से सम्मानित व अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही सूर्य प्रताप मिश्र ने कहा कि बच्चे आसान लक्ष्य होते है जो अपने शिकार की तलाश में लगातार लगे इन शिकारियों के चंगुल में फंस जाते है। उन्होंने अपने तमाम अनुभव शेयर करते हुए कहा कि बाल तस्करी सामाजिक बुराई और मानवता पर कलंक है। इस बुराई को सामूहिक प्रयासों से खत्म किया जा सकता है। बाल तस्करी रोकने,कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में सक्रिय सहभागिता हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।सामूहिक प्रयासों से ही बाल व मानव तस्करी जैसी बुराई को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने  घर से दूर पढ़ने वाले बच्चों के प्रति सतर्कता के महत्व पर भी जोर दिया, क्योंकि वे बच्चे तस्करी के लिए विशेष रूप से अतिसंवेदनशील होते हैं। उन्होंने दोहराया कि बाल तस्करी से निपटना एक साझा कर्तव्य है। कार्यशाला मे समाजिक कार्यकर्त्ता सूर्य प्रताप बीच बीच में अपने अनुभव को भी शेयर कर रहे थे। उन्होंने बताया कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 23(1) के तहत मानव/व्यक्तियों की तस्करी निषिद्ध है। जिसके अन्तर्गत अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 (आईटीपीए) व्यवसायिक यौन शोषण एवं तस्करी की रोकथाम के लिए प्रमुख कानून है। बाल तस्करी में आईपीसी की धारा-370 के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत किए जाने का प्राविधान है। इसके अंतर्गत 10 वर्ष की सजा से लेकर एक लाख रूपये जुर्माने का प्राविधान है। इसका मुख्य कारण गरीबी, शिक्षा का अभाव, बढ़ती जनसंख्या, लड़कियों की सामाजिक असुरक्षा, समुदाय मे जागरूकता का अभाव, बाल विवाह कुप्रथा का प्रचलन, बाल श्रम का प्रचलन इत्यादि है।

कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. ममता मणि त्रिपाठी ने कहा कि कहा कि बाल तस्करी सामाजिक बुराई और मानवता पर कलंक है। इस बुराई को सामूहिक प्रयासों से खत्म किया जा सकता है। साथ ही बच्चों को जागरूक करने की आवश्यकता है। हनुमान इंटर कालेज के प्रधानाचार्य शैलेंद्र दत्त शुक्ल व चन्द्रशेखर जी ने कहा कि बाल तस्करी एक वैश्विक समस्या है। इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए सामाजिक स्तर पर व्यापक प्रयास करने होंगे। सिर्फ पुलिस या प्रशासन बाल तस्करी सामाजिक बुराई को खत्म नहीं कर सकते।

कार्यशाला के आयोजक यूथ सोशल आर्गनाइजेशन शशिकांत मिश्रा व इस संस्था के सहयोगी उपज फांउडेशन, द चेतक, युगान्धर टाइम्स, प्रवासी मदद फाउंडेशन, सोशल ट्रांसफाॅमेशन फाउंडेशन ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर ब्रजेश मणि त्रिपाठी, संजय चाणक्य, आरके भट्ट, शम्भू मिश्रा, पवन मिश्रा, दीपक मिश्रा, आदित्य दीक्षित, आदित्य श्रीवास्तव, आफताब आलम, शैलेश उपाध्याय, नीरज पाठक, अर्जुन मिश्रा, सौम्या जायसवाल, सूरज पाठक,  आदर्श दीक्षित, सत्यम पाठक, अरुण पांडेय सहित एनएसएस और एनसीसी के छात्र उपस्थित रहे।



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