🔴कप्तानगंज के एक व्यवसायी व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले रामनरेश अग्रहरी ने उठाया मुद्दा, सम्पूर्ण समाधान दिवस मे शिकायत पत्र देकर की कार्रवाई की मांग
🔵 संजय चाणक्य
कुशीनगर । जनपद के कप्तानगंज मे एक महिला द्वारा अपना और अपने पति के हिस्से का तकरीबन तीन एकड भूमि अपने बेटे को पट्टा किये जाने का मामला प्रकाश में आया है इसको लेकर बखेड़ा खडा हो गया है। जानकारों का कहना है कि पट्टा सरकारी भूमि की दी जाती है न कि निजी और व्यक्तिगत भूमि की। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि महिला ने अपने पुत्र को पट्टा कैसे दे दिया? बताया जाता है कि जिस व्यक्ति के नाम से पट्टा किया गया है उसके पास तीस एकड से अधिक जमीन है। फिर सवाल यह भी उठता है कि जब देश से जमीदारी प्रथा खत्म हो गयी है तो इतना जमीन आया कैसे ? सच्चाई क्या है यह जांच का विषय है। नगर के व्यवसायी व भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले रामनरेश अग्रहरी ने मामले को उजागर कर समाधान दिवस मे शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है। अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई कर रही है।
सम्पूर्ण समाधान दिवस मे रामनरेश अग्रहरी द्वारा तमाम साक्ष्यों के साथ दिये गये शिकायती पत्र मे कहा गया है कि चन्द्रावती देवी उर्फ चंदा देवी खेतान पत्नी मोतीलाल खेतान द्वारा अराजी नम्बर 2510 रबका 0.785 हेक्टेयर व अराजी संख्या 2512 रकबा 0.745 हेक्टेयर अपने पुत्र अनिल खेतान के पक्ष में पट्टा किया गया है जो पुरी तरह नियम विरुद्ध और अवैध है। उन्होंने कहा है कि तकरीबन तीन एकड से अधिक है इस जमीन का बाजार मूल्य एक करोड़ चार बाइस हजार रुपये है। रामनरेश अग्रहरी ने अपने शिकायती पत्र मे खेतान परिवार के अराजी संख्या - 2510,2821घ, 2819क तथा 2836 भूमि का उल्लेख करते हुए कहा है कि इन जमीनों दाखिल वाद का निस्तारण उपजिला मजिस्ट्रेट न्यायालय कप्तानगंज द्वारा 20 मई-2016 को कर दिया गया है वह खतौनी में अब तक अपलोड नही है। उन्होंने पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई करने की मांग की है।
चन्द्रावती देवी उर्फ चंदा देवी खेतान पत्नी मोतीलाल खेतान ने अपने पट्टा विलेख अपना और अपने पति मोती लाल खेतान के जमीन का हिस्सा अपने बेटे अनिल खेतान के नाम पट्टा करने का अधिकारी बताते हुए आठ शर्तों पर पट्टा किया है। चंदा देवी ने अपने पट्टा विलेख मे लिखा है कि उनके पुत्र अनिल खेतान जिनके नाम से पट्टा किया गया है उन्हे यह अधिकार है कि पट्टाशुदा भूमि पर वह पुराने निर्माण को ध्वस्त कराकर नये सिरे से निर्माण कराकर व्यवसाय करे या फिर जैसे चाहे वैसे उपयोग कर सकते है। चंदा देवी ने भी यह लिखा है कि पट्टा लेने वाले उनके पुत्र अनिल खेतान को पट्टाशुदा सम्पत्ति को किसी भी व्यक्ति, कम्पनी अथवा संस्था को उप पट्टा करने का अधिकार है। उन्होंने पट्टाशुदा सम्पत्ति को बैंक में बधक रखने का अधिकार भी पट्टाधारक को दिया है। जबकि जानकारों का कहना है पट्टा की जमीन पर पट्टाधारक को इस तरह का कोई अधिकार नही है। ऐसे में सवाल उठना मुनासिब है कि चन्द्रावती देवी द्वारा अपने पुत्र अनिल खेतान को किया गया पट्टा वैध है या अवैध।
🔴 सरकारी जमीन का होता है पट्टा
जानकार बताते है कि सरकारी जमीन जिस पर सरकार का हक होता है। उस जमीन को जरूरतमंद व्यक्ति के नाम शासन द्वारा पट्टा किया जाता है। जमीन की पट्टा लेने के लिए व्यक्ति के पास खुद की जमीन नहीं चाहिए। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार जरूरतमंद व्यक्ति को जिस उद्देश्य से जमीन का पट्टा दे रही है। उस व्यक्ति को जमीन का उपयोग उसी उद्देश्य में करना होता है।
🔴 पट्टे का जमीन का मालिक सरकार है, नही हो सकती खरीद-बिक्रीपट्टे वाली जमीन का मालिक सरकार होती है और शासन द्वारा जमीन का पट्टा जरूरतमंद व्यक्तियों को उनके जरूरत के हिसाब से (कृषि व आवास के हेतु ) दिया जाता है, इसे न तो कोई बेच सकता है और न ही कोई खरीद सकता है। विशेषज्ञ यह भी कहते है कि जिस व्यक्ति को कोई जमीन पट्टा मिलता है उस पर उसका मालिकाना हक नहीं होता है। वह सिर्फ उस जमीन को निश्चित समय के लिए उपयोग में ले सकता है, और जब भी सरकार को उस जमीन की आवश्यकता पड़ेगी उस वक्त उसे सरकार को उस जमीन को सौंपना पड़ता है। इसीलिए इस जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती है। भारत के संविधान के हिसाब से भी किसी भी पट्टा वाले जमीन की खरीद बिक्री को गैरकानूनी माना गया है।
No comments:
Post a Comment