🔴आजम सहित चार आरोपियों को 16 मार्च को रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया था
🔴पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में हुए पेश, सीतापुर जेल में बंद है आजम
🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
लखनऊ। सूबे के रामपुर के चर्चित डूंगरपुर मामले में सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को सात साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही तीन अन्य दोषियों को पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है. इनमें रामपुर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अजहर अहमद खान, पूर्व क्षेत्राधिकारी आले हसन और बरकत अली शामिल हैं। रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने 16 मार्च को चारों मुल्जिमो को मुजरिम करार दिया था। सीतापुर जेल में बंद पूर्व कैबिनेट मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए।
काबिलेगौर है कि वर्ष 2019 में रामपुर की डूंगरपुर बस्ती में निजी जमीन पर जबरन कब्जा करने आए आरोपियों ने जमकर हंगाम किया था। आरोप है कि वहां मौजूद घर में घुसकर लोगों से मारपीट की गई थी. पैसे और सामान लूट लिए गए थे. यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद जमीन के मालिक एहतेशाम ने आजम खान सहित छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 452, 504, 506 और 120बी के तहत केस दर्ज है।
🔴 आपराधिक षड्यंत्र रचने का दोषी
मामले में आजम खान को आपराधिक साजिश रचने का दोषी माना गया, जबकि बाकी तीन लोगों पर घर में घुसकर मारपीट करने, धमकाने और डकैती जैसे गंभीर दोष सिद्ध हो चुके हैं. दो आरोपी सबूतों के अभाव में बरी हो चुके हैं. दोषियों पर लगाई गई धाराओं में आईपीसी की धारा 452 के तहत अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रावधान है. शेष धाराओं में अधिकतम छह महीने से लेकर दो साल तक की सजा का प्रावधान है।
🔴डूंगरपुर मामला: फ्लैशबैकडूंगरपुर प्रकरण सपा शासनकाल का है। तब पुलिस लाइन के पास डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे। यहां पहले से कुछ लोगों के मकान बने हुए थे, जिन्हें सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में तोड़ दिया गया था। वर्ष 2019 में भाजपा की सरकार आने पर गंज कोतवाली में 12 मुकदमे दर्ज कराए थे। इनमें एक मुकदमा जेल रोड निवासी एहतेशाम की तहरीर पर दर्ज हुआ था।
🔴जनता दरबार में फरियादी के साथ की गई अभद्रता
मामले में उनका कहना था कि वर्ष 2011-12 में उनके द्वारा डूंगरपुर में 373 गज जमीन खरीदी थी। इसमें थोड़ी सी जगह में छोटा सा मकान बनाकर वह परिवार के साथ रहने लगे। बाकी जगह में स्कूल खोलने की तैयारी थी। तीन फरवरी 2016 की रात नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अजहर खां, तत्कालीन सीओ सिटी आले हसन खान और बरेली के थाना इज्जतनगर में ग्राम कंजा निवासी बरकत अली ठेकेदार 20-25 पुलिस वालों को लेकर उनके घर में घुस आए। मारपीट कर मकान से बाहर निकाल दिया। घर में रखे 25 हजार रुपये और इंटेक्स कंपनी का मोबाइल लूट लिया। उन्होंने इसकी शिकायत तत्कालीन मंत्री आजम खां के जनता दरबार में की तो आजम खां ने उनकी बात सुनने के बजाय अभद्रता की।
🔴 जनता दरबार में फरिदायी से मारपीट
जनता दरबार में मौजूद ओमेंद्र सिंह चौहान, जिबरान, फरमान आदि ने उनके साथ मारपीट कर भगा दिया था। इसके बाद पुलिस ने जांच कर सभी के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिए थे। मुकदमे की सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है। इस मामले अंतिम बहस हो चुकी है। पत्रावली फैसले के लिए सुरक्षित रख ली थी।
🔴अब तक पांच मामलों में हो चुकी है सजा
आपको बतादे कि आजम खां के खिलाफ वर्ष 2019 में ताबड़तोड़ 84 मुकदमे दर्ज हुए थे। इनमें ज्यादातर न्यायालय में विचाराधीन हैं। आजम खान को अब तक पांच मामलों में सजा हो चुकी है। पिछले साल फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट केस में सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई गई थी। फेक बर्थ सर्टिफिकेट का यह केस साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी।चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया था. उन पर आरोप लगा था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फार्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है. आरोप था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में 30 सितंबर 1990 है। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी. अब्दुल्ला आजम की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया गया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था. अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है। इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है. दरअसल, अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र हैं. एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया था, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है. वहीं दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया था, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया है। बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में भी आजम खान को बीते वर्ष सात साल की सजा हुई थी। उस मामले में वह सीतापुर की जेल में बंद हैं। उनकी पत्नी पूर्व सांसद तजीन फात्मा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को भी सात साल की सजा पहले ही हो चुकी है।
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