स्वामी प्रसाद के फिर बिगडे बोल, हिन्दू धर्म को बताया धोखा - Yugandhar Times

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Wednesday, December 27, 2023

स्वामी प्रसाद के फिर बिगडे बोल, हिन्दू धर्म को बताया धोखा

 

🔴सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के नसीहत को स्वामी ने दिखाया ठेंगा

🔴 सपा के लिए नुकसानदायक न साबित हो स्वामी प्रसाद मौर्य

🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो  

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के महासचिव, विधानपरिषद के सदस्य व कुशीनगर जनपद के फाजिलनगर विधानसभा से करारी हार का सामना कर चुके स्वामी प्रसाद मौर्य के बिगडे बोल फिर सामने आया है। मौर्य ने अपने तरकस से शब्दबेदी बाण छोडते हुए हिंदू धर्म को धोखा बताया है। वह इसके पूर्व हिन्दू देवी-देवताओं और रामचरित मानस पर घटिया टिप्पणी कर पहले भी कई बार अपनी धू-धू करा चुके है। कहना न होगा कि हाल में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं से धर्म को लेकर विवादित बयान देने से बचने की नसीहत भी दी थी। बावजूद इसके मौर्य पर इसका कोई असर दिखाई नही दे रहा है। 

काबिलेगौर है कि स्वामी प्रसाद दिल्ली में जंतर-मंतर पर एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जहाँ उन्होंने हिंदू धर्म को एक धोखा बता दिया, जिसके बाद विवाद तेज हो गया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "हिंदू धर्म एक धोखा है. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में अपने आदेश में कहा था कि हिंदू कोई धर्म नहीं है, ये लोगों के जीवन जीने की एक शैली है."सपा नेता ने आगे कहा, "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दो बार बार कहा कि हिंदू कोई धर्म नहीं है, यह जीवन जीने का एक तरीका है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि हिंदू कोई धर्म नहीं है. जब ये लोग ऐसे बयान देते हैं तो भावनाएं आहत नहीं होतीं लेकिन अगर यही बात स्वामी प्रसाद मौर्य कह देते हैं तो हिंदू धर्म, धर्म नहीं है बल्कि एक धोखा है, जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं वो कुछ लोगों के लिए धंधा है तो लोगों की भावनाएं आहत हो जाती हैं."

🔴ब्राह्मण महापंचायत में उठी मौर्या के बड़बोलेपन की आवाज  

बता दें कि हाल ही में लखनऊ में महा ब्राह्मण समाज पंचायत का सम्मेलन हुआ था, जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए. अखिलेश यादव के सामने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का मुद्दा भी उठा. हिंदू धर्म और रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर ब्राह्मण समाज के लोगों, सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाम लिए बगैर आपत्ति जताई. पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस तरह के बयानों पर रोक लगाने की मांग की. 

🔴अखिलेश ने कहा था अंकुश लगाएंगे

पंचायत में जब ये मुद्दा उठा, तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया. अखिलेश यादव ने कहा कि इस तरह की चीजों पर अंकुश लगाया जाएगा. उन्होंने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह नसीहत दी कि धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करें. अखिलेश यादव पहले भी जाति-धर्म को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं, लेकिन स्वामी प्रसाद पर इसका असर होता नजर नहीं आ रहा है।

🔴स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी दिए है विवादित बयान

ऐसा पहली बार नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस तरह का विवादित बयान दिया है। इससे पहले भी वह हिंदू धर्म, मां लक्ष्मी और रामचरितमानस पर दिए गए बयान को लेकर चर्चा में आए रहे। सपा नेता ने माता लक्ष्मी पर विवादित बयान देते हुए कहा था कि दुनिया में कहीं भी चार हाथ वाले बच्चे पैदा नहीं होते तो माता लक्ष्मी कैसे हो गईं? इससे पहले उन्होंने हरदोई में कहा था कि जिसको तुम हिंदू राष्ट्र बोलते हो वह भारत राष्ट्र शापित है। यह भारत कभी भी न हिंदू राष्ट्र था, न है और न रहेगा इसलिए हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले देशविरोधी हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए उन्होंने कहा था कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इतना ही नही स्वामी प्रसाद मौर्य शादियों में गौरी-गणेश की पूजा न करने की बात भी कह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यह व्यवस्था दलितों और पिछड़ों को गुमराह करने और उन्हें गुलाम बनाए रखने के लिए बनाई गई है।

🔴 रामायण व महाभारत को पाठ्यक्रम मे शामिल करने पर क्या बोले थे मौर्य 

एक्स ( ट्यूटर) पर एक पोस्ट में स्वामी प्रसाद मौर्य ने यहां तक कह दिया था कि क्या एनसीईआरटी और सरकार, रामायण और महाभारत को पाठ्यक्रम में शामिल कर सीता, शूर्पणखा व द्रोपदी जैसी महान देवियों को क्रमशः अग्नि परीक्षा के बाद भी परित्याग, वैवाहिक प्रस्ताव पर नाक-कान काटने की त्रासदी और द्रोपदी जैसी अन्य तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ावा देना चाहती है?'स्वामी प्रसाद मौर्य इतने पर भी नहीं रुके थे। उन्होंने आगे लिखा था, 'एक ने भाई को भाई से लड़ाने का काम तो दूसरे ने भाईयों-भाईयों को आपस में लड़ाया। क्या सरकार पारिवारिक विद्यटन को और भी बढ़ावा देने की पक्षधर है?'

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