🔵 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीक्षांत समारोह को किया संबोधित
🔴राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू बोली- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्वतंत्रता संग्राम का है जीवंत प्रतीक
🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
वाराणसी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ''दो भारत रत्नों का इस संस्थान से जुड़ना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की गौरवशाली विरासत का प्रमाण है। भारत रत्न डॉ. भगवान दास इस विद्यापीठ के पहले कुलपति थे और पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री इस संस्था के पहले बैच के छात्र थे। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपने आचरण में अपनायें।''
राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को यूपी के वाराणसी में थी वह महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ मे आयोजित 45 वे दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस विद्यापीठ की यात्रा हमारे देश की आजादी से 26 साल पहले गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ शुरू हुई थी। असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था के रूप में यह विश्वविद्यालय हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। राष्ट्रपति ने आगे यह भी कहा कि, काशी विद्यापीठ का नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखने के पीछे का उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। उन आदर्शों पर चलकर अमृत काल में देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना ही विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माण संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वाराणसी प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रहा है। आज भी इस शहर की संस्थाएँ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षकों से ज्ञान के केंद्र की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को समृद्ध करते रहने का अपील किया।
🔴कलश में पानी डालकर की समारोह की शुरुआतकार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कलश में पानी डालकर दीक्षांत समारोह की शुरुआत की. इस मौके पर राज्यपाल के संबोधन के बाद महामहिम ने सभी विद्यार्थियों, उनके शिक्षकों और परिजनों को बधाई दी और कहा कि, "बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आना अपने आप में सौभाग्य की बात है. काशी का अभिप्राय है सदैव प्रकाशमान रहने और सदैव प्रकाशित रखने वाला ज्योतिपुंज. पिछले महीने काशी में देव दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया गया." राष्ट्रपति ने कहा," मुझे बताया गया है कि उस पर्व को 72 देशों के प्रतिनिधियों ने हमारे देशवासियों के साथ यहां मनाया. हिन्दी माध्यम में उच्च-स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने काशी विद्यापीठ की अपनी परिकल्पना की चर्चा महात्मा गांधी से की थी और गांधीजी ने उसे सहर्ष अनुमोदन प्रदान किया था।
🔴 विशेष विमान से वाराणसी एयरपोर्ट पर पहुंची राष्ट्रपति, रही कड़ी सुरक्षाकहना ना होगा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर सोमवार को सुबह 11 बजकर 11 मिनट पर वायुसेना के विशेष विमान से एयरपोर्ट पर पहुंचीं. तो वहीं उनके आगमन से पहले ही फ्लीट सुबह 9 बजकर 10 मिनट एयरपोर्ट पर पहुंच गई। यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने राष्ट्रपति की अगवानी की। वह राजकीय विमान से सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर एयरपोर्ट पर पहुंच गई थीं. एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद सुबह 11 बजकर 28 मिनट शहर स्थित काशी विद्यापीठ में दीक्षांत समारोह के लिए रवाना हुईं. बता दें कि एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के साथ ही सांसद बीपी सरोज ,आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा, श्रम मंत्री अनिल राजभर ,मेयर अशोक तिवारी ,ज़िलाधिकारी ,पुलिस आयुक्त सहित ज़िले के आला अधिकारियों ने अगवानी की. इस दौरान एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही।
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