🔴 पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं रखती है करवा चौथ निर्जला व्रत
🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। अखंड सौभाग्य के लिए विवाहित महिलाओं ने बुधवार को करवा चौथ व्रत रखकर विधि विधान पूर्वक पूजन-अर्चन किया। सूर्योदय से लेकर चांद दिखने तक महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा। चांद को अर्घ्य देकर अपने सुहाग का दीदार करने के बाद व्रतियों ने व्रत तोड़ा। घरों व मंदिरों में उत्सव का माहौल रहा। जिस परिवार में व्रत का आयोजन था उस घर के सभी सदस्य भक्ति भाव में डूबे रहे। मंदिरों में कथा सुनने के लिए सुहानियो की भीड़ उमड़ पड़ी।
मान्यता के अनुसार पति के अखंड सौभाग्य, दीर्घायु व स्वस्थ रहने के लिए सुहागिनों ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूर्ण मनोयोग से करवा चौथ व्रत रखा। सोहल श्रृंगार में सजी महिलाओं ने सूर्योदय से व्रत शुरू किया। सुहाग के रक्षक भगवान श्रीगणेश को मन में धारण किया। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती महिलाओं को यह व्रत करने का अधिकार है। व्रत के पूजन में करवा, चिउड़ा, नया चावल, नए चावल का आटा, मूज, चलनी आदि का प्रयोग प्रमुख रूप से किया गया। सूर्यास्त के बाद चांद के निकलने पर व्रतियों ने चलनी में चांद का दीदार किया।
🔴 व्रती महिलाओं मांँ गौरी की करती है पूजा-अर्चनाकरवा चौथ के दिन सुहागिन व्रती महिलाएं मांँ गौरी की पूजा करती हैं। उन्हें हलवा-पूरी का भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं। व्रत के दिन विवाहित महिलाएं चांद देखने से पहले किसी को भी दूध, दही, चावल, सफेद कपड़ा या कोई भी सफेद वस्तु नहीं देती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं। इस दिन गेहूं अथवा चावल के तेरह दानें हाथ में लेकर कथा सुनी जाती है। मिट्टी के करवे में गेहूं, ढक्कन में चीनी एवं उसके ऊपर वस्त्र आदि रखकर सास, जेठानी को देने की परम्परा है। रात में चंद्रमा के उदय होने पर चलनी की ओट में चंद्रमा का दर्शन कर अर्घ्य देने के पश्चात व्रत खोलना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में द्रोपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत रखा था। व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। इस दिन महिलाओं को चाहिए कि वे सोलह श्रृंगार करें और अच्छा भोजन खाएं। इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिलता है।
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