🔵हर हर गंगे के जयघोष से गुंजायमान हुआ बासी व नारायणी घाट
🔴कार्तिक पूर्णिमा विशेष
🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। यूपी-बिहार सीमा से सटे ऐतिहासिक बांसी धाम घाट व नारायणी के विभिन्न घाटों पर सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डूबकी लगाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान तमाम श्रद्धालुओं ने गौ दान भी किया। महिलाओं और बच्चों ने मेले मे खूब खरीदारी की। इस दरम्यान पुलिस प्रशासन पूरी तरह चौकस रहा
काबिलेगोर है कि कीर्तिक पूणिमा पर बासी नदी व नारायणी नदी मे स्नान की महत्ता को ध्यान मे रखते हुए सोमवार को भोर से ही श्रद्धालु बांसी व नारायणी नदी के दोनों तटों पर बने घाट पर पहुंचने लगे। सुबह के पांच बजते ही यूपी बिहार की सीमा पर स्थित बासी नदी के दोनों तरफ बने घाटो श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा हो गयी। इस दौरान हर हर गंगे की जयघोष के साथ श्रद्धालुओं ने बासी नदी मे स्थान कर भगवान सूर्य देव को जल अर्पित किया। तत्पश्चात विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गौदान किया। ठंड मे भी श्रद्धालुओं की उत्साह देखने लायक थी।
🔴युपी बिहार प्रशासन की रही कड़ी चौकसीएतिहासिक बांसी मेले को लेकर स्थानीय बांसी पुलिस चौकी द्वारा विशेष चौकसी बरती गई थी। इस दौरान महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ-साथ पीएसी के जवान भी भारी संख्या मे मुस्तैद रहे।
🔵 सौ काशी एक बासीऐसी मान्यता है कि काशी में अपने जीवन के अंतिम दिन बिताने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापो का नाश होकर पुण्य का भागीदार होता, लेकिन यूपी-बिहार की सीमा में बहने वाली बांसी नदी के विषय मे ऐसी मान्यता है " सौ काशी एक बासी" मतलब बासी नदी मे एक बार डूबकी लगाने से काशी में सौ बार स्नान-ध्यान करने के बराबर पुण्य मिलता है। आदिकाल से चली आ रही इस मान्यता को मानते हुए कई प्रदेशों से श्रद्धालु कुशीनगर व बिहार बॉर्डर पर स्थित बांसी तट पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर हज़ारों की संख्या में लोग बांसी नदी में स्नान कर पुण्य के भागीदार बनते है। बांसी का यह क्षेत्र भगवान राम और उनसे जुड़े संस्मरण विभिन्न समय, काल और स्थान से जुड़ा है।
🔴 कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ता हैश्रद्धालुओं का रेला पवित्र बांसी नदी में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान दान करने का काफी महत्व है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक उत्तर प्रदेश-बिहार राज्य की सीमा पर स्थित कुशीनगर जिले के जंगल सिंघापट्टी गांव से होकर गुजरने वाली बांसी नदी के किनारे भगवान राम ने माता सीता और बारातियों संग रात बिताई थी।मान्यता के मुताबिक भगवान राम ने त्रेता युग में जनकपुर में माता सीता से विवाह के उपरांत जब अयोध्या के लिए रुख किये थे तो बांसी पहुंचते-पहुंचते दिन ढलने लगा था। देवरण्य क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध यह जगह जंगलों से घिरा था और जंगली जानवरों का बसेरा था। वह खुले रूप से विचरण करते थे। इस वजह से भगवान राम की बारात लौटते समय सुरक्षा के दृष्टिगत बारात यहीं रुक गयी और रात्रि विश्राम किया। मान्यता है कि सुबह बांसी नदी मे स्थान-ध्यान करने के पश्चात भगवान श्रीराम अयोध्या के लिए प्रस्थान किये थे।
🔴बासी नारायणी घाटों पर लगा मेला, आकर्षक का केन्द्र रहा झूलापडोसी राज्य बिहार के सीमा से सटे बासी नदी व सेवरही में बासी नदी के शाखा शिवाघाट एंव पिपराघाट व छितौनी मे नारायणी नदी के संगम स्थल पर श्रद्धालुओं ने स्थान किया। बासी व नारायणी घाटों पर लोगो ने गंगा आरती की। घाटों पर मेले जैसा माहौल रहा। इसके अलावा पाण्डेयपट्टी, गौरीघाट, बीरवट, अहिरौलीदान, हेतिमपुर मे भी लोगो ने स्थान-दान किया। बासी व नारायणी घाटों पर लगे मेले मे बाहर से आये झूला, सर्कस, जादूगर आकर्षण का केन्द्र रहा जिसमे बच्चों और युवाओं के साथ साथ महिलाओं की अच्छी खासी भीड देखी गयी।
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