🔴 पीडिता ने न्याय न मिलने की सूरत में परिवार सहित आत्मदाह की मांगी अनुमति
🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। कुटरचित कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर एसडीएम न्यायालय से आदेश कराकर वास्तविक साक्ष्य मिटाने की नीयत से बन्दोबस्त खतौनी का पन्ना फड़वाकर साक्ष्य मिटाने वाले दबंगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक महिला ने राज्यपाल को पत्र भेजकर न्याय कि गुहार लगायी है। पीडिता ने कहा मुझे न्याय चाहिए अगर न्याय नही मिल सकता है तो परिवार के साथ आत्मदाह करने अनुमति दी जाए।
मामला जनपद के पडरौना नगर के महंत द्विग्विजयनाथ नगर का है। पिडिता हाजरा खातून ने राज्यपाल को भेजे गये पत्र मे कहा है कि पडरौना तहसील क्षेत्र के पडरौना मौजा में अराजी संख्या- 2340/0.044 हेक्टेयर व 2352मी/0.089 हेक्टेयर कुल 0.0133 हेक्टेयर मे से 1/3 भाग 0.044 1/3 हेक्टेयर आवासीय भूमि मेहदी हसन, हसनैन, मुबारक अली व ज्याउल हक आदि से 14 नवंबर 2011 को रजिस्टर्ड बैनामा के माध्यम से क्रय कर काबिज है। लेकिन सह खातेदार भू-माफिया बलाल व खुर्शीद पुत्र सलाउद्दीन, रियाजुद्दीन उर्फ लाला व सैमुदीन पुत्र बेचई व गयासुद्दीन, बशीरुद्दीन, अमीरुद्दीन, इमामुद्दीन पुत्र सैमुद्दीन ने अपना सम्पूर्ण हिस्सा पडरौना छावनी निवासी आयशा खातुन पत्नी अलाउददीन सिददीकी को 29 दिसंबर 2011 को रजिस्टर्ड बैनामा कर बेच दिया है। इसके बाद बलाल व खुर्शीद पुत्र सलाउद्दीन, रियाजुद्दीन उर्फ लाला, सैमुदीन पुत्र बेचई, गयासुद्दीन, बशीरुद्दीन, अमीरुद्दीन, इमामुद्दीन पुत्र सैमुद्दीन अपने दबंगई के बल पर पडरौना तहसील के कर्मचारियों के मिलीभगत से सरकारी अभिलेखो मे कूटरचित कर फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर एसडीएम न्यायालय पडरौना से एक पक्षीय आदेश पारित करा लिया। इतना ही नही भू-माफियाओं ने सरकारी अभिलेख मे दर्ज वास्तविक साक्ष्य को मिटाने की नीयत से जिला राजस्व अभिलेखागार के बंदोबस्त खतौनी से 1347 फसली के दो पन्ने फड़वा दिया है। पीड़िता ने कहा है कि उक्त प्रकरण के संबंध में तहसील से लगायत जिला स्तर व प्रदेश स्तर तक के उच्चाधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री को कई बार शिकायती पत्र भेज कर न्याय की गुहार लगा चुकी है लेकिन अभी तक न तो मुझे न्याय मिला और न भू-माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी। नतीजतन भू-माफिया जबरिया मेरे जमीन को बेचने का प्रयास कर रहे।
🔴भू-माफियाओ ने मृतक व्यक्तियों को बनाया हथियारपडरौना सदर तहसील क्षेत्र के पडरौना स्थित अराजी संख्या में पीड़िता हाजरा खातून ने 44 हेक्टेयर आवासीय भूमि बैनामा के जरिए क्रय किया। इसके बावजूद सह खातेदारों ने बलाल व खुर्शीद पुत्र सलाउद्दीन, रियाजुद्दीन उर्फ लाला व सैमुदीन पुत्र बेचई व गयासुद्दीन, बशीरुद्दीन, अमीरुद्दीन, इमामुद्दीन पुत्र सैमुद्दीन ने पीड़िता की क्रय की गई भूमि को हड़पने के नियत से मृतक पूर्वजों को हथियार बनाते हुए उनके मृत्यु के उपरांत सन 2011 में एक रुपये का वर्ष 1946 के स्टांप पेपर पर फर्जी तरीके से रंजीत पुत्र बिहारी व जुगनू, जुमराती व कोलाहल पुत्रगण मोहर के बीच फर्जी समझौता तैयार कराया गया, जबकि वर्ष 1940 के पूर्व समझौता करने वाले लोगो के वारिस बेचई, मोलई, पीतांबर व दूधनाथ पुत्रगण जुगनू व रहमतल्ली, मोहम्मदल्ली व मोहरम पुत्रगण जुमराती एवं झंझट व भोला पुत्रगण कोलाहल का बतौर वारिस राजस्व अभिलेख में नाम दर्ज था। (ऐसे मे सवाल यह उठता है कि वर्ष 1940 मे बच्चो का नाम सरकारी अभिलेखों मे दर्ज था तो फिर वर्ष 1946 मे पिता कैसे समझौता कर लिए ) इसके बाद कूटरचित कर फर्जी समझौता के आधार पर एसडीएम न्यायालय से वर्ष 2012 में एक पक्षीय आदेश पारित करा राजस्व अभिलेख मे अपना नाम दर्ज करा लिया है। इसके बाद पीड़िता ने अपने क्रय की गई जमीन के बाबत जिला राजस्व अभिलेखागार में अभिलेखों का मुआईना कराया तो इस फर्जीवाड़ा की जानकारी हुई। तथा संबन्धित दस्तावेज मे पाया कि एक पक्षकार रंजीत पुत्र बिहारी, पिता-पुत्र न होकर रंजीत उर्फ बिहारी, जो वास्तव में एक ही व्यक्ति है। फर्जीवाड़े का पोल खुलता देख भू-माफिया जिला राजस्व अभिखागार के कर्मचारियों की मिलीभगत से साक्ष्य मिटाने की नियत से अप्रैल 2013 मे बन्दोवस्त खतौनी 1347 फसली के दो पन्नों को फड़वा दिया था जबकि उक्त फटे पन्नों का 12 अगस्त - 2008 को नकल जारी किया गया है। जिसके सम्बन्ध में पीड़िता ने तत्कालीन डीएम को 4 जून-2013 को शिकायती पत्र के माध्यम से अवगत कराया। इसको गंभीरता से लेते हुए डीएम ने ओसी अभिलेखागार को तत्काल जांच कर कार्यवाही करने निर्देश दिया था। किन्तु इस मामले में अभी तक जालसाजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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