🔵 संजय चाणक्य
कुशानगर। खाकी की रौब मे कभी बिहार मे जाकर पिस्टल लहराकर हाथापाई कर खाकी की जगहसाई करने तो कभी जिलाधिकारी से बदसलूकी कर उनके खिलाफ तस्करा लिखकर दबगई दिखाने तो कभी व्यापरियों पर लाठी भाजकर तो कभी बेकसूरों के खिलाफ मुकदमा लिखकर हमेशा विवादित रहने वाले थानाध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह एक बार फिर चर्चा मे है। इनके बारे मे कहा जाता है कि साहब जहां भी रहे है इनके काम नही कारनामें बोलते रहे है। यही वजह है कि बीते दिनों सीजेएम न्यायालय के आदेश पर इनके खिलाफ पडरौना कोतवाली में लूट सहित अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, इस संबंध मे जब निर्भय नारायण से बात किया गया तो उन्होंने पुलिसिया अंदाज मे बडी ही दबंगई के साथ कहा कि यह पुराना मामला है खत्म हो गया है इस पर एफआर लग गया है। हालाकि विवेचना कर रहे पडरौना कोतवाल का कहना है कि नियमानुसार विवेचना की जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि हमेशा विवादो मे रहने वाले निर्भय नारायण पर जब गंभीर धाराओं मे मुकदमा दर्ज है तो फिर यह थानेदारी कैसे कर रहे है? जानकारों का मानना है कि कानून सबके लिए बराबर है। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस जिस तरह से आम जनमानस के साथ कार्रवाई करती है वही नियम निर्भय नारायण सिंह पर भी लागू होती है। अगर ऐसा नही हो रहा है तो इसका मतलब साफ है कि आरोपी इंस्पेक्टर के रसूख के आगे विभाग के जिम्मेदार लाचार है।
गौरतलब है वर्ष 2022 मे जनपद के पडरौना कोतवाली के प्रभारी रहे निर्भय नरायण सिंह पर कोतवाली क्षेत्र के दांदोपुर निवासी अशोक सिंह ने मार-पीटकर मोबाइल व नगदी छीनने का आरोप लगाया है। 19 मई 2022 को सीजेएम कोर्ट में दाखिल वाद में अशोक सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 मे आपस मे हुए विवाद मे दर्ज एनसीआर मे बयान देने के लिए वह 9 मई 2022 को अपने गांव के गवाह राधाकृष्ण यादव के साथ पडरौना कोतवाली में गये हुए थे। यह मामला वर्ष 2017 से लंबित था। कोतवाली मे मौजूद तत्कालीन कोतवाल निर्भय नारायण सिंह, एसआई संजय कुमार शाही, सिपाही अनिल कुमार यादव ने गांव के देवव्रत, सत्यव्रत, सूर्या व लोकेश के प्रभाव में आकर हम दोनों को मारे-पीटे,और नकदी, मोबाइल आदि छीन लिए। इसके बाद पुलिस ने विपक्षियों के प्रभाव में आकर शांतिभंग के आरोप में उन्हें चालान भी कर दिया। अशोक ने कोर्ट को आगे बताया है कि एसडीएम कोर्ट से जमानत होने के बाद जब वह लोग रिहा हुए तो अगले ही दिन कोतवाली पहुंचकर इस घटना की तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। एसपी कार्यालय में भी प्रार्थना-पत्र दिया पर सुनवाई नहीं हुई। पीड़ित द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य व पत्रावलियों के अवलोकन के पश्चात कोर्ट ने बीते 11 जून को पडरौना के तत्कालीन कोतवाल निर्भय नारायण, उप निरीक्षक संजय कुमार शाही, आरक्षी अनल कुमार यादव के अलावा उपरोक्त चार अन्य आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश दिया जिसके बाद पडरौना कोतवाली ने सभी आरोपितों के विरुद्ध धारा 342, 504, 506, 392 व 120 (बी) के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना कर रही है। कहना न होगा तत्कालीन कोतवाली प्रभारी व वर्तमान मे हाटा कोतवाल की जिम्मेदारी उठा रहे निर्भय नारायण सिंह का विवादो से गहरा नाता रहा है यह कहना गलत नही होगा कि खाकी की जगहसाई करना निर्भय नरायण के आदत मे शुमार है जिसकी कुछ बानगी पर नजर दौडायें तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि साहब विभाग की छवि धूमिल करने में कभी कोई कोर-कसर नही छोडे है। हा यह बात दीगर है कि साहब की ऊची पहुंच के आगे शासन-सत्ता मे बेठे लोग इनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय लाचार बने हुए हैं।
🔴 केस-एकवर्तमान में हाटा कोतवाली के प्रभारी निर्भय नारायण सिंह जब तरयासुजान थाने के थानेदार थे तब इनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह बिहार बॉर्डर में घुस कर नशे में धुत होकर हंगामा कर रहे थे उस समय जब वहां के स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो वह अपनी पिस्टल निकाल कर लहराने लगे और वर्दी का धौंस दिखाते हुए लोगों से हाथापाई करने लगे थे।
🔴केस संख्या - दो
साहब को जब नेबुआ नौरंगिया थाने की थानेदारी मिली तो साहब अपनी आदत मे शुमार आम जनता मे खौफ पैदा करने के लिए व्यापारियो पर लाठी चटकाई। इसका असर यह रहा कि आम जनमानस अपनी फरियाद लेकर इनके पास जाने से कतराने लगी। नतीजतन अपराध पर अंकुश लगाने के बजाय अपराधियों को साहब का संरक्षण मिलने लगा, बेकसूर प्रताडित होने लगे। आजिज आकर यहां की जनता तत्कालीन विधायक व वर्तमान सांसद विजय दुबे की शरण मे जाकर निर्भय नारायण सिंह की शिकायत की, जनता की तकलीफों को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन विधायक ने थानेदार को समझाया किन्तु खाकी रौब में साहब इतने चूर थे कि इनके आदत मे कोई सुधार नही हुआ। इसके बाद विधायक को इनके खिलाफ धरने पर बैठना पडा जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई करते हुए इनको को नेबुआ नौरंगिया से हटा दिया।
🔴 केस संख्या - तीन
रौबदार एसओ निर्भय नारायण सिंह ने उस समय अपनी हद पार कर दी जब वह पटहेरवा थाने के इंचार्ज रहे। बताया जाता है कि किसी मामले को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी आन्द्रा वामसी ने उन्हें अपने कार्यालय मे तलब किया था। उस समय यह साहब अनुशासनहीनता का हद पार कर कार्यालय मे ही डीएम से भीड गये और देख लेने तक कि घमकी दे डाली। इतना ही नही तत्कालीन जिलाधिकारी आन्द्रा वामसी के खिलाफ निर्भर नारायण ने अपने थाने मे तस्करा भी लिख दिया। इसके बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने इनको पटहेरवा थानेदार पद से हटाकर पुलिस लाइन में बुला लिया। फिर कुछ माह बाद इनका स्थानांतरण महराजगंज हो गया। साहब वहा भी अपने कारनामे को लेकर चर्चा और विवादो मे बने रहे। कहा जाता है कि निर्भय नारायण के कारनामों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। इसमे रामकोला की एक सबसे चर्चित घटना भी शामिल है। अब सवाल यह उठता है कि कुशीनगर जिले में इतना विवादित रहने के बाद यहां से स्थानांतरित होकर गैर जनपद में गये निर्भय नारायण सिंह का कुशीनगर जनपद से क्या गहरा लगाव है कि फिर वह कुशीनगर जिले मे वापस आ गये, जो जांच विषय है।
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