कुशीनगर। रमजान का पाक महीना शुक्रवार से शुरू हो गया। कहा जाता है कि माह-ए-रमजान मे इस पूरे महीने अल्लाह की सच्चे मन से इबादत की जाती है। इस महीने में रोजा रखने के अलावा रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। रमजान का मतलब सिर्फ रोजा रखने से ही नहीं है बल्कि इस पवित्र महीने मे उन चीजों से भी तौबा की जाती है जो इंसानियत के दायरे में नहीं आती हैं।
पवित्र रहमत और बरकत से भरा रमजान का महीना मोमिनों को अल्लाह से प्यार और लगन जाहिर करने के साथ खुद को खुदा की राह की सख्त कसौटी पर कसने का मौका देने वाला यह महीना बेशक हर बंदे के लिए नेमत है। रमजान का महीना चांद के दीदार के साथ शुरू होता है। इस साल यह पवित्र महीना 24 मार्च यानि शुक्रवार से शुरू हो रहा है। पहला रोजा 12 घंटे 18 मिनट का होने की संभावना है। रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक दिनभर भूखे-प्यासे रहकर खुदा को याद करने की मुश्किल साधना करते रोजेदार को अल्लाह खुद अपने हाथों से बरकतें नवाजता है। यह महीना कई मायनों में खास है।क्योंकि अल्लाह ने इसी महीने में दुनिया में कुरान शरीफ को उतारा था जिससे लोगों को इल्म और तहजीब की रोशनी मिली। साथ ही यह महीना मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देने वाले इस्लाम के सार-तत्व को भी जाहिर करता है। रमजान का महीना सामाजिक ताने-बाने को भी मजबूत करने में मददगार साबित होता है। इस महीने में सक्षम लोग अनिवार्य रूप से अपनी कुल संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा निकालकर उसे 'जकात' के तौर पर गरीबों में बांटते हैं।
कुरान शरीफ में लिखा है कि मुसलमानों पर रोजे इसलिए फर्ज किए गए हैं ताकि इस खास बरकत वाले रूहानी महीने में उनसे कोई गुनाह नहीं होने पाए। यह खुदाई असर का नतीजा है कि रमजान में लगभग हर मुसलमान इस्लामी नजरिए से खुद को बदलता है और हर तरह से अल्लाह की रहमत पाने की कोशिश करते है।
🔴इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना है रमजान
रमजान को रमादान और माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। इस पूरे महीने अल्लाह की सच्चे मन से इबादत की जाती है। इस महीने में रोजे रखने के अलावा रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। सुबह सहरी करके रोजा शुरू किया जाता है और शाम को इफ्तार के साथ रोजा खोला जाता है। सहरी और इफ्तार का समय निश्चित होता है।
🔴 इन बातों का रखें ख्याल
रमजान का मतलब सिर्फ रोजा रखने से ही नहीं है बल्कि इस एक महीने उन चीजों से भी तौबा की जाती है जो इंसानियत के दायरे में नहीं आती हैं। इस दौरान किसी भी तरह के गलत कार्य नहीं किये जाते हैं। साथ ही गलत चीजों से तौबा की जाती है। रमजान का महीना इंसान को खुदा के करीब लाता है।
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