🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा शुक्रवार को कोर्ट में तब्दील हो गया। इस दौरान उन 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ विधानसभा में सुनवाई हुई, जिन्हें विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का दोषी पाया गया। दोषी पुलिसकर्मियों ने अपने आचरण के लिए माफी मांगी। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने 6 आरोपियों के लिए 1 दिन का कारावास प्रस्तावित किया। फिर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दोषियों को सजा सुनाई। कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दोषियों के लिए एक दिन की जगह कुछ घंटों के कारावास की अपील की तो सदन के विधायकों ने एक सुर मे विरोध जताया। इस सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष के कहने के बाद अब बदलाव नहीं हो सकता है।
विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का यह मामला 2004 का है। तब सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। कानपुर में बिजली कटौती के विरोध में सतीश महाना (जो अब विधानसभा अध्यक्ष हैं) धरने पर बैठे थे। उनके साथ तब के स्थानीय भाजपा विधायक सलिल विश्नोई और कार्यकर्ता थे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बीजेपी विधायक और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इसमें सलिल विश्नोई का पैर टूट गया। कई भाजपा कार्यकर्ताओं को चोट आई। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गयी थी।
🔴17 साल पहले ठहराए जा चुके थे दोषी
विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में इन सभी 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ साल 2004 से मई 2005 तक सुनवाई हुई। सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 17 साल पहले सभी पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका था। लेकिन 2005 के बाद से अभी तक सजा का ऐलान नहीं हुआ था।
🔴पुलिसकर्मियों को सजा के बाद बोले सलिल विश्नोईभाजपा एमएलसी सलिल विश्नोई ने कहा कि यह सजा एक नजीर है। दोषियों को दंडित किया गया। सवाल इस बात का नहीं है कि सजा कितनी हुई है। इस कार्रवाई से एक मैसेज गया है। विधायक, विधायिका और विधानसभा का सम्मान होना चाहिए। हम जनता के चुने प्रतिनिधि हैं। हमें अपनी बात लोकतांत्रिक ढंग से कहने का अधिकार है। हम जनता की आवाज है। अगर जनता की आवाज को दबाने का काम किया जाएगा। उसे गलत तरीके से हतोत्साहित किया जाएगा, तो हम अपने अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए सदन के मंच का इस्तेमाल करेंगे।
🔴 अध्यक्ष ने दोषी पुलिसकर्मियों को पेश होने का दिया था निर्देश
इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह को पूर्व सीओ कानपुर के साथ पांच अन्य पुलिसकर्मियों को पेश करने के निर्देश दिए थे। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की ओर से सदन में रखे गए विशेषाधिकार से जुड़े प्रस्ताव को सर्वसम्मति से सदन की मंजूरी मिल गई थी।
🔴 6 पुलिसकर्मियों की पेशी, बाद में एक बने आईएएस आईएएस
कानपुर में लाठीचार्ज के दौरान जिन 6 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था। उनमें तब के सीओ अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवईनगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह शामिल हैं। ये सभी कानपुर में उस वक्त शहर के ही विभिन्न थानों में तैनात थे।अब्दुल समद बाद में प्रशासनिक सेवा में आ गए थे। इसके बाद वह आईएएस के पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं। वहीं, ऋषिकांत शुक्ला, त्रिलोकी सिंह, छोटे सिंह, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह अभी पुलिस सेवा में हैं।
🔴 विपक्ष सदन मे नही था मौजूद
हालांकि इस दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी सदन में मौजूद नहीं थे, जब विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष को बोलने के लिए कहा, लेकिन किसी के ना बोलने पर प्रस्ताव को समर्थित मान लिया गया।
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