🔴 नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानों की नहीं होती कोई जांच
🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर । जनपद के कसया, पडरौना सहित नगरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मिठाई की दुकानों पर मानक दरकिनार किए जा रहे हैं। दुकानों पर बिक रही मिठाइयों के पैकेट पर उनके बनाए जाने और खराब होने की तिथि नहीं लिखी जा रही है। दुकानों के शोकेस में सजी मिठाइयों को देखकर सहज अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि मिठाईयां कब बनी हैं? उनको कब तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
काबिलेगौर है फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसआइ) की तरफ से एक जून-2020 से खुले में बिकने वाली मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट लिखने के आदेश के बावजूद जिले के कसया, पडरौना सहित अन्य नगरीय क्षेत्रों में मिठाई विक्रेताओं द्वारा बिना एक्सपायरी डेट लिखे मिठाइयों की बिक्री की जा रही है । विभाग द्वारा जारी आदेशों के दो साल बीतने के बाद भी किसी अधिकारी ने कोई जांच नहीं की। जिसके चलते मिठाई विक्रेता इन आदेशों को महज कागजी आदेश ही मान रहे हैं । मीडिया ने जब कसया, पडरौना सहित अन्य क्षेत्रों के मिठाई की दुकानों का पडताल किया तो पता चला कि कोई भी दुकानदार इन आदेशों की पालना नहीं कर रहा है। वहीं कुछ दुकानों पर तो कंटेनर में रखी मिठाइयों के रेट तक नहीं लिखे। वहीं ग्राहकों से पता चला कि मिठाई की खरीद करने वाले ग्राहकों को दुकानदार डिब्बा भी मिठाई के साथ तोल रहे हैं जिसके कारण ग्राहकों को चूना लग रहा है ।
🔴 यह है निर्देश
मिठाई विक्रेताओं को अब प्रत्येक मिठाई के सामने एक्सपायरी डेट लिखना लाजमी है । उसमें यह लिखना अनिवार्य है कि यह मिठाई कितने दिन में एक्सपायर हो जाएगी या वह कितने दिनों तक चलेगी। विभाग द्वारा ऐसे आदेश लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर दिए गए हैं ताकि त्योहारों के सीजन में नकली मावे से बनने वाली मिठाइयों से बच सकें। लोगों को शुद्ध मिठाइयां मिले और लोगों के स्वास्थ्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो । भले ही स्वास्थ्य की दृष्टि से यह आदेश अच्छे हैं परंतु मिठाई विक्रेताओं को लोगों के स्वास्थ्य से कोई लेना-देना नही है।
🔴 किन मिठाइयों की वैधता कितने दिन कीलड्डू, खोया से निर्मित समस्त मिठाइयां, मिल्क केक, पेड़ा, बर्फी, मिल्क बर्फी, पिस्ता, बर्फी, कोकोनेट बर्फी, चॉकलेट बर्फी, बूंदी के लड्डू की वैधता बनने के बाद केवल तीन दिनों की है। बेसन लड्डू, चना लड्डू, अंजीर, खजूर बर्फी, कचरी हलवा, सोहन हलवा, गजक आदि की वैधता निर्माण के बाद तीस दिन की है। घेवर, मूंग बर्फी, गुझिया आदि की वैधता निर्माण के बाद सात दिनों की होती है। वही बादाम मिल्क, रसगुल्ला, रस मलाई, रबड़ी, चमचम आदि वैधता दो दिनों की है।
🔴 चांदी की जगह एल्युमिनियम के वर्क का इस्तेमाल
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो मिलावटी मावा और तरह-तरह के रंग की मिलावट से बनी मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इनके सेवन से एलर्जी से लेकर गुर्दे और लीवर पर घातक असर हो सकता है। चांदी का वर्क लगी मिठाइयों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इसमें चांदी की जगह एल्युमिनियम की परत का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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