🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
लखनऊ । बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर द्वारा पवित्र ग्रंथ रामचरित मानस पर किये गये वाहियात टिप्पणी का मामला अभी ठंडा भी नही हुआ कि यूपी में समाजवादी पार्टी के एमएलसी व विवादित बयानों के महारथी स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रातचरित मानस को लेकर घटिया बयान दिया है। मौर्य ने बीते रविवार को कहा- तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए रामचरित मानस लिखा है जिसे करोड़ों लोग नहीं पढ़ते है। उन्होंने कहा कि सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटा देना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।
काबिलेगौर है कि दस दिन पूर्व बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने महाग्रंथ रामचरित मानस के बारे मे विवादित टिप्पणी की थी। चंद्रशेखर ने महाग्रंथ रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला हिंदू धर्म का पुस्तक बताया था। अब मौर्य भी उस राह पर चल पडे है। मौर्य अपने वाहियात टिप्पणी पर यही विराम नही लगाये। वह एक चैनल पर बातचीत करते हुए अपने घटिया वक्तव्य को जारी रखा। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस मे एक श्लोक पूजहि विप्र सकल गुण हीना । शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा ।। है जिसका अर्थ यह है कि ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़, गंवार या चोर हो, लेकिन वह ब्राह्मण है। इस लिए पूजनीय है। लेकिन शूद्र कितना भी पढ़ा-लिखा या ज्ञानी हो, उसका सम्मान मत करिए। उन्होंने कहा कि गाली को हम धर्म के रूप मे स्वीकार नही कर सकते। सरकार को चाहिए कि आपत्तिजनक तथ्यों को प्रतिबंधित करे। कहा कि जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, उसका सत्यानाश हो। सपा एमएलसी मौर्य यही नही रुके वह आगे बोले तुलसीदास ने जब रामचरितमानस लिखी। तब महिला और दलितों को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं था। इन्हें पढ़ने का अधिकार अंग्रेजों ने दिया था। मौर्य ने कहा- हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। लेकिन कोई भी धर्म किसी भी जाति या वर्ग विशेष के लोगों को अपमानित नहीं करता है। लेकिन, रामचरितमानस में एक चौपाई का अंश है, जिसमें कहा गया है- जे बरनाधम तेलि कुम्हारा । स्वपच किरात कोल कलवारा। इसमें जिन जातियों का जिक्र है । ये सभी हिंदू धर्म को मानने वाली है। इसमें सभी जातियों को नीच और अधम कहा गया है। धर्म इंसान को जातियों में नहीं बांटता है।
🔴स्वामी के बयान पर संतो ने जतायी नाराजगी
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर अयोध्या के संतों ने नाराजगी जताई है। श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास ने कहा है कि स्वामी प्रसाद का मानसिक संतलुन बिगड़ गया है। वे पिछड़े लोगों का खिसक चुका जनाधार वापस पाने के लिए बेतुका बयान दे रहे हैं। वहीं उदासीन ऋषि आश्रम रानोपाली के महंत भरत दास ने कहा कि विरोधी राजनीति के लोग किसी भी स्तर पर चले जा रहे हैं। यह ठीक नहीं है। राम चरित मानस देव ग्रंथ है, जो हर मनुष्य के कल्याण के लिए है। इस पर अनुचित टिप्पणी करना मनावता के साथ अपराध है।
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