बिचौलियों और क्रेशरो पर गन्ना बेचने को मजबूर है किसान - Yugandhar Times

Breaking

Thursday, January 19, 2023

बिचौलियों और क्रेशरो पर गन्ना बेचने को मजबूर है किसान

🔴किसानों की आय दोगुनी करने का दावा छलावा साबित हो रहा

🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो 

कुशीनगर । पूर्वांचल की धरती का सोना कहे जाने वाला गन्ना दुर्दशा के मुहाने पर खड़ा है। किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कुशीनगर जनपद में हवा हवाई साबित हो रहा है। सबब यह है कि किसान अपने खून पसीने से सिचकर तैयार की गई गन्ने की फसल को औने पौने दामों पर बिचौलियों और गन्ना क्रेशरो के हाथो बेचने के लिए विवश  हैं। छोटे और मध्यम वर्गीय किसानों की हालत बद से बदतर हो गयी है। नतीजतन किसान का गन्ना दो सौ ढाई सौ रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। ऐसे में किसान की लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रही है। 

काबिलेगौर है कि जिले  की अधिकांश चीनी मिलो को चले एक माह से अधिक समय हो गया है। लेकिन समय से सप्लाई टिकट नहीं मिलने के कारण किसान अपना गन्ना चीनी मिलों के बजाय बिचौलियों के हाथो बेने और क्रेशर पर गिराने के लिए मजबूर  हैं। कहना न होगा कि सप्लाई टिकटों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सरकार ने  एसएमएस के जरिए पर्चियां उपलब्ध कराने का सिस्टम लागू किया है और सॉफ्टवेयर के जरिए किसानों को सप्लाई टिकट वितरण किया जा रहा है। लेकिन इस व्यवस्था से किसान परेशान होकर सप्लाई टिकट के लिए दर-दर भटक रहे हैं। यहां बताना जरूरी है कि जनपद में चीनी मिल निजी क्षेत्र की है और चालू हालत में हैं। इनमे बिरला ग्रुप की ढाढा़, त्रिवेणी ग्रुप की रामकोला, आईपीएल ग्रुप की खड्डा तथा यूनाइटेड ग्रुप की सेवरही चीनी मिल शामिल है । 

🔴 नई फसल के लिए दिसंबर माह होता है खास

भौगोलिक दृष्टिकोण से कुशीनगर की अधिकतर मिट्टी दोमट और उपजाऊ है किसान अपनी पेढ़ी गन्ना नवंबर से दिसंबर तक गिरा कर के नई रवि की फसल बोते हैं ऐसे में समय से गन्ना सप्लाई टिकट (पर्ची) किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। समय से गन्ना सप्लाई टिकट नहीं मिलने के कारण किसानों की अगली फसल प्रभावित होती है। 

🔴 दो वर्षों आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहे किसान

पिछले दो वर्षो से गन्ना सूखने की बीमारी ने गन्ना किसानों की कमर तोड़कर रख दिया है। परिणामस्वरूप गन्ना किसान विगत दो वर्षों से आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहे है। जानकारों की मानें तो वर्तमान समय में गन्ने की दो प्रजातियां 238 और 239 में कैंसर रोग लगने के कारण गन्ने का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है। इसको लेकर क्षेत्र के किसान चिंतित  है। जग ज़ाहिर है कि जनपद की मिट्टी गन्ने की फसल के लिए सर्वोत्तम उपयोगी मानी जाती है। यही कारण है कि इस क्षेत्र के किसान गन्ना को अपना मुख्य फसल मानते है और  ज्यादातर भू -भाग पर गन्ने की खेती करते है। इसके बावजूद किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की  योजना यहां के गन्ना किसानों के लिए छलावा साबित हो रहा है।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Responsive Ads Here