तहसील समाधान दिवस पर इकट्ठा किया जा रहा है चंदा - Yugandhar Times

Breaking

Sunday, December 18, 2022

तहसील समाधान दिवस पर इकट्ठा किया जा रहा है चंदा

🔴तहसील समाधान दिवस बना मजाक

🔴शनिवार को समाधान दिवस पर जिम्मेदार लोगों द्वारा शौचालय मरम्मत के लिए किया जा रहा धन एकत्रित, वीडियो वायरल 

🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो 

कुशीनगर । आम लोगों के समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए सरकार द्वारा शुरू की गयी जनकल्याणकारी योजनाओं मे शुमार तहसील समाधान दिवस मजाक बनकर रह गया है। इसकी एक बानगी शनिवार को पडरौना तहसील मे उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता मे आयोजित समाधान दिवस मे देखने को मिली। यहां फरियादी जब साहब के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे तभी एक जिम्मेदार संगठन के जिम्मेदार लोग साहब के पास पहुचकर किसी अन्य मामले को लेकर चर्चा करने लगे। नतीजतन समाधान दिवस सरकार के नेक नीयत इरादे के विपरीत फरियादियों को निराशा हाथ लगी।

काबिलेगौर है कि मौके पर आम जनमानस को त्वरित न्याय दिलाने की गरज से सम्पूर्ण समाधान व थाना दिवस का आयोजन किया जा रहा है। यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं मे शामिल है। इसी कडी मे शनिवार को पडरौना तहसील मे उपजिलाधिकारी महात्म सिंह की अध्यक्षता और तहसीलदार सूमित सिंह सहित तहसील स्तर के अधिकारियों के मौजूदगी मे समाधान दिवस का आयोजन किया गया था। दूरदराज के फरियादी अपनी समस्या लेकर पहुंचे हुए थे। अधिकारी भी लोगो की समस्या सुन कोरमपूर्ति कार्रवाई को अंजाम दे रहे थे। इसी दरम्यान तकरीबन बारह बारह बजे समाज के जागरूक व जिम्मेदार संगठन को लोग तहसीलदार व उपजिलाधिकारी के पास पहुच गये। जिम्मेदार लोगो के हावभाव देख फरियादी पीछे सिकुड़ गये। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो समाज के जागरूक व जिम्मेदार लोगो के हाथ मे कुछ रूपये थे जिसे वह गिन रहे थे फिर अधिकारियों बात करने के बाद लेन देन किये। ऐसी चर्चा है कि संगठन के जिम्मेदार लोगो द्वारा पडरौना तहसील परिसर मे सार्वजनिक शौचालय के मरम्मत के लिए जनहित मे धन एकत्रित किया जा रहा था इसी क्रम मे वह लोग अधिकारियों से भी चंदा मांग रहे थे।

बेशक! सार्वजनिक कार्य के लिए जनहित मे किया जा रहा धन एकत्रित करने कार्य तारीफ-ए-काबिल है। अब सवाल यह उठता है कि क्या चंदा एकत्र करने का समय समाधान दिवस ही था? क्या अधिकारियों द्वारा फरियादियों की समस्या सुनते वक्त ही शौचालय के लिए अधिकारियों के पास जाकर धन इकट्ठा करना जरूरी था? जानकार कहते है जनहित से जुडा सार्वजनिक कार्य के लिए दो बजे के बाद भी अधिकारियों से मिलकर चंदा इकट्ठा किया जा सकता है फिर सरकार के महत्वाकांक्षी योजना के संचालन के दौरान ही क्यो धन एकत्रित किया जा रहा था। कही ऐसा तो नही कि अधिकारी सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं का मजाक बनाने मे अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे है।



No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Responsive Ads Here