🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। नव संन्यास की परिभाषा गढ़ने वाले ध्यान व प्रेम के प्रवर्तक आध्यात्मिक गुरू आशो के जन्मदिवस पर बुद्धनगरी कुशीनगर में तीन दिवसीय विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सिक्किम, अरुणांचल, नेपाल से आए ओशो अनुयाइयों ने दुनिया भर में ओशो के संदेश फैलाने का संकल्प लिया।
महापरिनिर्वाण मार्ग स्थित ओशो मैत्रेय ध्यान केंद्र पर रविवार देर शाम को सम्पन्न हुए कार्यक्रम में स्वामी आत्मोनिनाद ने कहा कि ओशो ने लोगों को जीने की नई राह दिखाई। शुरुआती दौर में दुनिया भर में ओशो के विचारों का तीव्र विरोध हुआ, लेकिन अब सारी दुनिया उनके ज्ञान व दर्शन की कायल हो गई है। उन्होंने कहा कि सक्रिय-ध्यान पर ओशो ने अपने प्रवचनों में कहा है कि ‘‘ध्यान एक ऊर्जा की घटना है। सभी प्रकार की ऊर्जाओं के संबंध में एक आधारभूत बात समझ लेनी है, और यह समझने के लिए मूलभूत नियम है कि ऊर्जा दो विपरीत ध्रुवों में बहती है। केवल यही एक ढंग है उसके बहने का और कोई दूसरा ढंग नहीं है उसके बहने का। वह द्वंद्वात्मक ध्रुवों में बहती है।’’उन्होंने कहा कि हम तनाव में इसलिए हैं क्योंकि हम जो हैं, उस शख्सियत को पहचानना नहीं चाहते और हम जो नहीं हैं, उस शख्सियत के पीछे दौडते हैं। प्रेम स्पर्शिता ने कहा कि ओशो कहते हैं कि नियमित ध्यान करने से हम स्वयं को पहचान सकते हैं। ओशो का सक्रिय ध्यान, कुंडलिनी, विपश्यना, नादब्रह्म, ओंकार, सम्मोहन आदि विधियों का उपयोग हम अपने आत्मिक विकास के लिए कर सकते हैं। तीन दिवसीय शिविर के दौरान अनेक सांस्कृतिक व रचनात्मक कार्यक्रम भी हुए। साधकों ने ध्यान विधियों का प्रयोग किया। आयोजन में के एन अधिकारी, अभिषेक, विवेक, भुआल, कुलदीप , सेवक, आनन्द, अद्वयत ,चिरन्जी, सुंदर आदि अनुयाइयों ने सक्रिय सहभागिता की।
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