🔴 तीन सदस्यीय जांच समिति ने उजागर किया सीएमओ के घपलेबाजी खेल
🔴 पडरौना विधायक के शिकायत पर सीएमओ के खिलाफ तीन सदस्यीय समिति ने की जांच, सामने आयी कई अनियमितताएं
🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। सदर विधायक पडरौना द्वारा सीएमओ के खिलाफ की गई शिकायत की जांच में समिति ने कई बड़े घपलेबाजी होने का संकेत देते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की संस्तुति की है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
काबिलेगौर हैं कि बीते सितम्बर माह के सदन सत्र के दौरान पडरौना सदर क्षेत्र के विधायक मनीष जायसवाल ने कुशीनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुरेश पटारिया के विरुद्ध तमाम आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग की थी। इसको गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण गोरखपुर को पत्र जारी जांच करने का निर्देश दिया, जिसके अनुपालन मे अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा एक तीन सदस्यि जांच समिति गठित की गई थी। जांच समिति मे संयुक्त निदेशक डा. बी एम राव को जांच समिति का अध्यक्ष, एसीएमओ गोरखपुर डा. ए के चौधरी को सचिव और मुख्य चिकित्सा अधिकारी गोरखपुर कार्यालय के डीएओ सुशील कुमार को सदस्य नामित किया गया था। बताया जाता है है कि उक्त जांच के क्रम में कुशीनगर पहुची इस जांच समिति को सबसे पहले सीएमओ ने अपनी व्यस्तता बताकर मिलने से ही इंकार कर दिया। बाद में मामले से सम्बन्धित मांगी गई पत्रावलियों को गोरखपुर कार्यालय में भेजवाया गया।
🔴 तबादले मे गड़बड़झालासदर विधायक के पहले आरोप में नियम के विरुद्ध बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के किए गए तबादले में जांच समिति ने कई अनियमितता पायी हैं। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट दर्शाया गया है कि सीएमओ ने अपने अधीन कार्यरत डार्करुम सहायकों के नौ लोगों में से आठ को स्थानांतरित कर दिया। इसी प्रकार 14 एक्सरे टेक्नीशियन में से 12 को, 26 लैब टेक्नीशियन में से 19, प्रयोगशाला सहायकों के 40 पदों में से 26 को, फार्मासिस्ट के 97 पदों में से 50 को, एएनएम के 204 पदों में से 171 को, एनएमए व एनएमएस के 27 में से 18, नेत्र परीक्षण अधिकारी के 14 पदों में 11 को, चतुर्थ श्रेणी के 238 पदों में से 132 का स्थानांतरण या पटल परिवर्तन किया गया। है। इन पटल परिवर्तनों को जांच समिति ने स्पष्ट तौर पर नियम विरुद्ध बताते हुए कहा है कि इतने बड़े स्तर पर किए जा रहे तबादलों पर उच्चाधिकारियों का मार्गदर्शन या उनसे संस्तुति ली जानी चाहिए थी।
🔴 टेंडर और खरीद में भी अनियमितता
वर्ष 2022–23 में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा किए गए सामानों की खरीदारी के विषय पर जांच समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में बड़े घोटाले का संकेत दिया है। किसी भी खरीद में जीएसटी की कटौती नहीं होने, पूरे वर्ष में सिर्फ एक टेंडर का निकाले जाने और उसमे भी निविदा प्राप्त करने वाले का कोई डाक्यूमेंट नही लगाया जाना पाया गया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में मद के अनुसार निर्धारित समानों की खरीदारी नही होने के साथ ही जेम पोर्टल के माध्यम से की गई खरीदारी में भी व्यापक गड़बड़ी की बात रिपोर्ट में स्पष्ट दर्शाया है। समिति ने अपनी जांच मे मामले की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश करते हुए लिखा है कि खरीदारी से संबंधित प्रपत्रों का रखरखाव नही किया गया है।
🔴 भ्रष्टाचार के जद में कई लोग
जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद विभाग में इस खरीदारी के खेल में शामिल लोगों की सांस अब अटकती नजर आ रही है। माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस की नीति यदि इस मामले पर लागू होती है तो निश्चित तौर पर कई लोग इस घपलेबाजी के खेल में नप जायेगे।
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