🔴 30 नवम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे है फर्जी नियुक्ति पत्र पर नौकरी कर रहे कानूनगो
🔴युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर । फर्जी नियुक्ति पत्र के जरिए लेखपाल से कानूनगो बने मदन मिश्रा अपनी नौकरी बचाने और 30 नवम्बर को सेवानिवृत्त के बाद पेशन सहित अन्य लाभ पाने के लिए अधिकारियों की परिक्रमा मे जुटे है। ऐसा विभागीय सूत्रों का दावा है। सूत्रों के दावो पर यकीन करे तो फर्जीवाड़ा करने वाले कानूनगो मदन मिश्रा मोटी रकम खर्च कर जनसुनवाई पोर्टल पर अपने पक्ष मे रिपोर्ट लगवाने की भागीरथ प्रयास कर रहे है। अब देखना यह है कि इस प्रकरण की जांच कर रहे तहसीलदार मोटी रकम से प्रभावित होकर कानूनगो को अभयदान देते है या फिर कार्रवाई करते है।
काबिलेगौर है कि कानूनगो मदन मिश्रा के नौकरी संबंधित फर्जीवाड़े के संबंध में शिकायतकर्ता विष्णु श्रीवास्तव ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रमुख सचिव राजस्व, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, मण्डलायुक्त गोरखपुर, जिलाधिकारी कुशीनगर के अलावा जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत किया है। जनसुनवाई पोर्टल पर कानूनगो मदन मिश्रा के खिलाफ की गई शिकायत की जांच के लिए शासन स्तर से तहसीलदार पडरौना को नामित किया गया है। विभागीय जानकार कहते है कि धन लक्ष्मी से प्रभावित होकर तहसीलदार अगर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने वाले कानूननो को बचा भी लेते है तो अन्य जांच मे कानूनगो को बच पाना नामुमकिन है।
🔴 क्या है मामलाकहना ना होगा कि अस्सी के दशक मे मदन मिश्रा की नियुक्ति लेखपाल पद पर बतायी जा रही। इनकी पहली पोस्टिंग मिर्जापुर मे हुई थी। शिकायतकर्ता सहित विभागीय सूत्रों का दावा है कि मदन मिश्रा की नियुक्ति पत्र फर्जी है। दावा यह भी किया जा रहा है कि जिस समय मदन मिश्रा की नियुक्ति हुई थी उस समय शासन स्तर से लेखापाल पद के लिए कोई रिक्तियां नही निकाली गयी थी और न ही इनके द्वारा आवेदन पत्र जमा किया गया था। बल्कि किसी सीधे ठप्पा लगाकर इन्हें नियुक्ति पत्र थमा दिया गया। इस बात मे कितनी सच्चाई है यह गहन जांच का विषय है लेकिन इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है कि धुआं वही उठता है जहां आग लगी होती है।मजे की बात यह है कि मदन मिश्रा इसी नवम्बर माह मे सेवानिवृत्ति हो वाले है। ऐसे मे यह सवाल उठना लाजिमी है कि अब तक विभाग इस फर्जीवाड़ा से अनभिज्ञ क्यो था? जबकि मदन मिश्रा की कारस्तानी से कमोबेश जिले का हर लेखपाल वाकिफ़ है। सूत्रों का कहना है कि मदन मिश्रा द्वारा फर्जी नियुक्ति पत्र के सहारे सरकारी नौकरी हासिल कर न सिर्फ करोड़ों की सम्पत्ति इकट्ठा की गयी है बल्कि सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाते हुए गम्भीर अपराध किया गया है जिसका जनहित मे जांच जरूरी है।
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