जांच मे नही मिला मदन मिश्रा का कोई अभिलेख, कब होगी बर्खास्तगी - Yugandhar Times

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Sunday, November 20, 2022

जांच मे नही मिला मदन मिश्रा का कोई अभिलेख, कब होगी बर्खास्तगी

🔴फर्जीवाड़ा कर लेखपाल से कानूनगो बने मदन मिश्रा मामला

🔴 एसडीएम व तहसीलदार की जांच मे मदन मिश्रा के सेवा संबंधित नही है कोई अभिलेख

🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो 

कुशीनगर। एक तरफ सूबे की योगी सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने का दम भर रही है वही दुसरी तरफ फर्जी तरीके नौकरी हथियाकर लेखपाल से कानूनगो बने मदन मिश्रा का सेवा संबंधित कोई अभिलेख नही होने के बावजूद सरकारी मशीनरी द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नही किया जाना यक्ष प्रश्न बनकर मुंह बाये खडी रही है जबकि मदन मिश्रा इसी माह के तीस तारीख को सेवानिवृत्त हो रहे है। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि जब एसडीएम और तहसीलदार की जांच मे मदन मिश्रा के सेवा संबंधित कोई अभिलेख नही पाया गया है तो उन्हें वेतन क्यो मिल रहा है? अब तक उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई क्यों नही की गयी?

विभागीय सूत्रों की मानें तो मदन मिश्रा ने नियुक्ति प्रक्रिया की कोई भी औपचारिकताएं पूरी नही किये है। मतलब यह कि मदन मिश्रा जब लेखपाल बने थे उस समय न तो उन्होंने कोई आवेदन किया था, न ही लिखित व मौखिक कोई परीक्षा दिये थे, न ही मेरिट लिस्ट मे आये और न ही चयन समिति द्वारा चयनित हुए। सीधे नियुक्ति पत्र हथियाकर मिर्जापुर मे ज्वाइन कर  लिया था। कहना न होगा कि विगत एक माह से मीडिया द्वारा मदन मिश्रा के फर्जीवाड़े को लगातार प्रमुखता से उठायी जा रही है। बताना जरूरी है कि मदन मिश्रा के फर्जी नियुक्ति से संबंधित मामलों को लेकर पत्रकार विष्णु श्रीवास्तव ने 29 अक्टूबर को शिकायत संख्या-40018922021945 जरिए मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर   मदन मिश्रा के खिलाफ शिकायत की थी। मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायत के बाद इस प्रकरण की जांच शासन स्तर से तहसीलदार पडरौना को सौपी गयी। नतीजतन इस प्रकरण की जांच कर रहे जांच अधिकारी द्वारा कानूनगो मदन मिश्रा के खिलाफ 14 नवम्बर को मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर जांच रिपोर्ट अपलोड कर दिया गया। जांच रिपोर्ट मे तहसीलदार ने लिखा है कि श्री मदन मिश्रा राजस्व निरीक्षक के पद पर पडरौना तहसील मे दिनांक - 11 मई-2022 से कार्यरत है। इसके पूर्व श्री मिश्र अन्य तहसीलो मे लेखपाल के पद पर कार्यरत रहे है। रिपोर्ट मे आगे लिखा है कि तहसील पडरौना मे लेखपाल के पद पर नियुक्त नही हुई है और न ही कभी कार्यरत रहे है। इनके सेवा संबंधित अभिलेख तहसील पडरौना  मे उपलब्ध नही है । बताया जाता है कि शिकायतकर्ता विष्णु श्रीवास्तव ने इसके पूर्व, मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव राजस्व,  मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी को रजिस्टर्ड डाक के जरिए मदन मिश्रा के फर्जी नौकरी से संबंधित शिकायत की थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय ने मुख्य सचिव राजस्व को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के अनुपालन मे मुख्य सचिव राजस्व ने तत्काल जिलाधिकारी को प्रकरण की जांच करने का निर्देश दिया था। डीएम के निर्देश पर इस मामले की जांच कर रहे उपजिलाधिकारी पडरौना महात्मा सिंह ने भी अपने जांच रिपोर्ट मे अक्षरश: वही लिखा है जो रिपोर्ट तहसीलदार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर अपलोड किया है। मतलब यह कि  मदन मिश्रा राजस्व निरीक्षक के पद पर पडरौना तहसील मे दिनांक - 11 मई-2022 से कार्यरत है। इनके सेवा संबंधित अभिलेख तहसील पडरौना  मे उपलब्ध नही है । ऐसे सवाल यह उठता है कि जब मदन मिश्रा के सेवा संबंधित कोई अभिलेख ही नही है तो  फिर इतने दिनों से मदन मिश्रा को वेतन किस आधार पर मिल रहा था। जांच मे यह बात जगजाहिर हो गयी है कि मदन मिश्रा का सेवा से संबंधित कोई अभिलेख नही है फिर अब तक उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई क्यो नही की गयी? कही ऐसा तो नही जांच मे फर्जी पाये जाने के बावजूद एसडीएम और तहसीलदार, कानूनगो मदन मिश्रा को बचाने के लिए कोई बडा खेल  कर रहे है। क्योंकि इसी 30 नवम्बर को मदन मिश्रा सेवानिवृत्त हो रहे है। सूत्र बताते है कि मदन मिश्रा को बचाने के लिए उनके पीएफ से होने वाले भुगतान का पचास फीसदी हिस्सा मामले को मैनेज करने के लिए दांव पर लगाया गया है यह धनराशि तकरीबन पन्द्रह से बीस लाख रपये आंकी जा रही है।

🔴 कहते है जानकार

जानकार बताते है कि जब भी किसी व्यक्ति की सरकारी नौकरी मे चयन होता है तो सर्वप्रथम चयन पत्र मिलता है फिर सरकारी कर्मचारी की जब नियुक्ति होती है तो उसे नियुक्ति पत्र दिया जाता है उसके बाद उस कर्मचारी की जहां पहली पोस्टिंग होती है वहा कार्यभार ग्रहण करने का पत्र दिया जाता है। इसके बाद उस कर्मचारी की ज्वाइनिंग होती है। फिर कुछ माह बाद उस कर्मचारी का सर्विसबुक बनता है और वह सर्विसबुक  जहां-जहा उस कर्मचारी का स्थानांतरण होता उसके एलपीसी ( लास्ट पे सर्टिफिकेट) के साथ वहा-वहा साथ जाता है। ऐसे सवाल उठना लाजमी है कि मदन मिश्रा का चयन पत्र, नियुक्ति पत्र और सर्विसबुक, एलपीसी जो मदन मिश्रा व विभाग के पास होनी चाहिए वह कहा है? गंभीर सवाल सवाल यह कि मदन मिश्रा का कोई अभिलेख नही है मतलब एलपीसी भी नही है फिर अब तक उन्हे किस आधार पर वेतन आहरण किया जाता रहा है।? 

🔴 हाईकोर्ट जाने की तैयारी

शिकायतकर्ता विष्णु श्रीवास्तव का कहना है एसडीएम व तहसीलदार के जांच मे यह स्पष्ट हो गया है मदन मिश्रा के सेवा संबंधित कोई अभिलेख नही है । इसके बावजूद अब तक मदन मिश्रा के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई नही होने के कारण वह हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे है।

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