🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर । परिवार की खुशहाली, संतानों की दीर्घायु, सुख समृद्धि और संतान प्राप्ति की मनोरथ पूरी होने के बाद दुदही क्षेत्र के आधा दर्जन गांवो की मुस्लिम समाज की की महिलाओ ने आस्था व विश्वास के साथ बडी शिद्दत से लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत रखा। इसके साथ ही बेटे की कोसी भराई की। वह डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजन अर्चन किया। छठ घाटों पर कई महिलाओं के घरवालों ने घाट पर पक्की वेदी भी बनवाई।
आस्था व विश्वास के महापर्व छठ का निर्जला व्रत जनपद के दुदही विकास खण्ड के दशहवा, नंदपुर, रामपुर बरहन, पुष्पकनगर, अमवाखास, अमवादीगर आदि गांवों के मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को छठी मइया पर इतना विश्वास है कि वह भी निर्जला छठ व्रत रखकर कौमी एकता की मिसाल पेश की। दशहवा निवासी 65 वर्षीय हसनतारा खातून बीते 20 वर्षों से छठी मइया की व्रत कर रहीं हैं। वह कहती हो कि नाती-पोता न होने से उनका परिवार काफी दु:खी रहता था। बहू का डॉक्टरों से उपचार भी कराया, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला। गांव की महिलाओं ने उन्हें सच्चे मन से छठ व्रत करने की सलाह दी। पहले साल ही शिद्दत से छठ व्रत करने पर घर में नन्हें मेहमान का आगमन हुआ। तभी से वह छठ व्रत पूरी आस्था व विश्वास के साथ रख रहीं हैं। इसी गांव की 42 वर्षीय जोहड़ी खातून की चार बेटियां हैं। इन्होंने भी एक बेटे की इच्छा लिए छठ व्रत शुरू किया। कुछ साल बाद ही उन्होंने दो बेटों को जन्म दिया। जोहड़ी कहती हैं कि वह ताउम्र छठ का व्रत रखेंगी। दशहवा निवासी ऐसुन खातुन, कैमरून नेशा, जुलेखा, रामपुर बरहन निवासी जोहरा बेगम, संतुलिया बानो व जहरिना बेगम भी पिछले कई वर्षों से आस्था और विश्वास के साथ छठ का व्रत कर रहीं हैं। जहरिना ने बताया कि छठ व्रत करने की इच्छा हुई तो उनके शौहर ने मना कर दिया। इसके बाद से ही वह गंभीर रूप से बीमार रहने लगे। उनके कहने पर मैंने व्रत शुरू किया तो शौहर भी ठीक हुए और खुशी से समय भी गुजर रहा है।
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