🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। वर्ष 1917 में जनपद के दुदही विकास खण्ड क्षेत्र के विजयपुर मे महात्मा गांधी की हुई सभा ने लोगों को आजादी का दीवाना बना दिया था। यहां के बाशिंदें अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्हें यातनाएं भी सहनी पड़ी थीं, लेकिन अपनी मंजिल से डिगे नहीं।
उस वक्त महात्मा गांधी ने गांव के पश्चिम जंगल में भारी जनसमूह को संबोधित किया था। हालांकि गांधी ने सभा में आपसी एकता, खादी व चरखा, स्वदेशी प्रचार आदि पर बल दिया था, लेकिन आजादी के दीवाने कहां मानने वाले थे। उन्होंने अंग्रेजों का चूलें हिलाने की मन में ठन ली थी। यहां पर आंदोलन की जिम्मेदारी गांधी ने गांव के मोहित खटीक को सौंपी थी। बाद में मोहित खटीक, गांधी उपनाम से मशहूर हो गए।
विजयपुर दक्षिण पट्टी निवासी मंगरू कमकर व दुमही निवासी तप्पी लाल श्रीवास्तव के साथ मिलकर मोहित खटीक ने रेल लाइन व पंसरवा सड़क पर बने पुल को ध्वस्त कर दिया था। अपनी छापामार शैली से मोहित खटीक अंग्रेजों के आंखों की किरकिरी बन गए थे। गांधी की प्रेरणा से आजादी की लड़ाई में कूदे मोहित को गिरफ्तार कर अंग्रेज कुबेरस्थान ले गए, उनकी मूंछ उखवड़ा दी। दांत तोड़कर घोड़ों से रौंदवाया, किसी तरह घायल मोहित को घर लाया गया। 24 जून 1985 को उनका निधन हो गया। दुदही क्षेत्र में बना गांधी चबूतरा आज भी आजादी की लड़ाई की याद दिलाता है।
No comments:
Post a Comment