एक ही परिवार के आठ लोगो को आजीवन कारावास - Yugandhar Times

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Wednesday, September 21, 2022

एक ही परिवार के आठ लोगो को आजीवन कारावास

🔴 जमीनी विवाद मे हत्या का मामला 

🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो 

कुशीनगर । जमीनी विवाद में हत्या के मामले में एक ही परिवार के आठ  आरोपियों को दोषी पाए जाने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार हिमांशु ने आजीवन कारावास व दस-दस हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। सजा सुनाने के बाद आठों दोषियों को कोर्ट से जेल भेज दिया गया। अदालत ने दो आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया है।

अभियोजन पक्ष की ओर सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी उपेन्द्र कुमार पाठक ने न्यायालय के समक्ष बहस के दौरान बताया कि वादी मुकदमा रामकिशुन पुत्र विश्वनाथ निवासी परसौनी खुर्द थाना कसया का पट्टीदार रामनाथ आदि से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इस संबंध में गांव में कई बार पंचायत भी हुई थी। एक जून 2013 को शाम करीब साढे छह बजे रामकिशुन वादी के पिता विश्वनाथ पुत्र चिल्लर का बड़ा भाई हरिहर पुत्र विश्वनाथ बाजार से सब्जी आदि लेकर आ रहा था। गांव में जैसे से ही रामनाथ के घर के सामने पहुंचा तो वहां पहले से ही मौजूद रामनाथ व शिवनाथ पुत्रगण चिल्लर, सावित्री पत्नी रामनाथ, पवित्री पत्नी शिवनाथ, बलिराम पुत्र शिवनाथ, श्रीराम पुत्र शिवनाथ, दिनेश पुत्र रामनाथ, अवधेश पुत्र रामनाथ, रामचन्द्र पुत्र नगेशर व सत्यनारायन पुत्र रामचन्द्र ने घेर लिया। रामचन्द्र व सत्यनारायन ने ललकारते हुए कहा कि जान से मार कर खत्म कर दो ताकि सारा खेल खत्म हो जाये। इस पर सभी लोगों एक साथ लाठी से मार कर हत्या कर दी।

घटना की सूचना पर कसया थाने में बलवा, हत्या व 7 क्रिमिनल ला एमेन्डमेन्ट एक्ट आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। विवेचना के बाद विवेचक ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कर दिया। जिस पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर तीन के न्यायालय में विचारण हुआ। उभयपक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर विद्वान न्यायाधीश हिमांशु ने हत्या के मामले में अभियुक्तगण रामनाथ, शिवनाथ, सावित्री, पवित्री, बलिराम, श्रीराम, दिनेश व अवधेश को दोषी पाया। प्रत्येक को आजीवन कारावास व प्रत्येक को 10 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया। अर्थदण्ड न देने पर दो माह का कारावास अलग से भुगतना होगा। अदालत ने दो अभियुक्तों रामचन्द्र व सत्यनारायन को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया।

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