🔴 एसटीएफ व ड्रग विभाग की संयुक्त टीम ने 30 जून को नौशाद को किया था गिरफ्तार
🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर । एसटीएफ लखनऊ और ड्रग विभाग की संयुक्त टीम के हाथ लगे अंतरराज्यीय ब्लड तस्करी गिरोह के मुख्य सरगना नौशाद अहमद के बारे में कुशीनगर पुलिस गोपनीय तरीके से जानकारी जुटा रही है। यहा की पुलिस यह पता लगाने मे जुटी है कि नौशाद अंतिम बार कब घर आया था और उसके संपर्क में यहां और कौन-कौन से लोग है। एसटीएफ लखनऊ की टीम दो दिन पूर्व नौशाद के घर पहुंचकर आवश्यक जानकारी एकत्रित की थी।
काबिलेगोर है कि बीते 30 जून को लखनऊ के ठाकुरगंज के तहसीनगंज में मिड लाइफ चैरिटेबल ब्लड बैंक तथा कृष्णानगर के नारायणी ब्लड बैंक में एसटीएफ व ड्रग विभाग की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर राजस्थान से तस्करी कर लाया गया 302 यूनिट ब्लड बरामद किया था। बताया जाता है कि ब्लड के पैकटों पर ग्रुप और एक्सपायरी तिथि अंकित नहीं था। एसटीएफ ने इन ब्लड बैंकों के संचालक तथा मुख्य तस्कर कुशीनगर जनपद के रामकोला थाना क्षेत्र टेकुआटार पकडी टोला निवासी नौशाद अहमद समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया था। नौशाद की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही जिले की भी पुलिस अलर्ट हो गई। थाना क्षेत्र के अलावा जनपदीय टीम यह जानने में जुट गई कि अंतिम बार नौशाद कब घर आया था। यहां आने पर वह किन-किन लोगो के में था। इतना ही नही पुलिस यह पता लगा रही है कि जनपद या आसपास के जिलों में भी नौशाद के एजेंट तो सक्रिय नहीं हैं। सूत्र बताते है कि पूछताछ में उसने एसटीएफ को बताया है कि राजस्थान के चैरिटेबल ट्रस्ट से संचालित ब्लड बैंक में डोनेट ब्लड को वह वहां के कर्मचारियों की मदद से सात से आठ सौ रुपये प्रति यूनिट में खरीदकर लखनऊ तथा विभिन्न जनपदों में 12 से लेकर 15 सौ रुपये प्रति यूनिट बेचता था। इसके अलावा जरूरतमंदों को पांच से छह हजार रुपये प्रति यूनिट ब्लड बेचा जाता था।
🔴नौशाद प्रयागराज से पैरामेडिकल मेडिकल साइंस की हासिल की डिग्री
जनपद के रामकोला क्षेत्र का रहने वाला नौशाद अहमद पांच वर्ष पूर्व लखनऊ पैरामेडिकल की पढ़ाई करने गया था। लेकिन वह रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस प्रयागराज से वर्ष 2018 में डीएमएलटी की डिग्री हासिल की है। इसके बाद जोधपुर के अंबिका ब्लड बैंक में बतौर लैब टेक्नीशियन कुछ माह तक काम किया। इसी दौरान राजस्थान के कई ब्लड बैंको के चिकित्सकों व टेक्नीशियनों के संपर्क में आया। फिर चैरेटेबिल ट्रस्टों के माध्यम से संचालित ब्लड बैंकों द्वारा आयोजित ब्लड डोनेशन कैंप से खून जुटाते थे। ज्यादातर बैगों की इंट्री ब्लड बैंक के दस्तावेजों में नहीं होती थी। उनको तस्करों के जरिए अधिक कीमत पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर दूसरे राज्य में बेच देते थे।
पढ़ाई के दौरान ही वह ब्लड की तस्करी करने वाले गिरोह के संपर्क में आया था। पुलिस के अनुसार अब वह गिरोह का मुख्य तस्कर बन गया है। तीन भाइयों में नौशाद दुसरे नम्बर का है। घर में उसके माता-पिता व दो भाई हैं। बड़े भाई की शादी हो गई है।
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