🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर । खुद को नेवला बताकर भाजपा का मटियामेट करने का दावा करने वाले औसरवादी नेताओं मे शुमार स्वामी प्रसाद मौर्या आखिरकार भाजपा की राजनीति दांव के शिकार होकर आरपीएन सिंह के खौफ से अपनी परम्परागत सीट पडरौना विधानसभा छोडकर फाजिलनगर भाग गये। हालाँकि कि फाजिलनगर विधानसभा मे मार्या को न सिर्फ भारी विरोध का सामना करना पडा बल्कि सपाईयो ने उनका पुतला फूंककर उन्हे अपनी मंशा से भी अवगत करा दिया है। ऐसे मे इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है कि आने वाले दिनो मे मौर्या का राजनीतिक भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है।
काबिलेगोर है कि विधानसभा चुनाव के अधिसूचना जारी होने के बाद योगी सरकार के मंत्री मण्डल पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए भाजपा से इस्तीफा देकर सपा मे शामिल हुए पिछडी जाति का सबसे बडे स्वयंभू नेता व पडरौना विधानसभा को अपना राजनीति कर्मभूमि बनाकर लगातार तीन बार चुनाव जीतकर सूबे के विधानसभा मे पहुचने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा से इस्तीफा देने के बाद लगातार भाजपा को मटियामेट करने की दहाड मार रहे थे। इसी बीच भाजपा ने मार्या की काट के रूप मे कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह को भाजपा मे शामिल कर मौर्या के सामने उनके परम्परागत सीट पर खुला चुनौती दे दिया। नतीजतन भारतीय जनता पार्टी में आरपीएन सिंह के शामिल होने के वजह से मौर्य को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि कही जाने वाली पडरौना विधानसभा की परम्परागत सीट छोडकर फाजिलनगर भागना पडा है। दिलचस्प बात यह है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और आरपीएन सिंह के बीच राजनीतिक नूराकुश्ती का खेल वर्ष 2009 से चल रही है। आरपीएन की जमानत जब्त कराने व एक समान्य कार्यकर्ता खडा कर आरपीएन को हराने का दंभ भरने वाले स्वामीप्रसाद मौर्य को खुद के खौफजादा होने का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह लगातार तीन बार जीत दिलाने वाली पडरौना सीट छोड़कर फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनावी ताल ठोंक रहे है। ऐसे मे कहना मुनासिब होगा कि भाजपा छोडकर सपा मे शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्या के गीदड़भबकी के पीछे उनका बडबोलापन है या जनाधार?
👌👌
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