रामकोला विधानसभा से बसपा का नही खुला कभी खाता - Yugandhar Times

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Saturday, February 5, 2022

रामकोला विधानसभा से बसपा का नही खुला कभी खाता

🔴 सपा और भाजपा का रहा दो बार दबदबा

🔴 2012 के परिसीमन में रामकोला विधानसभा सीट हुआ था आरक्षित

🔴 संजय चाणक्य 

कुशीनगर। चार चीनी मिलों के साथ चीनी का कटोरा कहे जाने वाला रामकोला विधान सभा सीट का प्रदेश में एक अलग पहचान है। यहां की जनता ने बसपा को छोड़ सभी राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों को मौका दिया है। यही कारण है इस विधान सभा सीट पर दो बार सपा, दो बार भाजपा सहित कांग्रेस, जेएनपी, जनता दल व एलकेडी के प्रत्याशियों को यहां की जनता ने रहनुमाई का मौका दिया है। इसके साथ ही भाजपा समर्थित सुहेलदेव पार्टी से 2017 में यहा की जनता ने रामानन्द बौद्ध के माथे पर जीत का सेहरा बांधकर विधानसभा पहुंचाया है। अब देखना है कि इस सीट पर सपा, कांग्रेस और बसपा अपनी क्या रणनीति तय करेगी। वैसे इस विधानसभा पर भाजपा व सपा का सीधा मुकाबला होना तय है।

काबिलेगोर है कि परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में रामकोला विधानसभा सीट सामान्य से अनुसूचित सीट के रूप में आरक्षित कर दी गई। नतीजतन सारे समीकरण उलट-पलट गए। नए राजनीतिक माहौल और समीकरण के बीच हुए चुनाव में सपा ने अपनी सीट बचा ली, लेकिन जातीय आंकड़ों के हिसाब से इस विधानसभा सीट को देखें तो सैंथवार, क्षत्रिय, मुस्लिम और हरिजनों की निर्णायक भूमिका रहती है। प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री और इस सीट से विधायक रह चुके राधेश्याम सिंह भी व्यक्तिगत तौर पर इस विधानसभा सीट पर प्रभावकारी शख्सियत माने जाते हैं। रामकोला सीट पर पिछले तीन विधानसभा चुनावों में दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली जबकि दो बार भारतीय जनता पार्टी ने सफलता हासिल की। फिलहाल इस सीट पर भाजपा समर्थित सुहेलदेव पार्टी का कब्जा था लेकिन भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद सुभासपा काबिज है। लेकिन इसे बरकरार रखना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। 2022 के चुनाव में भाजपा सहित सभी राजनीतिक पार्टियां अपना प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में उतार रही है। फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कि इस बार किस पार्टी पर जनता विश्वास जताती है।

🔴 रामकोला विधानसभा का राजनीतिक इतिहास

 गन्ने की मिठास वाले इस विधान सभा सीट का अपना इतिहास रहा है। वर्ष 1977 से चुनाव की बात करें तो तब विधानसभा चुनाव में इस सीट से जेएनपी से बांकेलाल ने जीत हासिल की थी और पहली बार विधायक चुने गए। साल 1980 में कांग्रेस के सुगराव सिंह जीते थे। वर्ष 1985 में कांग्रेस के सुग्रीव सिंह को मतदाताओं ने 22147 मत देकर रामकोला की रहनुमाई करने का मौका दिया था वहीं एलकेडी के हरिशंकर कुशवाहा दूसरे स्थान पर रहें। वर्ष 1989 में जनता दल से मदन गोविंद राव को रामकोला की जनता ने मौका दिया और 29058 मत हासिल कर कांग्रेस के सुग्रीव सिंह को मात दी थी। 1991 में रामलहर के बीच हुए चुनाव में रामकोला विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अंबिका सिंह को मतदाताओं ने विधानसभा में भेजा था। 1993 में भाजपा प्रत्याशी की हैसियत से अंबिका सिंह एकबार फिर चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने सपा उम्मीदवार अजीमुलहक को हराकर अपनी सीट बचा ली। वर्ष 1996 के चुनाव में निर्दल प्रत्याशी की हैसियत से राधेश्याम सिंह मैदान मे उतरे और भाजपा प्रत्याशी अंबिका सिंह को करारी शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचे। 14वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में राधेश्याम सिंह को सपा ने टिकट दिया। उन्होंने बसपा प्रत्याशी अजीमुलहक को 22 हजार से ज्यादा मतों से हराकर अपनी सीट बचा ली। 2007 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जसवंत उर्फ अतुल सिंह ने सपा प्रत्याशी राधेश्याम सिंह को हराकर जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया। इस चुनाव में अतुल सिंह को 45097 मत मिले थे जबकि सपा प्रत्याशी राधेश्याम सिंह को 40810 वोट प्राप्त हुए थे। विधानसभा के लिए वर्ष 2012 में हुए चुनाव की बात करें तो 3,02316 मतदाओं में से 52.09 प्रतिशत वोटरों ने अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग किया था। लखनऊ की लालसा पाले 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। इन सबको पछाड़ते हुए डॉक्टर पूर्णमासी देहाती ने 50861 मत हासिल कर इस सीट को सपा की झोली में डाल दिया था।

🔴 2017 का जनादेश

रामकोला (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर वर्ष 2017 में भाजपा समर्थित सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 2017 में रामकोला (सुरक्षित) में कुल 52.10 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से रामानंद बौद्ध ने समाजवादी पार्टी के पूर्णमासी देहाती को 55729 वोटों के मार्जिन से हराया था। 

🔴 वर्तमान विधायक का रिपोर्ट कार्ड

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक रामानंद बौद्ध 2017 में पहली बार विधायक चुने गए। मौजूदा विधायक का राजनीतिक सफर बहुत ही छोटा रहा है। ओमप्रकाश राजभर के नजदीक रहे रामानंद बौद्ध को 2017 के चुनाव में टिकट मिला और भाजपा समर्थित पार्टी के उम्मीदवार होने के नाते मोदी लहर में विधायक चुने गए। वर्ष 2020 में पुलिस कस्टडी में एक युवक की मौत की अफवाह को लेकर हुए उपद्रव में आरोप था कि विधायक रामानंद बौद्ध भी मौजूद थे। कुशीनगर के अहिरौली बाजार थाने की पुलिस ने विधायक के खिलाफ क्षेत्रीय लेखपाल की तहरीर पर धारा-353, 504 एवं 506 आईपीसी एवं संतोष पांडेय नामक युवक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया था। दोनों ही मामलों में विधायक समेत कुल 138 लोगों को आरोपी बनाया गया है. लेखपाल की तहरीर पर दर्ज मुकदमे में विधायक के खिलाफ वारंट जारी हुआ था। विधायक न्यायालय में रि-कॉल कराने के लिए पेश हुए थे। न्यायालय ने पर्सनल बांड पर विधायक का रि-कॉल स्वीकृत भी कर लिया था। इसी दौरान इसी न्यायालय में संतोष पांडेय द्वारा दर्ज कराए केस में गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत पर सुनवाई हो रही थी। इसमें अहिरौली बाजार थाने से पहुंचे एसआई ने न्यायालय को बताया कि जिस मामले की सुनवाई हो रही है, उसमें भी विधायक वांछित हैं। इस पर न्यायालय ने विधायक को अंडर कस्टडी में लेते हुए देवरिया जेल भेज दिया था।



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