🔴 खौफनाक मंजर
🔴 एक साथ तेरह शव देखकर ग्रामीणों की काप उठी रुह
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर । मांगलिक कार्यक्रम को लेकर पूरे गांव मे खुशी का माहौल था, जिस घर मे मांगलिक कार्यक्रम था उस घर के अलग-अलग के लोगो के चेहरे पर खुशिया झलक रही थी। सभी गांव के खुशी मे खुशनुमा थे। तभी कुदरत की कुदृष्टि ने गांव की खुशियों को पलभर मे मातम मे बदल दिया। चंद मिनट पहले फिल्मी गानों की धुन मे थिरक रहे लोगो पैरो मे मानो बेड़ियाँ पड गयी है। संगीत के धुन देखते ही देखते चारो तरफ चीख- चित्कार मे बदल गयी। हादसे की सूचना जिसे जहा मिली वह घटना स्थल की ओर भाग पडा। किसी ने सपने मे भी नही सोचा था कि पल मे यह खुशी मातम मे बदल जायेगी।
जनपद के नौरंगिया गांव के परमेश्वर कुशवाहा अपने बेटे की शादी को लेकर काफी उत्साहित थे। उन्हे इस बात की तनिक भी इल्म नही था कि उनकी खुशियों पर किसी अनहोनी की नजर गडी बैठी है। सुबह से लेकर शाम तक पूरा घर खुशियों मे सराबोर था ज्यो ज्यो घडी की सूई रात की पहर की ओर बढ रही रही थी परमेश्वर कुशवाहा के घर के लोग अन्जान अनहोनी से बेखबर अपनी खुशियों के समन्दर मे डूबते जा रहे है। रात के तकरीबन साढे नौ बजे विवाह से पूर्व हल्दी की रस्म अदायगी के दौरान घर से महज सौ मीटर के दूरी पर स्थित कुएं के समीप मटकोड की रस्स पुरा करने पहुची महिलाए तो उनके पीछे गांव महिला और युवतियां भी चल पडी। परम्परा अनुसार मांगलिक गीत के साथ मटकोड की रस्म शुरु हुई तो महिला, युवती व बच्चियों की भीड़ किसी बडे हादसे से अनजान कुएं पर बने स्लैब पर खडी होकर डान्स देखने लगी तभी कुएं का स्लैब भरभराकर टूट गया और उस पर बैठी लगभग तीस से अधिक महिला, युवती व बच्चियाँ कुएं मे समाहित हो गयी। देखते ही देखते मांगलिक गीत लोगो के चीख-पुकार मे बदल गया हर तरफ अफरातफरी का माहौल कायम हो गया। हादसे की सूचना जिसके कान मे पडी वह उसी हालत मे घटना स्थल की और दौड पडा। दिल दहला देने वाली चीख-पुकार के बीच गांव के लोगो ने बचाव कार्य शुरू किया लेकिन अंधेरा होने की वजह से कोई खास सफलता नही मिल सकी। लोगो ने पुलिस के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी लेकिन घंटो एम्बुलेंस नही पहुचा। समय पर दल-बल के साथ पहुंचे पुलिस कर्मियों ने बचाव कार्य तेज किया। ग्रामीणो की मदद से पुलिस ने जिन लोगो को कुएं से बाहर निकाला उन सबको अपनी सरकारी गाडी से लगायत राहगीरों की गाडी से जिला अस्पताल भेजवाया, जहा चिकित्सको ने परीक्षण के बाद तेरह लोगो को मृत्यु घोषित कर दिया। एक साथ तेरह शव देखकर सबकी रुह काप उठी।
🔴 महिलाएं बोलीं- कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ
मटकोड की रस्म पुरी करने गयी महिलाए दहाड़े मार रही थी। पूछने पर बिलखते हुए बडी मुश्किल से बुदबुदाई क्या हुआ किसी को कुछ समझ ही नहीं आया। पूजा के दौरान अचानक तेज आवाज आई और बच्चियां व महिलाएं गिरने लगी। बच्चियों ने एक-दूसरे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन अंधेरा होने के कारण किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। हादसे के बाद 15-20 मिनट तक तो सिर्फ चीखें थीं। सभी खौफ मे थे रोने-चिल्लाने के सिवाय किसी को कोई सूझ-बूझ नही थी। जब ग्रामीण आए तो फिर रेस्क्यू शुरू हुआ। अंधेरा न होता तो शायद इतनी मौतें नहीं होती।
🔴 प्रिंस और रविशंकर ने दिखाई बहादूरी
घटना के बाद गांव के प्रिंस और रविशंकर ने अपनी जान की परवाह किये बगैर अंधेरे के बीच गहरे कुएं में कूद गए और एक-एक करके महिला, युवती व बच्चियों को बाहर निकालना शुरू किया। इन दोनो युवको ने अपनी जान जोखिम मे डालकर छह लोगों को बाहर निकाला था। इस बीच पुलिस भी आ गई। ग्रामीणों के अनुसार पुलिस की मौजूदगी में 30 महिला, युवती और बच्चियों को कुएं से बाहर निकाला गया। कई घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इन सबका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक कइयों की हालत गंभीर बनी हुई है।
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