🔴 कुशीनगर और हाटा विधायकों का टिकट कटने बाद बाद सुगबुगाहट होने लगी भितरघात की
🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर । छठे चरण में होने वाले चुनाव में कुशीनगर के सात विधानसभा क्षेत्रों में से बीजेपी ने अभी महज तीन प्रत्याशियों की घोषणा की है। तीनों नए प्रत्याशियों को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। इधर टिकट कटने के बाद कुशीनगर और हाटा विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के अंदरखाने से भितरघात की बू आने लगी है। ऐसे मे नए प्रत्याशी वोटरों को अपने पक्ष मे रिझाने में कितना सफल होते हैं यह तो भविष्य के गर्भ मे छिपा है
कहना न होगा कि भारतीय जनता पार्टी ने टिकट देते समय जातिगत समीकरण को खूब साधा है. जिस जाति के विधायक का टिकट काटा गया है वहां उसी बिरादरी के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है। कुशीनगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 2017 के चुनाव में भी पार्टी ने नए प्रत्याशी रजनीकांत मणि त्रिपाठी को टिकट देकर चुनाव मैदान मे उतारा था। रजनीकांत ने सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को हराकर जीत हासिल की थी. लेकिन पार्टी ने 2022 के चुनाव में फिर से रजनीकांत मणि का टिकट काट कर पीएन पाठक को उम्मीदवार घोषित किया है।पेशे से वकील रजनीकांत मणि त्रिपाठी सरल स्वभाव के सहज व्यक्ति हैं। लगातार पांच साल तक आम लोगों के बीच में रहने के बाद भी टिकट कटना न सिर्फ क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है बल्कि रजनीकांत के टिकट कटने का रोष आम जनमानस मे देखने को भी मिल रहा है। ऐसे मे भाजपा शीर्ष द्वारा नये प्रत्याशी के रूप मे पीएन पाठक पर दांव खेलना कहा तक सार्थक सिद्ध होगा यह तो आने वाले वक्त पर निर्भर है।
🔴 कौन है पीएन पाठक
बीजेपी के घोषित उम्मीदवार पीएन पाठक पार्टी के गोरखपुर परिक्षेत्र के क्षेत्रीय टीम में उपाध्यक्ष के पद पर रहते हुए संगठन में काम कर रहे हैं। मूल रूप से तमकुहीराज विधानसभा के गडहिया गांव निवासी पीएन पाठक पिछले 2007 के विधानसभा चुनाव से ही पार्टी से टिकट मांग रहे थे. लेकिन पार्टी ने पहली बार उन्हें कुशीनगर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। बेशक! पार्टी ने जातिगत समीकरण को देखते हुए यहां से ब्राह्मण का टिकट काट कर दूसरे ब्राह्मण को टिकट दिया है। सबब यह है कि कुशीनगर विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है. यहां लगभग 35 से 40 हजार ब्राह्मण वोटरों की संख्या आंकी जाती है।
🔴 राजनीति ने मोहन और पवन को किया अलग-थलग
हाटा विधानसभा क्षेत्र की बात करे तो यहां से भी सिटिंग विधायक पवन केडिया का टिकट काट कर स्थानीय नगर पालिका परिषद के मौजूदा अध्यक्ष मोहन वर्मा को पार्टी ने टिकट दिया है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी हाटा विधानसभा के लिए बीजेपी ने नए उम्मीदवार पवन केडिया को प्रत्याशी बनाया था। पवन केडिया ने सपा सरकार के दबंग मंत्री व कद्दावर नेता राधेश्याम सिंह को हराकर जीत हासिल किया था। पवन केडिया मारवाड़ी जाति से विकलांग करते हैं। जबकि घोषित प्रत्याशी मोहन वर्मा सुनार जाति से आते है। चर्चा-ए-सरेआम है कि मोहन वर्मा को पवन केडिया ने ही नगर पालिका परिषद का टिकट दिलवा कर अध्यक्ष बनवाया था। बताया जाता है कि मोहन वर्मा और पवन केडिया साथ-साथ रहते थे लेकिन अब राजीनीति ने इन दोनों को अलग कर दिया है ऐसा प्रतीत हो रहा है।
🔴 पहली पारी का शुरूआत करेगे सुरेन्द्र
विधानसभा फाजिलनगर पर नजर दौडाये तो भाजपा ने यहां के स्थानीय विधायक गंगा सिंह कुशवाहा का टिकट काट कर उनके बेटे सुरेंद्र कुशवाहा पर दाव लगाया है। कहना न होगा कि फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र कुशवाहा बाहुल्य क्षेत्र है। यहां लगभग पचास हजार कुशवाहा (कोइरी) वोटर हैं. गंगा सिंह कुशवाहा लगातार दो बार यहां से बीजेपी के विधायक रहे हैं। पेशे से शिक्षक रहे गंगा सिंह कुशवाहा को बीजेपी ने 2012 और 2017 में उम्मीदवार बनाया था और दोनों बार विधायक चुने गए। घोषित नए प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा गंगा सिंह के पुत्र है और पेशे से अध्यापक हैं। राजीनीति में यह सुरेंद्र कुशवाहा की पहली पारी है।
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