🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। अगर आप पडरौना नगर पालिका क्षेत्र मे आते है और नगर पालिका मे अपना वरासत दर्ज कराना चाहते है तो यकीन मानिए यहां बरासत दर्ज कराना लोहे के चने चबाने के बराबर है। सबब यह है यहा वर्षो से कुण्डली मारे बैठे मनबढ ईओ और पटल लिपिक को बिना चढावा चढाये कुछ नही हो सकता है। हालाँकि नगर पालिका चेयरमैन घूसखोरी के खिलाफ काफी सख्त है। इन्होने तो बकायदा निर्देश जारी कर रखा है कि किसी भी कार्य के लिए सरकारी शुल्क के अतिरिक्त कोई कर्मचारी पैसा मांगता है तो उसकी खैर नही है। लेकिन ईओ और संम्बन्धित लिपिक की मनमानी का आलम यह है कि चढावा न मिलने पर वरासत से लगायत अन्य मामलो के निस्तारण मे ईओ व लिपिक स्वंयभू न्यायाधीश बनकर पहले सुनवाई करते है फिर मामले को ऐसे उलझा देते है कि आपका सही काम भी संदेह के घेरे मे आ जाता है। नतीजतन थक हारकर इन्हे चढावा चढाना आम लोगों की मजबूरी हो जाती है।
चर्चा पर गौर करे तो नगर पालिका पडरौना मे बषो से तैनात अधिशासी अधिकारी अवैधनाथ सिंह व लिपिक अवधेश नरायण शुक्ल की मनबढई व भ्रष्टाचार की फेहरिस्त बहुत लंबी है। ऐसी चर्चा है कि अधिशासी अधिकारी समस्याओ के निस्तारण करने मे कभी रुचि नही दिखाते है। नगरवासियों की समस्याओं को निस्तारित करने के बजाय बाबूओ से मिलकर उस समस्या को उलझाने मे साहब को महारथ हासिल है।
🔴 दो साल से गणेश का नही दर्ज हुआ वरासत
पडरौना नगर के गांधीनगर मुहल्ले के निवासी गणेश चौहान अपनी माँ के देहांत के बाद लगातार दो वर्षों से अपनी स्वर्गीय माँ की जगह अपना नाम बरासत पर दर्ज कराने के लिए नगर पालिका का चक्कर लगा रहे है। बताया जाता है कि नगर पालिका के भ्रष्ट लिपिक मे शुमार अवधेश नारायण शुक्ला द्वारा बरासत पर गणेश का नाम दर्ज करने के लिए पहले दो हजार रुपये की मांग की गयी थी। चाय बेचकर अपने कुनबे का पेट पालने वाले गणेश ने जब दो हजार रुपये देने मे असमर्थता जाहिर की, तो लिपिक द्वारा बरासत दर्ज करने मे हीलाहवाली किए जाने लगा। सूत्र बताते है कि फिर बाद मे लिपिक, ईओ से मिलकर किसी अन्य व्यक्ति से शिकायत कराकर गणेश के वरासत के मामले को बिना वजह उलझाकर टालमटोल कर रहे है।
🔴 नगर पालिका कार्यालय मे नही बैठते ईओ
बताया जाता है कि नगर पालिका क्षेत्र मे होने वाले निर्माण कार्यो मे ईओ एएन सिंह द्वारा ठेकेदार से मनमाने तौर पर मोटी कमीशन वसूल की जाती है। इसके अलावा नगर वासियों से जुड़े किसी मामले को निस्तारित करने मे भी धन की वसूली की जाती है। इसकी भनक नपाध्यक्ष को न लगे इस लिए ईओ नगरपालिका कार्यालय मे आवंटित अपने कक्ष मे नही बैठते है। सूत्रो का कहना है कि ईओ नगरपालिका मे बैठने के बजाय जलकल भवन मे ज्यादा बैठते है ताकि ठेकेदारो व जरुरतमंद लोगो से डिलिंग मे कोई बाधा न बने।
🔴 मामला न्यायालय मे भेज करते है सुनवाई
नगरवासियों की माने तो ईओ एएन सिंह नगर के एक जमीनी विवाद को काफी दिनो तक उलझाए रखने के बाद मामले को न्यायालय भेजकर बीते दिनो दोनो पक्षों को बुलवाकर सुनवाई कर रहे था। मजे की बात यह है कि सुनवाई के दौरान अपनी अपनी बात रखते हुए दोनो पक्षो मे तु-तु, मै-मै शुरू हो गयी और मामला गहमा-गहमी मे तब्दील हो गया और साहब इस दरम्यान अपने मोबाइल पर बात करने मे मशगूल रहे। यह शुक्र मनाइये कि शोर-गुल सुनकर नपा कर्मी और कुछ सभासद मौके पर पहुंचकर दोनो पक्षो को समझा-बुझाकर घर भेज दिया अन्यथा साहब तो माहौल बिगाड़ने मे कोई कसर नही छोडे थे।
🔴 नवसृजित नगर पंचायत दुदही मे ईओ की कारस्तानी
लोगो मे चर्चा अनुसार बीते वर्ष नवसृजित नगर पंचायत दुदही का गठन बीते वर्ष हुआ है। क्षेत्र के विकास के लिए शासन द्वारा करोडो रुपये आवंटित किए गये है। सरकारी धन का सही उपयोग करते हुए विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने के उद्देश्य से नगर पालिका परिषद पडरौना के ईओ एएन सिंह को नवसृजित नगर पंचायत दुदही का अतिरिक्त ईओ का कार्यभार सौपा गया था। जहां विकास के नाम पर ईओ ने व्यापक स्तर पर धन का बंदरबांट किया है। सूत्रो का दावा है कि शासन द्वारा आवंटित धनराशि के सापेक्ष दुदही नगर पंचायत मे कराये गये सभी विकास कार्यों की ईमानदारी से जांच हो जाय तो ईओ एएनसिंह की ईमानदारी की कलई खुल जायेगी। चर्चा है कि साहब की कारस्तानी के किस्से चर्चाआम होने पर दुदही ईओ के अतिरिक्त कार्य भार से मुक्त कर दिया गया है। अब देखना यह है कि योगी सरकार मे इनके कारनामों की जांच कब होती है।
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