दलित और पिछडो की आवाज उठाते रहे है मौर्य - Yugandhar Times

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Tuesday, January 11, 2022

दलित और पिछडो की आवाज उठाते रहे है मौर्य

🔴 मौर्य का राजनीतिक सफरनामा

🔴 संजय चाणक्य

कुशीनगर । भाजपा छोडकर सपा मे शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य की गिनती जमीनी नेताओं में होती है। ऐसी चर्चा है कि बिरदारी के साथ-साथ पिछड़ी और दलित जाति में इनकी गहरी पैठ है। गरीब, दलित और पिछड़ों के हक मे मौर्य अक्सर आवाज बुलंद करते रहते है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले इन्होंने बसपा छोड़ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया था। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 

🔴 मौर्य की राजनीति सफर

स्वामी प्रसाद मौर्य मौजूदा समय में कुशीनगर जनपद के पडरौना सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं। स्वामी के राजनीतिक सफर पर नजर दौडाये तो वह  इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे पढ़ाई  के दौरान ही कांशीराम के संपर्क में आए, जिसके बाद वो गरीब, दलित और पिछड़ों की राजनीति करने लगे। साथ ही मायावती के करीबियों में शामिल हो गए। बताया जाता है कि वर्ष 1984 में बसपा के गठन के बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी मे दलित और पिछड़ों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। बसपा की सरकार में श्री मौर्य कई बार मंत्री भी रहे। साथ ही वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद मे नेता सदव व  उत्तर प्रदेश विधान सभा नेता विरोधी दल रहे हैं। 1996 के तेरहवीं विधान सभा मे मौर्य पहली बार सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1997, मार्च मे वह मायावती सरकार मे पहली बार खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री बने। वर्ष 1997 सितम्बर मे ही भाजपा बसपा गठबंधन सरकार मे कल्याण सिंह के मंत्रीमंडल मे भी वह खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री रहे।  वर्ष 1997-98 मे सदस्य कार्यमंत्रणा समिति, वर्ष 2001 मे स्वामी प्रसाद मौर्य को बहुजन समाज पार्टी का नेता विधानमण्डल दल चुना गया। इसी वर्ष सितम्बर मे अक्टूबर तक नेता, विरोधी दल, उत्तर प्रदेश विधान सभा रहे। इसके बाद वर्ष 2002 फरवरी माह मे चौदहवीं विधान सभा मे  दूसरी बार सदस्य निर्वाचित होकर वर्ष 2003 अगस्त तक मायावती मंत्रिमंडल फिर खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री बनाये गये। इस दरम्यान मौर्य नेता सदन, उत्तर प्रदेश विधान परिषद् भी रहे। इसके बाद अगस्त 2003 से सितम्बर 2003 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के नेता विरोधी दल रहे। इसी क्रम मे वर्ष 2007 मई मे मायावती सरकार मे राजस्व एवं सहकारिता मंत्री बने। वर्ष 2009 नवम्बर मे पन्द्रहवी विधानसभा चुनाव के उप चुनाव मे तीसरी बार एवं पड़रौना विधान सभा से पहली बार निर्वाचित होकर पंचायती राज विभाग के मंत्री बने। फिर मार्च 2012, मे चौथी बार सोलहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और मार्च माह मे उत्तर प्रदेश विधान सभा के नेता विरोधी दल चुने गये। फिर 8 अगस्त 2016 को स्वामी प्रसाद ने बसपा छोडकर भाजपा का दामन थाम लिया। वर्ष 2017, मार्च मे भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले सत्रहवीं विधान सभा के पांचवीं बार सदस्य निर्वाचित होकर 19 मार्च, 2017 को योगी मंत्रीमंडल मे श्रम एवं सेवायोजन, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री बने।  इसके पूर्व स्वामी प्रसाद मौर्य इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे पढाई के दौरान वर्ष 1980 मे युवा लोक दल संयोजक रहे। साल 1981 मे सदस्य कार्य समिति, युवा लोकदल उ0प्र0, वर्ष 1982 से 1985 तक  प्रदेश महामंत्री, युवा लोकदल, 1986 से 1989 तक प्रदेश महामंत्री लोकदल, 1989 से 1991 तक मुख्य महासचिव, लोकदल, 1991 से 1995 तक प्रदेश महासचिव जनता दल रहे। इसके बाद वर्ष 1996 मे  बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश महामंत्री व उपाध्यक्ष, फिर अध्यक्ष बने। बताया जाता है कि दलित पिछड़ों की लडाई के लिए स्वामी ने कई बार धरना प्रदर्शन एवं आन्दोलनों के माध्यम से लगभग 25 बार गिरफ्तारियां दी और जिला कारागार, प्रतापगढ़ व रायबरेली में लगभग 40 दिन बंदी रहे।

🔴 मौर्य की पारिवारिक पृष्ठभूमि

नाम- प्रसाद मौर्य, पिता - स्व0 बदलू मौर्यज, जन्मतिथि - 02 जनवरी, 1954, पत्नी - शिवा मौर्या, विवाह तिथि - सन 1970, सन्तान - एक पुत्र, एक पुत्री, व्‍यवसाय - कृषि, वकालत, मुख्यावास - ग्राम- चकवड़, जनपद- प्रतापगढ़, अस्थाई पता- 6/237 ई0, विपुल खण्ड, गोमतीनगर, जनपद- लखनऊ

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