कुशीनगर । सपा प्रमुख व सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विजय रथ को लेकर सपा कार्यकर्ता भले ही उत्साहित हो लेकिन आम जनमानस मे इस चुनावी रथयात्रा का कोई खास असर देखने को नही मिला। इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो लेकिन कही न कही स्थानीय स्तर पर नेताओ की बेहतर मैनेजमेंट के अभाव के कारण पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का जनता के सिर चढकर बोलते हुए नही देखा जा सका। चर्चा-ए-सरेआम है कि कार्यक्रम की बखिया उधेड़ने मे अपनो की भूमिका भी कम नही रही है।
काबिलेगोर है कि वर्ष 2022 मे सूबे की सत्ता पर काबिज होने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की समाजवादी विजय यात्रा के तीसरे चरण के समापन के पहले दिन यानी 13 नवंबर को निराशा हाथ लगी। कहना न होगा कि अखिलेश का चुनावी विजय यात्रा के तीसरे चरण का शुभारंभ सीएम योगी के गढ गोरखपुर से शुरू होकर कुशीनगर मे समाप्त होना है। दो दिवसीय इस रथयात्रा के तहत 13 नवम्बर को सपा मुखिया गोरखपुर एयरपोर्ट से कुसम्ही, जगदीशपुर, सोनबरसा होते हुए कुशीनगर क्षेत्र मे पहुचे। जनपद आगमन पर सबसे पहले सपा प्रमुख हाटा विधान सभा क्षेत्र के झांगा बाजार में जनसभा को संबोधित किया। देखा जाए तो अखिलेश को देखने और सुनने वाले आमजनो की जो भी भीड आज देखी गयी है वह थोडी-बहुत यही देखने को मिला है। इसके बाद जैसे-जैसे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रथ का पहिया आगे बढता गया आम जनमानस की हुजूम कम होती गयी। नतीजतन निर्धारित समय से काफी विलम्ब से अखिलेश यादव रामकोला विधान सभा के कप्तानगंज कस्बा में एलआईसी चौराहा पर पहुचे जबकि यहा उन्हें दोपहर एक बजे सभा को संबोधित करना था। यहा से वह खड्डा विधान सभा क्षेत्र के रामबाग होते पकड़ियार बाजार मे आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित किए। यहां अनुमान के हिसाब से न तो कार्यकर्ताओं मे वह जोश दिखा और न ही जनता-जनार्दन की भीड का ठिकाना रहा। दोपहर के ढाई बजे के करीब सपा मुखिया को नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र के पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास जनसभा को संबोधित करना था। लेकिन सूर्य ढलने के बाद जब उनका रथ पहुचा तो वहा भी आम जनता की तरह कार्यकर्ताओ मे जोश की अभाव स्पष्ट रूप से झलक रही थी। यहां से देर शाम पूर्व मुख्यमंत्री का रथयात्रा पडरौना विधान सभा क्षेत्र के सूरजनगर चौराहे से होते हुए पडरौना के बावली चौक पर जनसमूह को संबोधित किया। इसके बाद उनका रथ कुशीनगर जकर ठहर गया जहा वह एक होटल में रात्रि विश्राम के लिए रके। अगले दिन रविवार को उनका रथ तमकुही और कसया विधानसभा मे भ्रमण के बाद विजय रथयात्रा का समापन कर लखनऊ के लिए प्रस्थान करेगी।
🔴 चुनावी यात्रा का टोटकाअखिलेश की चुनावी रथयात्रा को सपा नेता सत्ता पर क़ाबिज़ होने का टोटका मानते हैं। कहना न होगा कि रथ की परंपरा मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी। वर्ष 1987 में उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए 'क्रांति रथ' निकाला था. तब भी इसकी शुरुआत कानपुर से हुई थी। मुलायम सिंह यादव अपना 'क्रांति रथ'कानपुर देहात के झींझक में रैली करने के बाद दूसरी रैली उन्होंने मैनपुरी में की थी और इसके बाद 1989 के चुनाव में मुलायम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसी रास्ते चलते हुए अखिलेश यादव ने 2011 में अपने पिता मुलायम के ही अंदाज़ में 'क्रांति रथ' निकाला वह भी कानपुर से शुरुआत करके पूरे प्रदेश में घूमे। वर्ष 2012 के चुनाव में पूर्ण बहुमत से सपा की सरकार प्रदेश में आयी थी और अखिलेश पहली बार मुख्यमंत्री बने।
🔴 वर्ष 2017 मे काम नही आया टोटकावर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी के सामने अखिलेश यादव की करारी शिकस्त हुई थी. कांग्रेस से गठजोड़ के बाद भी दोनों को मिलाकर कुल 52 सीटें ही मिल पाई थीं। उस समय सपा का यह टोटका काम नही आया। अब देखना यह है कि इस बार समाजवादी पार्टी के वापसी का यह टोटका कहा तक रास आती है।
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