लोकतांत्रिक शासन मे पुलिस की भूमिका - Yugandhar Times

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Friday, October 8, 2021

लोकतांत्रिक शासन मे पुलिस की भूमिका

🔴 डॉ सुधाकर कुमार मिश्रा 

राज्य की कानून व्यवस्था की नींव उस राज्य की पुलिस व्यवस्था होती है। हमारे देश की पुलिस भी समाज एवं राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । उदारवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था में पुलिस की भूमिका ,लोक कल्याणकारी राज्य ( गरीबी की समाप्ति, बेरोजगारी की समाप्ति, नशाखोरी की समाप्ति, वृद्ध व्यक्तियों की सुरक्षा एवं संरक्षण) में पुलिस की भूमिका अहम है। देश हो या राज्य दोनों में ही पुलिस की भूमिका एवं कार्य महत्वपूर्ण है। ऐसे पुलिस की भूमिका ऐसी होनी चाहिए देश के व्यक्ति एवं नागरिक "मित्रवत पुलिस" चाहते हैं, जो अमीर एवं गरीब सभी के साथ एक समान व्यवहार करें।

लोक कल्याणकारी राज्य के अंतर्गत ऐसे थाने हों, जो बिना रिश्वत के काम को संपादित करें।संवैधानिक शासन की अवधारणा को विकसित कर सकें। विचारों की स्वतंत्रता को मजबूती प्रदान कर सकें। पुलिस व्यवस्था अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा को संरक्षण प्रदान करते हुए व्यक्तियों की तानाशाही, असामाजिक  तत्वों पर नियंत्रण स्थापित करना है। इस लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की पूर्ति, लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक पदों पर निष्पक्षता और कौशल के साथ काम करने वाले प्रतिभाशाली एवं ऊर्जावान अधिकारियों का चयन होना चाहिए। लोकतांत्रिक शासन एवं  सभ्य समाज में पुलिस की भूमिका अपराधियों के प्रति कार्यवाही से है। पुलिस उन सभी के विरुद्ध कार्यवाही करती है ,जो अपराध एवं अपराधिक कार्य को संपादित करते हैं । डॉ जेरोम हाल ने पुलिस की दंड प्रशासन एवं अपराध दंड प्रक्रिया में महत्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि- विधिक और राजनीतिक सिद्धांत में पुलिस की भूमिका ,अपराधियों एवं समाज के असामाजिक तत्वों को पकड़कर सभ्य समाज के लिए कानून व्यवस्था को बनाए रखना एवं अपराधिक तत्वों के ऊपर कानून के शासन को लागू करना है।  भारत के संविधान के अंतर्गत पुलिस, राज्यसूची का विषय है अर्थात पुलिस सुधार, पुलिस प्रणाली के क्षेत्राधिकार में आते हैं । राज्यसूची का विषय होने के कारण राज्य विधायिका कानून बना सकती है एवं राज्य सरकार कानूनों को क्रियान्वित कर सकते हैं। सभ्य समाज के नागरिकों की वैयक्तिक  स्वतंत्रता, जीवन की स्वतंत्रता एवं संपत्ति की सुरक्षा सुयोग्य पुलिस प्रशासन से ही संभव है। 

  🔴 लेखक स्वामी श्रद्धानंद महाविद्यालय,दिल्ली के राजनीत विज्ञान विभाग मे असिस्टेंट प्रोफेसर है यह उनका खुद का विचार है

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