🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज व्यूरो
कुशीनगर। जनपद के खड्डा तहसील के रेताक्षेत्र के तकरीबन एक दर्जन गांवों में दो वर्षों से बिजली आपूर्ति ध्वस्त है। यहा की की करीब 25 हजार की आबादी आज भी ढिबरी युग मे जीने के लिए मजबूर है। इस बार भी यहा के बाशिंदे अंधेरे में दीपावली मनायेंगे। बताया जाता है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि की ओर से भेजे गये 20 सोलर लाइट से गांव के चौराहे तो जगमग हो गये है किन्तु गांवों में आज भी अंधेरा कायम है।
कहने के लिए तो गांव मे बिजली आपूर्ति बहाल कराने के लिए विभाग के जिम्मेदारो ने बहुत प्रयास किया, लेकिन अब तक रेताक्षेत्र को रोशन करने में विभागीय जिम्मेदारो को सफलता हाथ नही लगी है। हालांकि, वीटीआर के साथ हुई बैठक में अफसरों ने यह कहकर साफ मना कर दिया कि जंगल के रास्ते पोल व तार ले जाने की उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे मे कहना मुनासिब होगा कि अब रेताक्षेत्र के इन गांवों में सोलर लाइट ही एकमात्र विकल्प है। गौरतलब है कि खड्डा के रेताक्षेत्र के मरिचहवा, बंसतपुर, शिवपुर, नारायनपुर, बालगोविंद छपरा, विंध्याचलपुर, बकुलादह समेत एक दर्जन गांवों में करीब 25 हजार संख्या मे लोग रहते हैं। पिछले साल वाल्मीकि गंडक बैराज से करीब चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी बड़ी गंडक नदी में छोड़े जाने के कारण रेताक्षेत्र के गांवों में तीन बार बाढ़ आई। इसमें आधा दर्जन से अधिक बिजली के पोल नदी समाहित हो गए तो वहीं ग्रामीणों ने अथक प्रयास कर करीब 32 बिजली के खंभों को नदी में विलीन होने से बचाया था। इसके बावजूद रेताक्षेत्र की बिजली व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी। गांव के मकसूद अंसारी, प्रमोद, लालूभगत, रमेश शुक्ला, नरसिंह, महाजन, पप्पू, निजामुद्दीन, राजेश गुप्ता, बेचन आदि ग्रामीणों ने बिजली विभाग से तार खींचकर आपूर्ति शुरू कराने की मांग की थी जिस पर विभाग ने हर वर्ष बाढ़ से करोड़ों रुपये के क्षति होने का हवाला देते हुए बिजली के विकल्प के रूप में वहां सोलर लाइट लगाने का सुझाव शासन को भेजा। लेकिन बात नहीं बन सकी और रेताक्षेत्र में बिजली आपूर्ति बहाल न होने के वजह से आज तक अंधेरा कायम है।
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