🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज व्यूरो
कुशीनगर । हरितालिका तीज पर गुरुवार को महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर पति की सलामती और लंबी उम्र की कामना की। सोलह शृंगार से सज धजकर महिलाओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा आचार्यों से शिव-पार्वती की कथा सुनी। नए परिधान और सोलह श्रृंगार मे सज-सवर कर पूजा पर बैठी व्रती महिलाओ की स्वरुप किसी देवी की प्रतिबिंब से कम नही था उनका उत्साह देखते बन रहा था।हालांकि मंदिरों मे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन के बराबर था लेकिन महिलाओं के मंदिर में पूजन-अर्चन से आसपास का माहौल भक्तिमय बना रहा। हरितालिका तीज पर कुंआरी कन्याएं मनचाहा वर के लिए, जबकि विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रहकर पूजा-पाठ कीं।
सबसे कठिन माने जाने वाले तीज व्रत के उत्साह में आधी रात के बाद से ही सुहागिनों ने अन्न-जल का त्याग कर दिया। दिन भर शृंगार की तैयारियों में जुटी रहीं। मेंहदी रचाई गई। घरों में गुझिया, मालपुआ सहित कई तरह के पकवान बनाए। शाम को विधिवत शृंगार करके। नए कपड़े, गहने, शृंगार और पूजन सामग्री के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की। उसके बाद व्रत कथा सुनी गई। इस बार मंदिरों में अपेक्षाकृत कम भीड़ रही। ज्यादातर सुहागिनों ने घर में ही पूजन किया। व्रती महिलाओं ने मंदिर में पूरे मनोयोग से शिव-पार्वती की आराधना कीं तथा पति की लंबी उम्र, स्वस्थ जीवन व सात जन्मों तक साथ बने रहने की प्रार्थना की। शाम को मंदिर में उमड़ी भीड़ से हर तरफ श्रद्धा का भाव दिख रहा था। कोरोना संक्रमण की वजह से अधिकांश जगहों पर घर को स्वच्छ कर श्री शिव-पार्वती, श्री गणेशजी तथा ऋद्धि-सिद्धि की मूर्ति बनाकर विधि-विधान से पूजा की गई। पडरौना नगर के बुढ़िया माई, भारतीय शिवाला मंदिर, रामकोला रोड के रामजानकी मंदिर, सुप्रसिद्ध श्री शिवशक्ति मंदिर कुबेरनाथ धाम समेत जल्पा देवी तथा खह्नवार मंदिर में सायंकाल व्रती महिलाएं एवं कुंआरी कन्याओं ने पहुंचीं और पूजा-अर्चना कीं।श्री चित्रगुप्त मंदिर के पीठाधीश्वर महर्षि अजयदास महाराज ने बताया कि सुहागिनों के लिए अतिमहत्वपूर्ण हरितालिका व्रत में मन-चित लगाकर शिव-पार्वती का कथा सुनना जरूरी होता है। इसके सुनने के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है।
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