🔴 हाटा रेंजर बोले- फलदार वृक्षों को छोड़कर बुटेर आदि पेड़ो के कटान पर नही है रोक
🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। जिले के कप्तानगंज सहित कमोबेश हर थाना क्षेत्रो में हरे वृक्षों की अवैध कटान धड़ल्ले से जारी है। ठेकेदार दिन-रात एक करके हरे वृक्षों को कटवाकर वृक्षारोपण अभियान का गला घोट रहे है। सबब यह है कि हरे वृक्षो के अवैध कटान से स्वच्छ पर्यावरण के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। चर्चा-ए-सरेआम है कि हरे वृक्षों का कटान लकड़ी माफियाओं व वन विभाग के गठजोड़ से हो रहा है। वन प्रेमियों के शिकायत के बाद भी विभाग के जिम्मेदार लकडी माफियाओं पर कार्यवाई के बजाए धृतराष्ट्र बने बैठे है।
काबिलेगोर हो कि पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रत्येक वर्ष पौधरोपण के नाम पर विभाग की ओर से लाखों पेड़ लगाने का दावा किया जाता हैं। जानकारों की माने तो विभागीय दावो मे अधिकांश पौधे तो कागजों मे लगाये जाते है। कुछ जमीन पर लगाये गये पौधे विभागीय उदासीनता व रख रखाव के चलते सुख जाते है, तो कुछ पौधे प्रकृतिक आपदा से नष्ट हो जाते है। ऐसे मे जो पौधे, पेड के रुप मे परिवर्तित हो गये है वह भी वन विभाग और पुलिस प्रशासन के जिम्मेदारो के लापरवाही व मिली भगत से लकड़ी माफियाओं भेट चढ़ रहे है। इसका जीता जागता उदाहरण बुधवार को कप्तानगंज क्षेत्र के गांव सेमरा के समीप सड़क के किनारे लगे हरे पेड़ों की कटान का नजारा देखने को मिला। रात की बात कौन कहे यहा तो दिन के उजाले में ही पेडो के हत्यारे लकड़ी माफियाओं द्वारा हरे पेड़ो का अवैध कटान कराया जा रहा है। हरे पेड़ो के कटान को लेकर जब पर्यावरण प्रेमी व स्थानीय लोगो ने इसकी शिकायत विभाग के जिम्मेदारो से की तो वह बडी ही बेशर्मी से इस कटान को ही जायज ठहराते हुए शिकायतकर्ता को ही प्रवचन देने लगे। स्थानीय लोगो ने कहा कि सरकार द्वारा पौधरोपण अभियान पर करोड़ो रूपये खर्च किए जाते है, महीने दिन तक अभियान में सरकारी व गैर सरकारी विभागों के साथ गाँव के भी जिम्मेदारों लोगो द्वारा पौधरोपण कराया जाता है। परन्तु शासन के मंशा पर पानी फेरते हुए वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारीयो की मिली भगत से हरे पेड़ो का कटान चल रहा है। यही वजह है कि पेडो के हत्यारों की संख्या मे भी वृद्धि होते जा रही है। इस सम्बंध में पूछने पर वन विभाग के हाटा रेंजर राजेश कुशवाहा ने बडी ही निर्लजता से कहा कि फलदार पेड़ो को छोड़कर बुटेर आदि पेड़ो के कटान पर रोक नहीं है। इन पेड़ों को काटने के लिए परमिट की भी आवश्यकता नहीं है, कटा जा सकता है। कहना न होगा कि कोरोना महामारी के दौर मे पेडो की भूमिका महत्वपूर्ण रही अगर ऐसे ही फलदार वृक्षों को छोडकर पेडो की कटान होती रही तो प्रदूषित वातावरण मे लोगो का सांस लेना भी दुभर हो जायेगा।
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