कुशीनगर। जनपद की पडरौना कोतवाली पुलिस ने बबुईया हरपुर गांव के टोला मसई के समीप बांसी नदी से लाल सोना के नाम से प्रसिद्ध बेशकीमती खैरा की 143 बोटा लकडी बरामद की है। बताया जाता है कि तस्करों ने इसे बांसी नदी मे जलकुंभी के नीचे दबा कर रखा था। ऐसी चर्चा है कि इस बेशकीमती लकडी को तस्करों ने बडी गंडक नदी के बाजू मे स्थित जंगल से चुराकर लाया था। पुलिस द्वारा बरामद की गयी लकडी की कीमत लाखो रुपये आंकी जा रही है।
काबिलेगोर है कि बडी गंडक नदी के बगल मे स्थित बाल्मीकि ब्याघ परियोजना के जंगलो के अलावा कुशीनगर के जनपद के खड्डा, हनुमानगंज, नेबुआ नौरंगिया, जटहाॅबाजार व पडरौना कोतवाली के क्षेत्रो मे खैरा के पेड पाये जाते है। जानकारों की माने तो इस पेड की लकडी से पान मे इस्तेमाल होने वाले खैर (कत्था) का उत्पादन किया जाता है। प्राकृतिक गुणो और बाजार मे बेशकीमती होने के वजह से यह लकडी लाल सोना के नाम से प्रसिद्ध है। भारी मुनाफा के कारण खैरा की लकडी की तस्करी इस क्षेत्र के तस्करों की पसंदीदा धंधा है।
🔴 जंगल दस्युओं को भाति थी खैरा की तस्करी
आज से तकरीबन ढाई दशक पहले रेता क्षेत्र मे तमाम जंगल दस्युओ के गिरोह का उदय के पीछे खैरा की तस्करी ही बतायी जाती है। कहना न होगा कि वन विभाग ने खैरा की कटान पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। बिना अनुमति लिए खैरा की कटान किसी भी सूरत मे नही की जा सकती है।
🔴 पुलिस को मिली मुखबिर से जानकारी
पुलिस के मुताबिक मुखबिर के जरिए पता चला कि तस्करों ने खैरा की 143 बोटा लकडी बांसी नदी मे छिपाकर रखा गया है। मुखबिर द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर पडरौना कोतवाली के उपनिरीक्षक राम लक्ष्मण सिंह अपने हमराही सिपाहियों के साथ बबुईया हरपुर गांव के मसई टोला स्थित बांसी नदी मे निशानदेही वाले स्थान पर तलाशी करायी तो 143 बोटा खैरा की लकडी बरामद की गयी। बताया जाता है कि तस्करों ने इसे बांसी नदी मे जलकुंभी के नीचे दबा कर रखा था। कोतवाली पुलिस ने बरामद लकडी को अपने कब्जे मे लेते हुए अज्ञात तस्करों के खिलाफ मुकदमा दर्ज दर्ज कर लिया है।
No comments:
Post a Comment