हार के जिम्मेदार, संगठन के गद्दार - Yugandhar Times

Sunday, July 4, 2021

हार के जिम्मेदार, संगठन के गद्दार

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🔴 सपा का दावा था कि उसके 20 सदस्य चुनाव जीते हैं

🔴 सटीक विश्लेषण

🔴 संजय चाणक्य 

कुशीनगर ।  जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा की हुई करारी हार के निहतार्थ निकाली जा रही है कि समाजवादी पार्टी कही अपनो के दगाबाजी की शिकार तो नही हो गयी। वजह यह कि सदस्य संख्या के आधार पर सपा काफी मजबूत दिख रही थी। फिर इसके उलट मतदान मे भाजपा उम्मीदवार को दो तिहाई  सदस्यों का वोट मिलना कही न कही सपा मे अन्दरूनी भितरघात की कहनी बंया कर रही है। ऐसे मे बरबस यह शब्द फूट पडता है..  " हार के जो वास्तविक जिम्मेदार है संगठन के वह राजनीतिक गद्दार है।" 

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काबिलेगोर है कि जनपद में जिला पंचायत सदस्याें की संख्या 61 है। इसमे 32 महिलाएं एंव 29 पुरुष शामिल है। अध्यक्ष बनने के लिए यहा 61 मे से 32 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी। बताया जाता है कि सपा के 13 सदस्य चुनाव जीते थे बाद मे  सपा ने अपने दल के 20 जिला पंचायत सदस्यो के जितने दावा कर रही थी जबकि भाजपा के महज छह सदस्य ही थे। हालांकि भाजपा ने सभी वार्डों मे अपना प्रत्याशी उतारा था।  इसके अलावा कांग्रेस व बसपा के क्रमशः दो व तीन सदस्य चुवाव जीते थे। अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी भाजपा विरोध के चलते सपा के साथ रहेंगे ऐसा दावा सपा नेताओ और रणनीतिकारो द्वारा किया जा रहा था। लेकिन समाजवादी पार्टी के पास भाजपा उम्मीदवार सावित्री देवी के मुकाबले कोई चेहरा सामने नही दिख रहा था। सपा दमदार प्रत्याशी की तलाश मे थी और देखते ही देखते पूर्व सांसद बालेश्वर यादव की पुत्री रीता यादव को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया। सूत्रो की माने तो पूर्व सांसद बालेश्वर यादव अपनी पुत्री को जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप मे चुनावी रणभूमि मे उतारने के तनिक भी पक्ष मे नही रहे लेकिन सपा के वरिष्ठ नेताओं के दबाव और निवेदन के आगे वह विवश हो गये। नतीजतन रीता यादव के रुप मे मजबूत उम्मीदवार पाकर सपाई उत्साहित हो गये। इतना ही नही बालेश्वर यादव के सपा मे पुन: घर वापसी करने के बाद सपा का उत्साह दोगुना हो गया। इसके अलावा मुसलमानों मे मजबूत पकड रखने वाले युवा नेता बंटी राव के सपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सपा-भाजपा मे कडा मुकाबला का दौर शुरू हो गया। इसके बाद सपा द्वारा यह दावा किया जाने लगा कि अपनी पार्टी के अलावा अन्य दलों व निर्दलीयों को  मिलाकर 37 सदस्य उनके साथ हैं। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव करीब आते गया सूत्र बताते है कि सपा मे भितरघात का खेला शुरू हो गया जिसका परिणाम यह हुआ कि, सपा के समर्थक सदस्य भी भाजपा के पाले में जुड़ते चले गए। कहना न होगा कि भाजपा उम्मीदवार को जिन 46 सदस्यों का साथ मिला है, उसमें से कई ऐसे हैं जो सपा के बहुत करीबी हैं लेकिन इस चुनाव में पार्टी उन्हें अपने पाले में सहेजने में सफल नहीं हो पाई। वरना जिला पंचायत अध्यक्ष का यह चुनाव निश्चित तौर पर कडे मुकाबले के साथ काफी दिलचस्प होता। सपा जिलाध्यक्ष डॉ. मनोज यादव भी मानते है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने के लिए उनके संगठन के पास पर्याप्त संख्या बल था।  वह भी पार्टी के इस करारी हार का निहतार्थ ढूढने मे लगे है बोले इस हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी। मजे की बात यह है कि वर्ष 2022 के विधानसभा का सेमीफाइनल गवाने के बाद सपा के जिम्मेदार सीना ठोकर बोल रहे है कार्यकर्ता हतोत्साहित नहीं हैं। पार्टी पूरे दमखम से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी और विजयश्री हासिल करेगी।

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