भाजपा की सावित्री जायसवाल बनी जिले की प्रथम नागरिक - Yugandhar Times

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Saturday, July 3, 2021

भाजपा की सावित्री जायसवाल बनी जिले की प्रथम नागरिक

🔴 भाजपा उम्मीदवार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी को 31 मतो से किया पराजित

🔴 भाजपा के सावित्री जायसवाल को 46 और सपा के रीता यादव को मिला 15 वोट

🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क 

कुशीनगर । जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी सावित्री जायसवाल निर्वाचित होकर जिले का प्रथम नागरिक बनी। उन्होंने सपा उम्मीदवार व पूर्व सांसद बालेश्वर यादव की पुत्री रीता यादव को 31 मतों से हराकर यह जीत हासिल की हैं। सावित्री देवी को  कुल 46 मत मिले, जबकि प्रतिद्वंदी रीता 15 मत हासिल कर सकीं। जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने पर भाजपा ने जश्न मनाया और आतिशबाजी कर मिठाई बांटी। वही सपा खेमे मे मायूसी छाया रहा। 

काबिलेगोर है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा सावित्री जायसवाल और सपा से रीता यादव चुनावी रणभूमि मे ताल ठोक रही थी।इन दोनो के बीच कडा मुकाबला था।  शनिवार को कलेक्ट्रेट में मतदान सुबह 11 बजे से तीन बजे तक चला। इसके बाद परिणामों की घोषणा की गई, जिसमें भाजपा की सावित्री जायसवाल को 46 और रीता यादव को 15  मत मिले। इस तरह सावित्री देवी 31 वोटों से जीतीं।

🔴 काफी गहमागहमी रहा

शनिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के हो रहे चुनाव के दौरान कलेक्ट्रेट में काफी गहमागहमी रही। कई बार दोनों पार्टियों के समर्थकों के बीच हार-जीत को लेकर तू-तू- मै-मै भी हुई। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने भाजपा के निर्वाचित प्रत्याशी सावित्री देवी को जीत का प्रमाण पत्र दिया। इसके बाद भाजपाइयों ने नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष के घर पहुंचकर घंटों आतिशबाजी की और मिठाइयां बांट कर खुशी का इजहार किया।

🔴 जिला पंचायत की छठवी अध्यक्ष बनी सावित्री देवी

जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतकर भाजपा की सावित्री देवी ने जिले की छठवी व खुद दुसरी बार अध्यक्ष होने का गौरव हासिल किया है। सावित्री इसके पूर्व  वर्ष 2010 अध्यक्ष बनी थी। रही हैं। 

🔴 कब-कब कौन हुआ अध्यक्ष

कहना न होगा वर्ष-1994 में देवरिया से अलग होकर कुशीनगर जिले का सृजन हुआ था। उसके बाद पहली दफा यहा के बाशिंदों को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने का मौका वर्ष-1995 मे मिला। इस पंचायत चुनाव में अध्यक्ष का पद पिछड़ी जाति के पुरुष के लिए आरक्षित थी, जिस पर पहले जाकिर हुसैन और बाद में जगदीश सिंह को अध्यक्ष बनने का अवसर मिला। इसी क्रम वर्ष-2000 के पंचायत चुनाव में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई थी जिस  सुभाष त्रिपाठी की पत्नी निर्मला त्रिपाठी को अध्यक्ष बनने का अवसर मिला। इसी तरह वर्ष-2005 में यह सीट पिछड़ी जाति के पुरुष के लिए आरक्षित हुई और प्रदीप जायसवाल अध्यक्ष बने। वर्ष-2010 में अध्यक्ष पद फिर सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुआ और इस बार प्रदीप जायसवाल की पत्नी सावित्री देवी जायसवाल अध्यक्ष चुनीं गईं। वर्ष-2015 में यह सीट अनुसूचित जाति पुरुष के लिए आरक्षित हुई। इस बार पूर्व विधायक पूर्णमासी देहाती के पुत्र हरीश राणा ने कुर्सी पर कब्जा जमाया, लेकिन बीच मे ही अविश्वास प्रस्ताव आ जाने के कारण हरीश राणा को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही अध्यक्ष पद के कुर्सी से हाथ धोना पडा और उनके जगह पर प्रदीप जायसवाल की मदद से विनय प्रकाश गौड़ को अध्यक्ष बनने का मौका मिला। अब फिर से यह सीट पिछड़ी जाति महिला के लिए आरक्षित हो गई है। उसके बाद वर्ष-2010 में पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित सीट पर अध्यक्ष बनने के बाद सावित्री जायसवाल को वर्ष 2021 मे  दुबारा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने मौका मिला है।

🔴 सुरक्षा का किया गया पुख्ता इंतजाम

जनपद में अध्यक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव कुल निर्वाचित 61 जिला पंचायत सदस्यों ने अपने मत का प्रयोग किया जिसमें 32 महिलाएं तथा 29 पुरुष शामिल रहे। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए  गए थे कलेक्ट्रेट परिसर की तरफ जाने वाले मार्गों को तीन तरफ से बैरिकेडिंग की गई थी जिला मुख्यालय स्थित पुलिस चौकी के बगल से जाने वाले रास्ते संयुक्त जिला चिकित्सालय तथा सर्किट हाउस की तरफ से आने वाले रास्ते को एमपी लैंड के पास तथा मोती छापर एवं पुलिस अधीक्षक कार्यालय की तरफ से आने वाले रास्ते को आरटीओ ऑफिस के बगल में बैरिकेड किया गया था कलेक्ट्रेट परिसर के 200 मीटर की परिधि को कोई तरफ से आम आदमी के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। सिर्फ चुनाव कार्य में लगे तथा प्रशासनिक अधिकारियों के अतिरिक्त सुरक्षा बल के लोग एवं कलेक्ट्रेट के गेट तक पत्रकार प्रवेश कर सके। कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर मतदाता को पूरी जांच के उपरांत प्रवेश दिया गया सुरक्षा व्यवस्था की कमान एएसपी अयोध्या प्रसाद सिंह ने संभाल रखी थी जबकि उनके साथ क्षेत्राधिकारी तमकुही फूलचंद, यातायात के टीएसआई परमहंस सिंह के अलावा एक दर्जन थाने की फोर्स जटी रही।




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