🔴 रसूखदार लेखपाल सरकार की खूब करा रहे है किरकिरी
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। जनपद के कसया तहसील मे ढाई दशक से कुण्डली जमाए बैठे अकूत व बेनामी सम्पत्ति के मालिक दो रसूखदार लेखपालो का अब तक स्थानांतरण न होना शासन प्रशासन पर कई गंभीर सवाल खडा कर रहे हे। लेखपाल हरिशंकर सिंह व ब्रजेश मणि के रसूख का प्रभाव इस कदर है कि सरकार नियम विरुद्ध होने के बावजूद इन दोनो लेखपालो का स्थानांतरण करने से परहेज कर रही है। बेशक! स्थानीय जिला प्रशासन इन दोनो लेखपालो के प्रभाव मे है लेकिन शासन-सत्ता इनके खिलाफ कार्रवाई करने मे इतना लाचार क्यो? ऐसे मे कहना मुनासिब होगा मुख्यमंत्री जी इन रसूखदार लेखपालो का कब होगा ट्रांसफर?
काबिलेगोर है कि कुशीनगर जनपद के कसया तहसील मे रसूखदार लेखपाल हरिशंकर सिंह और ब्रजेश मणि त्रिपाठी पच्चीस वर्षो से अंगद की पाव की तरह जमे हुए है जो यह साबित करने के लिए काफी है कि इनके लिए शासनादेश व राजस्व परिषद या सर्विस नियमावली कोई मायने नही रखता है। विभाग का हास्यास्पद तर्क है कि कसया तहसील से इन दोनो लेखपालो के हटने से एयरपोर्ट निर्माण के कार्य व कुशीनगर विकास प्राधिकरण का कार्य पूरी तरह से ठप हो जायेगा। मतलब यह कि जनपद के इन रसूखदार लेखपालो के काबिलियत के दम पर ही कुशीनगर के विकास का पहिया आगे बढ रहा है जबकि ऐसी चर्चा है कि तकरीबन बारह वर्षो से ब्रजेश मणि त्रिपाठी और लगभग पांच वर्षों से हरिशंकर सिंह एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण कराने के नाम पर कसया तहसील के एक ही हल्का मे तैनात है। अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन की नजर मे विकास के धुरी बने यह लेखपाल इतने दिनो तक यह क्या करते रहे कि अभी तक एयरपोर्ट के लिए निर्धारित जमीन अधिग्रहण नही करा सके जबकि प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ट्विटर के जरिए यह दावा कर रहे है कि कभी भी कुशीनगर अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से उडान शुरू हो सकती है सभी कार्य पूर्ण हो गया है। ऐसे मे सवाल उठना लाजमी है कि जब एयरपोर्ट के सभी कार्य पूरे हो गये है और कभी भी उडान शुरू हो सकती है तो प्रशासन अपने इन विकास पुरुषो का स्थानांतरण क्यो नही कर रहा है। समाजिक कार्यकर्ता विजय श्रीवास्तव कहते है अगर यह इतने काबिल और विकास पुरुष है तो सरकार को चाहिए कि इन लेखपालो का स्थानांतरण अयोध्या या बनारस कर दे। क्यो कि इन दोनो जनपदो मे पीएम और सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट चल रहे है वहा जाकर यह दोनो लेखपाल विकास की गति को आगे बढायेगे। हालांकि बीते दिनों जनपद में दस वर्ष से एक तहसील में तैनात लेखपालों का बड़े पैमाने पर जिला प्रशासन द्वारा स्थानातरण किया गया। लेकिन ब्रजेश मणि त्रिपाठी व हरिशंकर सिंह का स्थानातरण नही हुआ। इसको लेेकर विभाग सहित आम जनमानस में इन दोनों लेखपालों के रसूख व प्रभुत्व की काफी चर्चा है।
🔴 कसया तहसील मे जमे है 25 वर्षो से
कहना न होगा कि लेखपाल ब्रजेश मणि वर्ष 1995 से कसया तहसील मे कुण्डली मारकर अंगद की पांव की तरह जमे हुए है चर्चा-ए-सरेआम है कि विगत ढाई दशक से इनका स्थानांतरण करने की जुर्रत न तो जिले के आला अफसरों है को हुई और न ही मण्डल हुक्मरानों को, जबकि हरिशंकर सिंह वर्ष 2007 में पडरौना तहसील के लिए स्थानांतरित जरूर हुए थे लेकिन अपने रसूख और प्रभाव के दम पर एक माह बाद पुन:कसया तहसील मे अपनी वापसी करा लिया। नतीजा यह हुआ कि विगत ढाई दशको मे यह दोनो साहब अकूत व बेनामी संपत्ति के मालिक बन गये। इतना ही नही इनका लाइफ स्टाइल भी चेंज हो गया। सूत्र बताते है कि वर्ष 1995 मे जब यह कसया तहसील मे आये थे उस समय का लाइफ स्टाइल और आज के ठाठ-बाट मे मे जमीन आसमान का अंतर है। श्री त्रिपाठी वर्तमान समय मे नगर पालिक परिषद के वार्ड संख्या 13 श्रीराम जानकी नगर तो श्री सिंह, वार्ड संख्या -15 वीर सावरकर नगर कसया मे हवेली बनवाकर यहा स्थाई निवासी बन गये।
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