लेखपालो के स्थानांतरण मे खूब हुआ खेला, बना चर्चा का विषय - Yugandhar Times

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Friday, July 16, 2021

लेखपालो के स्थानांतरण मे खूब हुआ खेला, बना चर्चा का विषय

🔴25 वर्षो से कुण्डली मारकर बैठे रसूखदार लेखपाल ब्रजेश मणि और हरिशंकर सिंह का नही हुआ स्थानांतरण, प्रशासन कटघरे मे

🔴 संजय चाणक्य 
कुशीनगर । जनपद मे हुए लेखपालो के स्थानांतरण मे खूब खेला हुआ । खेला यह हुआ कि जिन लेखपालो की पहुंच ऊपर तक नही थी और वह एक तहसील मे खण्डवार स्थानांतरित के बावजूद दस वर्ष की अवधि पूरा कर लिए थे उनका स्थानांतरण कर दिया गया है जबकि ढाई दशक से लगातार कसया तहसील मे कुण्डली मारकर बैठे रसूखदार लेखपाल ब्रजेश मणि त्रिपाठी और हरिशंकर सिंह आज भी अंगद की पांव की तरह कसया मे जमे हुए जो चर्चा का विषय बना हुआ। जिला प्रशासन के इस सौतेलापन रवैया को लेकर लेखपालो मे जहा आक्रोश व्याप्त है वही नियम-कानून को ताक पर रखकर पच्चीस वर्षो से जनपद के कसया तहसील मे तैनात लेखपाल हरिशंकर सिंह व ब्रजेश मणि को लेकर चर्चा-ए-सरेआम है कि कभी सपा का लाडला रहे यह दोनो रसूखदार आज भाजपा के दुलारा बन गये है। इन दोनो लेखपालो के रसूख का अंदाजा इस बात से लगायी जा सकती है इनका स्थानांतरण करने की जुर्रत जिले के आला अफसर से लगायत मण्डल व शासन-सत्ता मे बैठे हुक्मरान भी नही करते है। यही कारण है कि पच्चीस वर्षो से इनका कसया तहसील मे जलवा कायम है। हालांकि इन रसूखदारो का स्थानांतरण न करने के पीछे प्रशासन का बडा ही हास्यास्पद व गैरजिम्मेदाराना तर्क है जिसे सुन प्रशासन के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठना लाजमी है।

 काबिलेगोर है कि राजस्व परिषद के नियम और शासनादेश के मुताबिक एक तहसील में किसी भी लेखपाल को दस वर्ष से ज्यादा समय तक तक रहने का कोई प्रावधान नही है। इतना ही नही राजस्व परिषद के नियम के अनुसार एक क्षेत्र में तीन वर्षो से ज्यादा किसी भी लेखपाल की तैनाती नहीं रह सकती है। दोबारा उस लेखपाल को उस क्षेत्र में तब तक तैनात नहीं किया जा सकता जब तक कि वह लेखपाल उस को क्षेत्र छोड़ने की तारीख से कम से कम पांच वर्ष तक दूसरी जगह समय न बिता चुका हो। लेकिन कसया तहसील में रसूखदार लेखपाल ब्रजेश मणि त्रिपाठी व हरिशंकर सिंह पच्चीस वर्षो से जमे हुए है, जो यह साबित करने के लिए काफी है कि इनके लिए शासनादेश व राजस्व परिषद का नियम कोई मायने नही रखता है। सूत्र बताते है कि ब्रजेश मणि तकरीबन बारह वर्षो से और हरिशंकर सिंह लगभग पांच वर्षों से एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण कराने के नाम पर एक हल्का मे तैनात है।  
🔴 प्रशासन का तर्क हास्यास्पद
लेखपालो के स्थानांतरण के संबंध मे जिलाधिकारी एस राजलिंगम के सीयूजी नम्बर पर सम्पर्क साधा गया, फोन की घंटी बजती रही लेकिन फोन रिसीब नही हुआ। विभागीय सूत्रो का कहना है कि इन लेखपालो का स्थानांतरण रोकने के पीछे प्रशासन का तर्क है कि कसया तहसील से इन लेखपालो के हटने से एयरपोर्ट निर्माण व कुशीनगर विकास प्राधिकरण का कार्य पूरी तरह ठप हो जायेगा। अब सवाल यह उठता है कि पूरे जनपद मे सिर्फ यही दो रसूखदार लेखपाल काबिल है शेष लेखपाल नखादा है? सवाल यह भी उठता क्या किसी कर्मचारी के हटने से उस क्षेत्र का विकास रुक जायेगा। अगर ऐसा है तो फिर अब तक जिले के आला अफसरों व कर्मचारियों का स्थानांतरण क्यो होता रहा है? 

🔴 एक नजर ब्रजेश मणि और हरिशंकर सिंह पर
बतना जरूरी है कि लेखपाल ब्रजेश मणि त्रिपाठी व हरिशंकर सिंह दोनो देवरिया जनपद के मूल निवासी है, दोनो की पहली पोस्टिंग वर्ष 1994 मे हाटा तहसील मे हुई थी, और दोनो वर्ष 1995 मे एक साथ कसया तहसील मे आये थे। बताया जाता है कि ब्रजेश मणि वर्ष 1995 से कसया तहसील मे कुण्डली मारकर अंगद की पांव की तरह जमे  हुए है। विगत ढाई दशक से इनका स्थानांतरण करने की जुर्रत न तो जिले के आला अफसरों है को हुई और न ही मण्डल हुक्मरानों को, जबकि हरिशंकर सिंह वर्ष 2007 में पडरौना तहसील के लिए स्थानांतरित जरूर हुए थे लेकिन अपने रसूख और प्रभाव के दम पर एक माह बाद पुन:कसया तहसील मे अपनी वापसी करा लिया। नतीजा यह हुआ कि विगत ढाई दशको मे यह दोनो साहब अकूत व बेनामी संपत्ति के मालिक बन गये। इतना ही नही  इनका लाइफ स्टाइल भी चेंज हो गया। सूत्र बताते है कि वर्ष 1995 मे जब यह कसया तहसील मे आये थे उस समय का लाइफ स्टाइल और आज के ठाठ-बाट मे जमीन आसमान का अंतर है। श्री त्रिपाठी वर्तमान समय मे नगर पालिक परिषद के वार्ड संख्या 13 श्रीराम जानकी नगर तो श्री सिंह, वार्ड संख्या - 15 वीर सावरकर नगर कसया मे हवेली बनवाकर यहा स्थाई निवास बन गये। सूत्रो की माने तो विगत ढाई दशको मे इन्होंने कुशीनगर सहित अन्य कई जगहो पर करोडो रुपये की लागत से जमीन खरीद रखा है। इसके अलाबा करोड रुपये के बेनामी संपत्ति के भी मालिक बताये जाते है ऐसा सूत्रो का दावा है। इस दावे मे कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही साफ होगा लेकिन इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है कि धुआं वही उठती है जहां आग लगी होती है।



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