🔴 जिलाधिकारी के निर्देश पर उपजिलाधिकारी द्वारा किए गए जांच मे मिली तमाम कमियां🔴 15 जुलाई को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डाॅ0 शुचिता ने अपने जांच मे पायी थी अवैध रूप से संचालित अनाथालय मे तमाम गंभीर खामिया
🔴 डाॅ0 शुचिता की रिपोर्ट पर डीएम ने एसडीएम से करायी जांच, आरोप के पुष्टि के बाद हुई कार्रवाई
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर । पडरौना नगर के परसौनी कला मे वर्षो से अवैध रूप से संचालित हो रहे अनाथ आश्रम के खिलाफ बुधवार को जिला प्रशासन द्वारा बडी कार्रवाई की गयी। उप जिला मजिस्ट्रेट की मौजूदगी व सीओ सदर के नेतृत्व मे पुलिस फोर्स ने अवैध रूप से चल रहे अनाथ आश्रम पर छापेमारी कर वहा रहने वाले पच्चीस बच्चों को मुक्त कराया। इस दौरान पुलिस को कफी मशक्कत करनी पडी। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो पुलिस के इस कार्रवाई के विरोध मे संचालिका शिरीन बसुमता और उनके परिवार के सदस्य सहित सभी बच्चे लामबंद हो गये, वे चीखने-चिल्लाने लगे, धक्का-मुक्की किए। नतीजतन घंटो कसाकसी के बाद पुलिस को थोडी सख्ती बरतनी पडी तब जाकर उन्हे बच्चो को साथ ले जाने मे सफलता हासिल हुई, जिन्हे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर उन बच्चों का मेडिकल जांच करायी गयी। इस दौरान समिति की अध्यक्ष दीपाली सिन्हा मौजूद रही है।
काबिलेगोर है कि 15 जुलाई को जनपद के दौरे पर आई राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डाॅ0 शुचिता चतुर्वेदी ने अनाथालय का औचक निरीक्षण किया था जहां तमाम खामियां देखकर वह भौचक्य रह गयी थी। मौका-ए-स्थल पर डाॅ0 चतुर्वेदी ने पाया कि अनाथालय पुरी तरह से अवैध व मानक के विपरीत है। यहां गंदगी के अंबार के साथ-संसाधनो की घोर कमी है। जांच के दरम्यान संचालिका द्वारा अनाथालय से जुडा कोई भी कागजात प्रस्तुत नही किया गया। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य जांच के बाद डीएम सहित प्रमुख सचिव, महिला कल्याण एवं बाल विकास, उत्तर प्रदेश शासन और निदेशक महिला कल्याण विभाग, लखनऊ को भेजी गई रिपोर्ट कई गंभीर कमियां गिनाई थी। आयोग की सदस्य डॉ. चतुर्वेदी ने अपनी रिपोर्ट मे कहा है कि बिना पंजीकृत यह संस्था किशोर एवं बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015 तथा अधिनियम के आदर्श नियम 2016 के प्रावधानों के खिलाफ काम कर रही है। इस अनाथ आश्रम में लगभग 25 बच्चे हैं, जो पांच वर्ष से लेकर 18 वर्ष की आयु तक के हैं। उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है, जो अधिनियम की धारा-32 का उल्लंघन है। सभी बच्चों के नाम बदले गए हैं। उनके नाम के आगे बसुमता जोड़ा गया है। यह संस्था की संस्थापक शिरीन का उपनाम है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि संस्था में लड़के और लड़कियां विभिन्न आयु वर्ग के हैं, लेकिन सभी एक साथ रह रहे हैं। यह आदर्श नियम 2016 के नियम 29(6) बी का उल्लंघन है। संस्था द्वारा बच्चों से संबंधित कोई पत्रावली मौके पर प्रस्तुत नही किया गया । इसके अलावा अन्य कई बिंदुओं पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है। इसके बावजूद अभी तक संस्था के विरुद्घ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि बच्चों को उनकी आयु के अनुसार उचित संस्थाओं में बाल कल्याण समिति के माध्यम से स्थानांतरित कराएं। साथ ही इससे संबंधित कार्रवाई से एक सप्ताह के अंदर आयोग को अवगत भी कराएं।
🔴 डीएम ने उप जिलाधिकारी से कराया जांच, आरोपो की हुई पुष्टि
आयोग के सदस्य डाँ0 चतुर्वेदी की रिपोर्ट के बाद डीएम के निर्देश पर एसडीएम कोमल यादव ने पूरे प्रकरण की मौका-ए-स्थल पर जांच किया जहां तमाम खामियां मिली और सभी आरोप सही पाये गये। एसडीएम की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने अवैध रूप चल रहे अनाथालय पर कार्रवाई करते हुए वहा रहने वाले पच्चीस बच्चों को तत्काल मुक्त कराकर बाल कल्याण समिति के हवाले करने का निर्देश दिया। इसके परिणाम स्वरूप अवैध अनाथालय पर छापेमारी कर 25 बच्चो को जिला प्रशासन ने मुक्त कराकर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जहां उन बच्चों का मेडिकल जांच कराया गया। बताया जाता है कि शून्य से दस वर्ष, ग्यारह से अट्ठारह वर्ष एंव उन्नीस वर्ष से उपर सभी बच्चों को अलग-अलग अनाथ आश्रम देवरिया, गोरखपुर, बलिया और लखनऊ भेजा गया है।
🔴 डीएम बोले-
डीएम एस. राजलिंगम ने बताया कि जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि अनाथ आश्रम पंजीकृत नहीं है। उच्च न्यायालय का आदेश है कि ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। यह सभी बच्चे बाल कल्याण समिति कुशीनगर के समक्ष प्रस्तुत किए गये है। समिति बच्चों के उम्र के हिसाब से तय करेगी कि उन्हें किस अनाथ आश्रम में भेजना है।
🔴 संचालिका पर मुकदमा दर्ज
वर्षो से अवैध रूप से अनाथ आश्रम का संचालन करने वाली शिरीन बसुमता पर बाल संरक्षण अधिकारी विनय कुमार के तहरीर पर जहां कोतवाली पडरौना मे धोखाधड़ी सहित कई धाराओं मे मुकदमा दर्ज किया गया है वही पुलिस के साथ हाथापाई व सरकारी कार्यो मे व्यवधान उत्पन्न करने के मामले मे पुलिस ने भी संचालिका पर मुकदमा पंजीकृत कराया है।
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