कुशीनगर। जनपद मे ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून के शुरुआत मे बुधवार को गंडक नदी में चार लाख 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके चलते रात में आठ बजे नदी भैंसहा गेज गण्डक का जलस्तर पर खतरे के निशान के करीब 95.90 मीटर तक पहुंच गई थी। यहा खतरे का निशान 96 मीटर पर है। इसके बाद से डिस्चार्ज में कमी आने लगी है। मतलब यह कि गण्डक खतरे के निशान को छूकर वापस लौटी। गुरुवार की शाम चार तक डिस्चार्ज घटकर 2 लाख 27 हजार हो गया है। डिस्चार्ज में कमी आने से जलस्तर घटकर 95.68 मीटर पर आ गया है। जलस्तर में कमी के बावजूद बाढ़ प्रभावित गांव में दुश्वारी जस का तस बना हुआ है।
वाल्मीकि नगर बैराज से बुधवार को गंडक नदी में छोड़े गए चार लाख 12 हजार क्यूसेक पानी का असर गुरुवार से पिपराघाट गांव के विभिन्न पुरवों में दिखने लगा है। इस गांव के लगभग सभी संपर्क मार्ग पानी में डूब गए हैं। मोतीराय टोला, मुसहरी टोला, हनुमान टोला, देवनारायण टोला, भंगी टोला, इमिलिया टोला, नरवा टोला सहित सात गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इसके अलावा चौकी टोला, शिव टोला, जोगनी, बुटन टोला, रानीगंज, जयपुर, बेनिया पिपरा, तवकल टोला, दहारी टोला, सुब्बाखान टोला आदि बाढ़ के पानी से घिरे हैं।
🔴 राजस्वकर्मी कर रहे हैं कैंप
मरचहवा, बसंतपुर गांव के लोग नाव से आ जा रहे हैं। घरों में अभी भी बाढ़ का पानी जस के तस लगा हुआ है। विंध्याचलपुर दियारा में फंसे लोगों को निकालने के लिए नाव भेजा जा रहा है। सालिकपुर महदेवा गांव में भी पानी की स्थिति जस के तस बनी हुई है। इसके अलावा शिवपुर में नायब तहसीलदार व राजस्व कर्मचारी कैंप कर रहे हैं। दो दिन से बाढ़ में घिरे ग्रामीणों के सामने अब भोजन का भी संकट गहराने लगा है। हालांकि राहत की बात यह है कि बारिश का असर कुछ कम हुआ है और जलस्तर में भी कमी आ रही है।
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