जून माह मे कभी चार लाख से ऊपर नही पहुचा डिस्चार्ज - Yugandhar Times

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Thursday, June 17, 2021

जून माह मे कभी चार लाख से ऊपर नही पहुचा डिस्चार्ज

🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क 

कुशीनगर। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि बैराज से बुधवार को शाम 4.12 लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने से गण्डक खतरे के निशान के करीब पहुंच गई थी। नतीजतन नदी का जलस्तर बढने से जनपद के सात गाव बाढ की चपेट मे आ गयी है। कहना न होगा कि बीते दो दशक मे जून माह मे नदी की भयावह रुप पहले कभी किसी ने नही देखा। वजह यह है कि इसके पहले जून माह मे डिस्चार्ज तीन लाख क्यूसेक के आसपास ही रहता है।

 काबिलेगोर है कि वाल्मीकि बैराज से मंगलवार की रात तकरीबन 10 बजे तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। बुधवार सुबह साढ़े तीन लाख और इसी दिन सुबह 10 बजे चार लाख चार हजार और सांयकाल लगभग चार बजे 4.12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाने लगा। अधिक पानी छोड़े जाने के चलते गंडक का जलस्तर भैंसहा गेज पर 95.90 मीटर पर पहुंच गया। यहां खतरे के निशान 96 मीटर पर है। ऐेसे में नदी खतरे के निशान से केवल 10 सेंटीमीटर नीचे थी। नदी का पानी यूपी के छितौनी से लेकर बिहार के बगहा के तक अपने रौद्र रूप मे बह रही थी। यही वजह है कि नदी का पानी खड्डा क्षेत्र के शिवपुर, सालिकपुर, महदेवा, नारायनपुर, हरिहरपुर, मरचहवा आदि गांवों को अपने चपेट मे ले लिया। विंध्याचलपुर गांव में अचानक पानी बढ़ने से 100 से अधिक लोग फंस गए। इन्हें बड़ी नाव से बाहर निकाला गया। इतना ही नही नदी का जलस्तर बढ़ने से सेवरही ब्लॉक के पिपराघाट मुस्तकिल, पिपराघाट एहतमाली गांवों के 16 से अधिक टोले बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। कई स्थानों पर नदी एपी बांध व नरवाजोत बांध से सटकर बह रही थी। 

तमकुहीराज क्षेत्र में वर्ष 1984 और 2007 में बांध टूटने की बर्बादी देख चुके लोगों का कहना है कि बीते दो दशक में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, जब मानसून की शुरूआत में ही तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया हो। आमतौर पर 15 जून को गंडक नदी में 50 से 60 हजार क्यूसेक पानी होता था। इस बार पहले दिन 15 जून को ही वाल्मीकि बैराज से तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया। एपी बांध के किनारे बसे नरवाजोत, पिपराघाट, जंगलीपट्टी, बिनटोली,बजवही दयाल,चैनपट्टी, विरवट कोन्हवलिया, नोनियापट्टी, बाकखास, बाघाचौर, खैरखुटा, कचहरी टोला, डीह टोला, अहिरौलीदान आदि गांवों के लोगों का कहना है कि अभी तो जलस्तर बढ़ने के बाद जब घटेगा, असली मुश्किल तब शुरू होगी। वर्ष 1984 में नरवाजोत व पिरोजहा तथा वर्ष 2007 में घघवा जगदीश गांव के पास बांध टूटने से जो तबाही हुई है उसे याद कर आज रोंगटे खडे हो जाते है। 

🔴 बाढ मे फसे लोगो की पीडा से रुबरु हुए एसडीएम

बाढ़ में फंसे लोगों की पीडा जानने के लिए एसडीएम खड्डा अरविन्द कुमार बुधवार को बारिश में ही नाव से शिवपुर, हरिहरपुर, नरायनपुर आदि गांवों में पहुंचे। एसडीएम ने नाव सहित अन्य सहायता तुरंत प्रदान करने हेतु राजस्व टीम को निर्देश दिया। एसडीएम ने गांव के अंदर जाकर लोगों से मुलाकात की। एसडीएम के साथ नायब तहसीलदार रवि यादव, थानाध्यक्ष आरके यादव, लेखपाल विपिन मणि आदि पुलिस कर्मी मौजूद रहे ।

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