🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर प्रधान बनने का सपने देखने वाले तमाम उम्मीदवारों का सपना, मुगेरी लाल का हसीन सपना बनकर रह गया। हुआ यह की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर उम्मीदवार जताने के लिए कुछ लोगों ने दूसरे प्रांत की अनुसूचित जनजाति की लड़की से शादी कर ली लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश पर दोबारा हुए सीटों के आरक्षण में पहले आरक्षित रहे 23 गांवों का आरक्षण ही बदल गया। अब एसटी लड़की से शादी के बाद भी बेचारे चुनाव लड़ने से वंचित हो गए।
काबिलेगोर है कि सूबे के कुशीनगर जिले में अनुसूचित जनजाति की आबादी न के बराबर है लेकिन वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार कुशीनगर जनपद मे 68 हजार लोग कागजो मे अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हैं। हालांकि यह आंकड़े किन लोगों के हैं, यह आज तक किसी को पता नही चला। माना जाता है कि कुछ जिलों में गोड़ व खरवार जाति को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में रखा गया है और तकनीकि त्रुटिवश कुशीनगर में भी इन जातियों के लोग अनुसूचित जनजाति श्रेणी में गिन लिए गए होंगे। हालांकि ये लोग भी खुद को एसटी श्रेणी में नहीं मानते हैं और न ही प्रशासन इनका एसटी का प्रमाण पत्र ही निर्गत करता है। परंतु वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में गोड़ व खरवार बिरादरी के कई लोगों ने पड़ोसी जिला देवरिया की लड़कियों से शादी करके उन लड़कियों को यहां पुराने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उम्मीदवार बनाकर चुनाव जिता दिया।
🔴 नही सफल हुआ पिछली बार का पैतरापिछली बार की सफलता ने इस बार कईयों को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर दिया। लिहाजा पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही देवरिया, महराजगंज के अलावा पड़ोसी प्रांत बिहार व झारखंड तक जाकर लोगों ने अनुसूचित जाति की लड़की को खोजकर शादी की। इतना ही नहीं जिले में आकर उन शादियों को पंजीकृत भी कराया। तैयारी थी कि अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिए आरक्षित सीटों पर नई दुल्हनों को उम्मीदवार बनाकर पर्दे के पीछे से ग्राम पंचायत की बागडोर अपने हाथ में रखी जाएगी। आरक्षण की पहली सूची जारी होने पर यह तैयारी पूरी होती भी दिखी। जगह-जगह खुशी में दावतें भी होनी लगीं। परंतु हाईकोर्ट के आदेश पर जब दोबारा आरक्षण सूची बनाई गई, उसी दौरान प्रशासन ने यह गाइडलाइन भी जारी कर दी कि जहां एसटी श्रेणी के लोग नहीं हैं अगर उनके गांव आरक्षित हो रहे हैं तो उसका आरक्षण क्रम बदल दिया जाए। इस गाइडलाइन के जारी होते ही ग्राम प्रधान के आरक्षित 39 में से 23 सीटों पर आरक्षण ही बदल गया। इन सीटों के अनारक्षित, महिला व पिछड़े वर्ग में आरक्षित कर दिया गया। आरक्षण का क्रम बदलने से इन संभावित उम्मीदवारों को गहरा झटका लगा है।
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