🔴 हमारी संस्कृति अर्धनारीश्वर में विश्वास करते हुए सहअस्तित्व की संकल्पना करने वाली रही
🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर सुषमा पांडेय ने कहा कि हमारी संस्कृति अर्धनारीश्वर में विश्वास करते हुए सहअस्तित्व की संकल्पना करने वाली रही। उन्होंने कहा कि आधी आबादी के तौर पर महिलाएं हमारे समाज का एक मजबूत आधार है। दुनिया को खुबसूरत बनाने मे उनका सर्वाधिक योगदान है। इनके बिना दुनिया की कल्पना करना असंभव है।
प्रोफेसर पाण्डेय सोमवार को कुशीनगर स्थित बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय के मनोविज्ञान परिषद और इग्नू अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला स्वास्थ्य और सुरक्षा विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रही थी। उन्होंने महिलाओं के प्रति हिंसा के मनोवैज्ञानिक कारकों पर चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं में अर्जित निस्सहायता उनके प्रति हिंसा को बढ़ावा देती है। महिलाएँ खुद को अशक्त कमजोर और निरीह समझती हैं और मानती हैं कि हिंसा का शिकार होना उनकी नियति है। उन्होंने हिंसा का दूसरा कारण महिलाओं का स्वावलंबी न होना मानते हुए हिंसा को दूर करने के उपायों में शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपनी ताकत, कमजोरी अवसर और बाधाओं को समझकर निर्णय लेना चाहिए। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ भावना गुप्ता ने महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि मासिक धर्म और उससे जुड़ी समस्याएं इसके मूल में हैं। बच्चियों को आरम्भ में ही इसकी सही शिक्षा देकर इस पर खुलकर बात करने की ओर बढ़ावा देना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अमृतांशु शुक्ल ने कहा कि अभिभावक के रूप में हमें लैंगिक भिन्नता की भूमिकाओं में नहीं बाटना चाहिए। स्त्री-पुरुष को एक दूसरे की वैयक्तिकता का सम्मान करना चाहिए। महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ राम भूषण मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ अम्बिका तिवारी ने महिलाओं के समानता के अधिकार पर जोर दिया। कार्यक्रम के अंत मे आचार्य डॉ रीना मालवीय ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ.सीमा त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम के पूर्व एनसीसी की महिला कैडेट्स के द्वारा महाविद्यालय में परेड कर अतिथियों का स्वागत किया गया। संगोष्ठी में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने भी हिस्सा लिया। भावना द्विवेदी, व्यूटी दुबे और जया मणि त्रिपाठी ने स्वरचित काव्यपाठ भी किया। इस दौरान डॉ प्रशीला सैम, डॉ उर्मिला यादव, डॉ कुमुद त्रिपाठी, डॉ रेखा तिवारी, डॉ श्वेता यादव, डॉ सिद्धि केशरवानी, दुर्गा द्विवेदी, सविता पांडेय, डॉ राघवेंद्र मिश्र, डॉ हरिशंकर पांडेय, डॉ इन्द्रासन प्रसाद, डॉ उमाशंकर त्रिपाठी, सहित महाविद्यालय के छात्र छात्राओं की उपस्थित रही।
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