🔴 नए अभिलेखों में आज भी मृत घोषित है रामप्रवेश व उनकी पत्नी सरोज देवी
🔴 संजय चाणक्य
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कुशीनगर।
" मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए।
मेरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए।।"
यह पंक्तियाँ रामप्रवेश और उनकी पत्नी को सरकारी अभिलेखों मे मृत्यु घोषित करने वालो पर सटीक बैठती है। इसे सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता कहिए या फिर मोटी रकम के लालच मे भ्रष्टाचार मे संलिप्तता। कि एक जीवित व्यक्ति को ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा सरकारी अभिलेख मे मृत्यु घोषित कर पूरे सिस्टम को कटघरे मे खडा कर दिया गया है। मामला कुशीनगर जनपद के तमकुहीराज विकास खण्ड क्षेत्र का है, जहां एक सेक्रेटरी ने चंद पैसो की लालच मे ऐसे कुकृत्य को अंजाम दिया है जिसकी सजा सतहत्तर वर्षीय बुजुर्ग भुगत रहे है। वह तीन वर्षों से आला अधिकारियों के चौखट पर माथा टेक कर अपने जीवित होने का प्रमाण देते हुए कहते है " साहब हम जिंदा है। " ऐसे सवाल यह उठता है सरकार द्वारा सीनियर सिटीजन के सम्मान के दावे को उनके तंत्र कितनी निष्ठा से अमलीजामा पहना रहे है।
काबिलेगोर है कि जिला मुख्यालय से तकरीबन 45 किलोमीटर दूर तमकुहीराज विकास खण्ड में महुवआ गाँव स्थित है। यहां के निवासी 77 वर्षीय रामप्रवेश व 70 वर्षीय उनकी पत्नी सरोज देवी को वर्ष 2017 में सेक्रेटरी वीरेन्द्र चतुर्वेदी द्वारा कुटुम्ब रजिस्टर में मृत्यु घोषित कर दिया गया था। ऐसी चर्चा है कि इस घृणित कार्य को अंजाम देने के लिए सेक्रेटरी वीरेन्द्र चतुर्वेदी ने रामप्रवेश के दुश्मन से मोटी रकम वसूल किया था। सूत्र बताते बताते है कि किसी ने रामप्रवेश की चल-अचल सम्पत्ति हडपने की नीयत से सेक्रेटरी को मोटी रकम देकर कुटुम्ब रजिस्टर मे इन दोनों पति-पत्नी को मृत्यु घोषित करा दिया था। मजे की बात यह है कि इसकी जानकारी होने के बाद रामप्रवेश व उनकी पत्नी अपने को जिंदा साबित करने के लिए लगातार 3 वर्षो तक सरकारी दफ्तरों में बैठे जिम्मेदारों के चौकठ पर माथा टेकते रहे किन्तु किसी भी जिम्मेदारो को इन वृद्धजनो पर तरस नही आया। शुक्र मनाइये। उस नेकदिल और संवेदनशील उपजिलाधिकारी तमकुहीराज एआर फारूकी का,जिनके दरबार मे जब यह दोनो पति-पत्नी पहुचे और बोले साहब हम जिंदा है और सेक्रेटरी ने हम लोगो को कुटुम्ब रजिस्टर मे मृत्यु घोषित कर दिया। यह देखकर एसडीएम फारुकी भी भौचक हो गये। इनकी दास्तां सुन और इन दोनो वृद्धजनो की हालत देख एसडीएम खुद को रोक नही पाये और कडा रुख अख्तियार करते हुए खण्ड विकास अधिकारी को तत्काल नाम दर्ज करने का निर्देश दिया। उसके बाद आनन-फानन मे विकास खण्ड के एडीओ पंचायत ने गाँव मे जाकर मौके पर ग्रामीणों का बयान लेने के बाद पुराने अभिलेखों में रामप्रवेश व उनकी पत्नी सरोज देवी को जीवित घोषित तो कर दिया किन्तु नए सरकारी अभिलेख में आज भी रामप्रवेश व उनकी पत्नी को मृत्यु दिखा रहा है।
🔴 कौन है रामप्रवेश और सरोज देवीजिले के तमकुहीराज राज विकास खण्ड के महुवाआ गाव के मूल निवासी रामप्रवेश व सरोज देवी पति-पत्नी है। रामप्रवेश पडोसी राज्य बिहार के मीरगंज स्थित शुगर फैक्ट्री में नौकरी करते थे। हालांकि शुगर फैक्ट्री वर्ष 1995 में ही बंद हो गई लेकिन फैक्ट्री ने रामप्रवेश को वर्ष 2005 में सेवानिवृत्ति किया। रिटायर होने के बाद अपनी कागजी प्रक्रिया पूरी कर वर्ष 2006 में वह अपने पैतृक गांव महुवाआ हमेशा के लिए आ गए और अपने बेटे व बेटी के साथ गाँव ही रहने लगे। ग्रामीणों ने बताया जाता है कि रामप्रवेश जब बिहार मे नौकरी कर रहे थे तब भी साल में दो तीन बार अपने पैतृक गांल आते थे और खेती-बारी को देख अपनी ड्यूटी पर चले जाते थे।
🔴 सेक्रेटरी ने कुटुम्ब रजिस्टर मे किया पति- पत्नी को मृत्यु घोषितवर्ष 2017 दिसम्बर में रामप्रवेश जब विकास खण्ड पर अपने बच्चों का नाम कुटुम्ब रजिस्टर में चढ़ाने के लिए पहुँचे तो पता चला कि 9 जुलाई - 2017 को सेक्रेटरी द्वारा रामप्रवेश व उनकी पत्नी शरोज देवी को मृत घोषित कर दिया गया है। सरकारी अभिलेख में मृत घोषित देख रामप्रवेश तत्कालीन बीडीओ से इसकी शिकायत की। बीडीओ ने शिकायत के साथ साक्ष्य प्रस्तुत करने की बात कही। रामप्रवेश ने कहा "साहब मैं अभी जिंदा हूँ यही साक्ष्य है" विकास खण्ड पर लगातार दो वर्ष दौड़ने के बाद जब कुटुम्ब रजिस्टर में रामप्रवेश व उनकी पत्नी सरोज देवी का नाम दर्ज नही हुआ तो एसडीएम तमकुहीराज को प्रार्थना पत्र देकर शिकायत की। एसडीएम ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए बीडीओ को जाँच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने व नाम दर्ज करने का निर्देश दिया। सवाल यह उठता है कि इस घृणित कुकृत्य को अंजाम देने वाले सेक्रेटरी वीरेन्द्र चतुर्वेदी पर क्या कार्रवाई हुई। बताया जाता है कि वर्तमान समय मे यह सेक्रेटरी जनपद के सुकरौली व्लाक मे तैनात है और आधा दर्जन ग्रामसभा का कार्य देख रहा है। यकीनन अगर इस सेक्रेटरी की कार्यप्रणाली की ठीक ढंग से जांच हो जाए तो इसके तमाम कारस्तानी किस्से सामने आ जायेगे। अब देखना यह है कि योगी सरकार मे सरकार की छवि धूमिल करने वाले ऐसे सरकारी तंत्र पर क्या कार्रवाई होती है।
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