बेशक ! लोकतंत्र में सबका साथ, सबका विकास के तर्ज पर ही देश का विकास सम्भव है। विकास के लिए धर्म ,जाति, संख्यक बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक का वर्ग आधार नहीं होना चाहिए। भारत के संघ के परिपेक्ष में विकास का समीकरण असमान है क्योंकि कुछ राज्यों में विकास की गति तीव्र है तो कुछ राज्य आज भी गरीबी की दंश, कुपोषण की मार व भुखमरी की लाचारी झेल रहे है जो लोकतंत्र के समक्ष चुनौती है । भारत को विविधताओं वाला राष्ट्र माना जाता है जहां धर्म ,जाति, संस्कृति और भाषा के आधार पर विविधता देखी जा सकती है ।आदर्श लोकतंत्र का आशय यह है कि बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक अपने अधिकारों से पूर्णतः संतुष्ट एवं प्रसन्न हो। अल्पसंख्यक सुरक्षित हो एवं भयमुक्त होकर सार्वजनिक गतिविधियों में सम्मिलित हो सके। भयमुक्त होकर अपने समस्त कार्यों को संपादित कर सकें । अगर अल्पसंख्यक सम्पत्तिहीन,असुरक्षित एवं भयभीत हैं तो यह लोकतंत्र के समक्ष चुनौती है।
भारत के लोकतंत्र में गरीब ,आदिवासी, निम्न जाति या हाशिए पर रहने वाले लोगों का शोषण एवं मानसिक प्रताड़ना लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लोकतंत्र का मूल उद्देश्य सुरक्षा ,संरक्षा एवं औषधि प्रदान करना है । सभी लोगों को सुरक्षा प्रदान करके एक सुरक्षित एवं सभ्य समाज का निर्माण करना लोकतंत्र के समक्ष प्रबल चुनौती है । सबको सुरक्षा प्रदान करना, शुद्ध जल से संरक्षा, प्रदूषण से संरक्षा, हरित गृह के प्रभाव से संरक्षा एवं वैश्विक तापन से सुरक्षा प्रदान करना लोकतंत्र का मूल दायित्व है। लेकिन इन सब को प्रदान करना लोकतंत्र के समक्ष चुनौती है ।लोकतंत्र में सबको औषधि ,सबका औषधि तक पहुंचआदि लोकतंत्र का दायित्व है । लोकतंत्र में शिक्षा मौलिक अधिकार है लेकिन लेकिन गुणवत्ता मूलक शिक्षा मध्य वर्ग एवं आम जनता के लिए प्राप्त करना चुनौती है और यह स्थिति शिक्षा के मूलभूत अधिकार का निषेध करती है । लैंगिक हिंसा की घटनाओं में भी राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तर पर वृद्धि देखने को मिल रही है ।आए दिन सामने आ रही भ्रष्टाचार का मामला , थानों में अपराधियों के साथ पुलिस का सकारात्मक संबंध ,राजनीति का अपराधीकरण , सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक की लापरवाही,जातीय एंव सांप्रदायिक उन्माद , दंगा एवं फसाद हो ,केंद्र एवं राज्यों के साथ आपसी तालमेल का न होना, यह लोकतंत्र के लिए चुनौती हैं। लोकतंत्र में बलात्कार,घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार ,कन्या भूर्ण हत्या, सम्मान की खातिर(Honour killing), हत्या, महिलाओं पर तेजाबी हमला एवँ राजनीतिक संरक्षण इत्यादि लोकतंत्र के समक्ष चुनौती है। लोकतांत्रिक देशों में भारत एक महान एवं विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, परंतु इसके समक्ष विभिन्न प्रकार की समस्याएं एवं चुनौतियां पैदा हो गई हैं। इन समस्याओं में सम्प्रदायवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, गरीबी, हिंसा, अपराधिकरण, क्षेत्रीय भिन्नतांए, अशिक्षा, सामाजिक एवं आर्थिक विषमता, जसंख्या वृद्धि आदि मुख्य हैं। जब तक इन सभी का निवारण नहीं हो जाता तब तक भारत संपूर्ण विकास नहीं कर सकता है और न ही शुद्ध रूप से लोकतंत्र की स्थापना हो सकती है।
विल्कुल सही विचार है, लेकिन कोई भी सरकार तबतक सफल नहीं हो सकती जबतक आम जनता खुद की जिम्मेदारी समझ आगे बढ़ कर इनका समाधान न करें.हम सब को भी अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी होगी.
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