🔴 वजट मे देश के चौथे स्तम्भ को नही मिला सम्मान - सुभाष चंद्र
🔴 बजट में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व पत्रकारों के लिए कुछ नहीं:बृज बिहारी
🔴 पत्रकारों का वजूद जिंदा रखने के लिए सरकार बनाए योजना - संजय चाणक्य
🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। सूबे की योगी सरकार की अंतिम वजट को सत्ता दल के लोग चाहे जितनी सराहना कर ले लेकिन देश के चौथे स्तम्भ कही जाने वाली मीडिया हर बार की तरह इस बार भी निराश है। कोरोना काल मे पत्रकारों ने जिस तरह से जान जोखिम मे डालकर अपने लेखनी के जरिए केन्द्र व प्रदेश सरकार का सहयोग किया था उसके बाद यह उम्मीद जगी थी कि सरकार की वजट मे पत्रकारों के उत्थान के लिए कोई योजना बनेगी। परन्तु अफसोस पहले केन्द्र की मोदी सरकार उसके बाद प्रदेश की योगी सरकार ने पत्रकारों को उपेक्षित कर दिया जिसको लेकर पत्रकारों को काफी मलाल है।
जनपद के सबसे वरिष्ठ व श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष सुभाष चंद्र श्रीवास्तव कहते है कि हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश सरकार की वजट से पत्रकारों को निराशा हाथ लगी है। उन्होने सरकार से पत्रकारों के हित मे प्रति माह कम से कम एक हजार रुपये मानदेय, दस हजार रुपये पेंशन और पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग करते हुए कहा कि पत्रकार हर विषम परिस्थितियों मे राष्ट्र के प्रति समर्पित होते हुए सरकार का सहयोग करता है। देश के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकार अपने बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इसके बावजूद केन्द्र व प्रदेश सरकार पत्रकारों के बारे मे कुछ नही सोच रही है निंदनीय है।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के मण्डल प्रभारी बृज बिहारी त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश सरकार के बजट से यह साफ हो गया है कि देश के ज्यादातर नेता मीडियाकर्मियों को समाज का हिस्सा नहीं मानते। नहीं तो निश्चित ही इस बजट में वैतनिक व अवैतनिक रूप से दिन रात राष्ट्र व समाज की सेवा में लगे इन मीडिया के लोगों के लिए मानदेय, बीमा, चिकित्सा, आदि के लिए कुछ न कुछ योजनाए जरूर होती । उन्होंने कहा कि कोरोना काल हो या फिर अन्य कोई विषम परिस्थिति पत्रकार मुस्तैदी से अपने दायित्वों का निर्वाहन करता है। उन्होने कहा कि ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाने वाले अनगिनत पत्रकार आज दरिद्रता का जीवन जी रहे हैं फिर भी वह अपने पत्रकारिता के धर्म को निभाते आ रहे हैं। अपने कर्तव्य के निभाने में मीडिया के समर्पित साथियों को तमाम दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है और उनका उत्पीड़न भी किया जाता है। ऐसे में पूरे देश में अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति ने पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने व सुविधाएं देने की मांग को लेकर मुहिम चला रही है। कई राज्य सरकारें इस दिशा में कदम उठा रही हैं। इसी क्रम मे श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिला महासचिव संजय चाणक्य ने कहा कि केंद्र सरकार की तरह ही प्रदेश की योगी सरकार के वजट ने पत्रकारों को मायूस कर दिया। इस बजट में पत्रकारों के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी पूर्वक पत्रकारिता करने वाले पत्रकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। सरकार को चहिए कि राष्ट्र के चौथे स्तम्भ को मजबूत करने के लिए पत्रकारो के हित मे योजना बनाये जिससे छोटे- बडे संस्थानों से जुड़े पत्रकारों वजूद जिंदा रह सके।
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