🔴 राजस्व का प्रति माह लगता है लाखों का रूपये का चूना
🔴 कच्ची शराब की मिनी डिस्टलरी है दो जनपद के तीन थानों के बीच बसा हेतिमपुर
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। सूर्य की पहली किरण के साथ ही मौत के सौदारगर अपनी दूकान सजाकर बैठ जाते है और शुरू होती मौत खिरीदने का सिलसिला। यहां आने वाला हर व्यक्ति अपनी औकात के हिसाब से पैसा देकर मौत खरीदता है और बदमस्त होकर एक किनारे बैठ जाता है। इशारे-इशारे में चिखना का आदेश देता है फिर गटगटाकर यूरिया से बना जहर रूपी कच्ची दारू से भरा प्याला अपने गले से नीचे उतार लेता है। फिर क्या सूर्य अस्त और मौत के खरीददार दारू पीकर मस्त हो जाते है।
चैकिए मत! यह किसी उपन्यास की कहानी नही है, बल्कि कुशीनगर व देवरिया जनपद के तीन थाना क्षेत्र के बीच छोटी गण्डक नदी के तट पर बसा हेतिमपुर का हाल-ए-बयां है। जहां मौत बिकता है तीस रूपये बोतल। यहां कच्ची शराब किसी झुग्गी-झाोपड़ी या फिर गुमटी में नही बेची जाती है बल्कि कच्ची शराब की यहां अबैध मण्डी लगती है। अगर यकीन नही आ रहा है तो कभी चले आइए हेतिमपुर। यहां एक-दो नही दर्जनों की तादात में कच्ची शराब के अवैध कारोबारी दुकान सजाकर मौत बेचते हुए मिलेगें।यहां चौविस घण्टा कच्ची शराब की भट्टियां धधकती रहती है। मजेदार बात यह है कि यहां महिलाएं बढ़-चढ़ कर इस अवैध कारोबार में मर्दो का हाथ बटाती है। यहा कुछ अलग है तो वह यह है कि जिनके हाथ में कापी-किताब और पीठ पर स्कूली बस्ता होना चाहिए वह घर के जिम्मेदारी का बोझ उठाने के लिए शराब बेच रहे है। राष्ट्रीय राजमार्ग-28 से सटे इस अवैध अड्डा पर ‘‘संवाददाता’’ पहुंचा तो पुलिसिया तंत्र व विभागीय अधिकारियों के दावे की कलई खुलते देर नही लगी। शराब बेच रहे पन्द्रह वर्षीय गुड्डू से जब पूछा गया कि पढ़ते हो तो उसने तपाक से जबाब दिया नही! स्कूल क्यों नही जाते पूछे जाने पर गुड्डू कहता है ‘‘बाबूजी कहते है कि कहीं नही जाना है चुपचाप दारू बेच। मौत बेचने वाले यहां के कारोबारियों का कहना है कि साहब हम दारू बेचते है तो सबको हिस्सा देते है। पत्रकार से लेकर पुलिस वाले और विभाग के लोगों का हिस्सा बंधा हुआ है जो हर महीने आकर ले जाते है। सूत्र बताते है कि कभी-कभी विभाग और पुलिस द्वारा छापेमारी किया जाता है लेकिन यह छापेमारी उच्चअधिकारियों के आंखें में धूल झोकने के लिए होता है। कहना न होगा कि यहा के तमाम कारोबारी अपने इस अवैध कारोबार से उब चुके है वह इस धन्धा से पार पाना चाहते है लेकिन पुलिस विभाग के कुछ लोग उन्हे इस कारोबार को छोड़ने नही देते। कहना न होगा कि छोटी गण्डक नदी के किनारे बसा हेतिमपुर शिक्षा से कोसो दूर है। जहरीली कच्ची शराब को लेकर जिसकी पहचान जनपद में ही नही वरन पूरे उत्तर प्रदेश में है। सूत्रों की माने तो इस गांव में घर-घर कच्ची शराब बनाने कारोबार उद्योग के रूप मे किया जाता है। यहां पियक्कड़ों की जमात कभी भी देखी जा सकती है।
🔴 जनपद का अबैध शराब निर्माण का सबसे बड़ा अड्डा है डुमरीसवागी पट्टीजिले के हाटा कोतवाली क्षेत्र के डुमरीसवागीं पट्टी मे अवैध रूप मे धधक रही जहरीली कच्ची शराब की यहा भी बेखौफ मंडी लगती है यहां न तो किसी को किसी से खौफ है और न ही कोई किसी को रोकने-टोकने वाला है। अगर आप किसी कारेाबारी से पूछ बैठे ‘‘ इस तरह खुलेआम कच्ची शराब बेच रहे हो और पुलिस आ गई तो..! बिना हिचक जबाब मिलेगा पुलिस और विभाग का कोई डर नही है साहब। इतना ही नही किसी महिला कारोबारी से पूछ बैठे तो उसका जबाब सुन खाकी वर्दी भी सरमा जाये। यहां कि महिला कारोबारी तो सीधें कहती है ‘‘ ए साहब! पुलिस वालन हमनी के कही के नाही छोड़ले बाटन हमनी के त इ कार से मन अगुता गइ्रल बा, लेकिन पुलिस वालन कहेलन कि शराब बेचो चाहे मत बेचो महीना में हमके पइसा चाहीं।’’ कजरी देवी (बदला हुआ नाम) कहती है बाबू हमार मर्द शराब बेचत रहलन। सात साल पहिले इ शराब हमरे मर्द के जान ले लेहलस। सिपाही लोग पइसा ले जात रहे, मर्द के मरले के बाद धन्धा बन्द हो गइल लेकिन सिपाही लोग आपन हफ्ता लेहल नाही बन्द कइल। उनही लोगन के कहले पर दारू बेचके आपन और अपने लइका के गुजर बसर करेनी। यह पूछे जाने पर पुलिसवाले कितना पैसा ले जाते है कलावती देवी कहती है हजार रूपया महीना बाधल बा।
🔴मिनी डिस्टलरी के रूप मे है सुविधिया गांव की पहचान
कुशीनगर जनपद के अहिरोली थाना क्षेत्र के सुविधिया गांव अवैध शराब के कारोबार के लिए खासे चर्चित गांव है। यह गांव कच्ची शराब के लिए मिनी डिस्टलरी के रूप में जाना जाता है। ऐसी चर्चा है कि यहां प्रतिदिन पन्द्रह सौ से दो हजार गैलन शराब निर्मित किया जाता है। कहा जाता है कि महीने में तीस से पेतीस लाख रूपये का कारोबार कच्ची शराब से होता है।गोरखपुर-कसया मार्ग पर स्थित अहिरोली थाना थाना क्षेत्र के सुविधिया गांव आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन की नजर में अवैध शराब निर्माण के कारोबार में टाप फाइव पर है। बावजूद इसके इस अवैध कारोबार को रोकने की जहमत न पुलिस प्रशासन द्वारा उठाया जाता है न ही आबकारी विभाग। सूत्रों की माने तो तीन दशक पूर्व इस गांव में दोलत, चिराग व लक्ष्मण नामक व्यक्ति ही कच्ची शराब बनाते और बेचते थे। जिन्हे गांव के लोग हीन भावना से देखते थे। लेकिन मौत बेचने के इस कारोबार से बढ़ती आमदनी ने एक-एक कर गांव के अधिकांश लांगों को अपनी ओर खिंच लिया। आलम यह है कि सौ से अधिक लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस कारोबार में जुड़े है। बताया जाता हे कि यहां तकरीबन सौ की संख्या में कच्ची शराब बनाने की भट्टियां रात-दिन धंधकती रहती है। सूत्रों की माने तो सुविधिया गांव में बनने वाली कच्ची जहरीली शराब कुशीनगर जनपद के कसया, फाजिलनगर के अलावा देवरिया, गौरी बाजार, गोरखपुर के साखोपार, चौरीचौरा , पिपराईच आदि जगहो पर सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा जनपद के तरयासुजान थाना क्षेत्र के गांव जेवही दयाल, रामपुर, तरया सुकंठ, सलेमगढ़ बहादुरपुर चौकी, तिनफेडिया चौकी क्षेत्र के अलावा पटहेरवा थाना क्षेत्र के गांव हर्दिया, रगड़गंज में कच्ची शराब के अवैध कारोबार की भट्टियां बेखौफ धधक रही है।
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