मुसीबत का सबब बना एक का छोटा सिक्का.... खोटा सिक्का कहकर दुकानदार लेने से इंकार कर रहे है छोटा सिक्का - Yugandhar Times

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Saturday, February 6, 2021

मुसीबत का सबब बना एक का छोटा सिक्का.... खोटा सिक्का कहकर दुकानदार लेने से इंकार कर रहे है छोटा सिक्का


🔴 संजय चाणक्य 

कुशीनगर। एक का सिक्का आमतौर पर मांगलिक अवसरों पर शगुन की रकम के साथ जोडकर देने की रिवाज मे शुभ माना जाता है। परन्तु जनपद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में फैलाए गए भ्रम के चलते एक रुपये का छोटा सिक्का आम आदमी के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। दुकानदार इसे चलन से बाहर बताकर लेने से मना कर रहे हैं, जबकि बैंकअफसर इसे दुकानदारों की मनमानी करार दे रहे हैं। व्यापारियों व बैंक अफसरों की इस कहानी में आम आदमी इस कदर उलझा है कि उसके घर सिक्कों का बोझ बढ़ता जा रहा है। 
काबिलेगोर है कि नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्कों की भरमार हो गई है। यह सिक्के अधिकतर बैंकों ने ही ग्राहकों को नोट के बदले दिए थे लेकिन अब वहीं सिक्के लोगों के लिए मुसीबत बन गया हैं। पहले एक व दो रुपये के सिक्कों को लेकर आनाकानी हो रही थी और अब एक रुपये के नए सिक्के (छोटा सिक्का) को चलन से ही बाहर बताया जाने लगा है। स्थिति यह है कि एक रुपये का छोटा सिक्का लीगल टेंडर होने के बाद भी मार्केट में चलन से बाहर हो गया है। दुकानदार छोटे सिक्के लेने से मना कर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि सिक्कों को लेकर केवल भ्रम फैलाया जा रहा है। बैंक अफसरों व बड़े दुकानदारों की आनाकानी के बीच आम लोग पिस रहे हैं और एक रुपये के छोटे सिक्के लेकर इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को हो रही है। क्योंकि महज अफवाह के चलते ही उनका सिक्का बाजार में खोटा बताया जा रहा है।
🔴  कौन सुनेगा, किसको सुनाए इस लिए चुप रहते है
सब्जी विक्रेता सुरेश और पदमाकर का कहना  है कि जब बैंक के लोग ही एक रुपये के छोटे सिक्के लेने से मना कर रहे हैं तो हम लोग क्या करें। अब बड़े व्यापारी भी एक रुपये के छोटे सिक्के नहीं ले रहे हैं। पान विक्रेता महेंद्र ने कहा कि एक रुपये का छोटा सिक्का कोई बड़ा व्यापारी नही ले रहा है। हम लोगों को सामान लेने में दिक्कत होती है। इसलिए हम लोग भी छोटा सिक्का नहीं ले रहे हैं। वहीं सब्जी खरीदने आए मुकेश शर्मा का कहना है कि अक्सर ही दुकानों पर सिक्कों को लेकर कहासुनी होती है। दुकानदार पहले तो एक रुपये का पुराना सिक्का नहीं ले रहे थे। बाद में एक रुपये के छोटे सिक्कों को चलन से बाहर बताया जाने लगा। प्रमोद पांडेय भी छोटे सिक्कों की इस समस्या से परेशान हैं। कहते हैं कि कई बार बाजार से ही छोटे सिक्के मिल जाते हैं लेकिन वापस दुकानदार को देने पर दुकानदार छोटा सिक्का को खोटा सिक्का कहकर लेने से मना कर देते है। फिलहाल सिक्कों की इस कहानी ने सबको संकट में डाल रखा है। 

🔴 कहते है बैंक प्रबंधक
स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक व बैंक आफ बडौदा के शाखा प्रबंधकों का कहना है कि सिक्का जमा करने में कोई दिक्कत नहीं है। अगर कोई बैंक को दोष दे रहा है तो वह गलत है। लोग अपने खाते में सिक्का जमा कर सकते हैं।

🔴 कहते है जानकार
अर्थव्यवस्था से संबंधित जानकार बताते है भारतीय रिजर्व बैंक के स्पष्ट आदेश हैं कि सभी भारतीय मुद्रा (नई करेंसी) चलन में हैं इन्हें लेने से इंकार नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं इसके लिए सख्त कानून भी बनाया गया है यदि कोई इन्हें लेने से इंकार करता है तो संबंधित पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई जा सकती है। जानकार यह भी कहते है कि कोई भी भारतीय मुद्रा अचानक बंद नहीं होती है। सरकार ने जब 500 सौ और 1000 के नोट बंद किए थे, तब भी उन्हें बदलने और जमा करने के लिए 50 दिन का समय दिया था। अगर सरकार को एक का सिक्का बंद करना होगा इस प्रक्रिया को फालो करने के बाद ही बंद कर सकती है। एक रुपये का छोटा सिक्का बंद होने की बात सिर्फ अफवाह है।



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